बिहार में आसमान से गिरी ‘मौत’, अब तक 32 की गई जान; जानें आफत ने कहां-कहां मचाया कोहराम

पटना:

बिहार के नालंदा, सिवान, भोजपुर, गोपालगंज और बेगूसराय समेत कई जिलों में तेज आंधी और बारिश ने भारी तबाही मचाई है। ठनका गिरने, पेड़ और दीवारें गिरने से 32 लोगों की जान चली गई। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मृतकों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना व्यक्त की है और उन्हें 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि देने का निर्देश दिया है। उन्होंने लोगों से खराब मौसम में सतर्क रहने की अपील की है।

भोजपुर में ज्यादा नुकसान
भोजपुर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। यहां मां-बेटे समेत 5 लोगों की मौत हो गई। बड़हरा में बिहार और उत्तर प्रदेश को जोड़ने वाला महुली घाट सिताब दियारा पीपा पुल तेज आंधी में टूट गया। सिवान में वज्रपात से चार लोगों की जान गई। नालंदा में अलग-अलग घटनाओं में आठ लोगों की मौत हो गई। नालंदा के मानपुर थाना क्षेत्र के नगवां गांव में एक दर्दनाक हादसा हुआ। देवी स्थान के पास पीपल का पेड़ दीवार पर गिर गया। इससे दीवार ढह गई और 5 लोग मलबे में दबकर मर गए।

पुलिया धंसने से मौत
नालंदा के इस्लामपुर थाना क्षेत्र के बालमत बिगहा गांव में भी दुखद घटना हुई। तेज आंधी और बारिश से सड़क किनारे बनी पुलिया धंस गई। इससे एक ही परिवार के तीन लोगों की मौत हो गई। पावापुरी सहायक थाना इलाके के दुर्गापुर खंधा में ताड़ का पेड़ गिरने से पिंटू यादव के 10 साल के बेटे अंकित कुमार की जान चली गई। सारण के पानापुर में वज्रपात से एक किशोर और एक महिला की मौत हो गई। गोपालगंज में झोपड़ी पर पेड़ गिरने से एक महिला की जान चली गई। बेगूसराय के चेरिया बरियारपुर में ठनका गिरने से एक किशोरी की मौत हो गई।

ठनका गिरने से मौत
गया जिले के टनकुप्पा प्रखंड के मायापुर गांव में भी दुखद घटना हुई। यहां दीवार गिरने से विश्वजीत कुमार के आठ साल के बेटे की मौत हो गई। आंधी और बारिश से फसलों को भी भारी नुकसान हुआ है। जहानाबाद और अरवल में कई पेड़ गिर गए। छप्पर और कर्कट नुमा घर उड़ गए। जिन किसानों की गेहूं की फसल अभी नहीं कटी है, उन्हें थोड़ी राहत है। लेकिन जिनकी फसल कटकर खेत में पड़ी है, उन्हें ज्यादा नुकसान हुआ है। अररिया में ठनका गिरने से एक व्यक्ति की मौत हो गई। इधर, पटना में तेज आंधी और बारिश की वजह से कई इलाकों में बिजली बाधित हो गई है।

मुख्यमंत्री का बयान
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस आपदा पर दुख जताते हुए कहा कि आपदा की इस घड़ी में वह प्रभावित परिवारों के साथ हैं। उन्होंने सभी मृतकों के परिजनों को तुरंत 4-4 लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया है। उन्होंने लोगों से अपील की है कि वे खराब मौसम में सतर्क रहें। उन्होंने कहा कि आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा जारी किए गए सुझावों का पालन करें। उन्होंने लोगों से खराब मौसम में घरों में रहने और सुरक्षित रहने की अपील की है। मौसम विभाग ने आने वाले दिनों में भी तेज आंधी और बारिश की चेतावनी दी है। लोगों को सतर्क रहने और सुरक्षित रहने की सलाह दी गई है। सरकार ने प्रभावित जिलों में राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया है। लोगों को हर संभव मदद पहुंचाने की कोशिश की जा रही है।

पूर्व के आंकड़े
यह त्रासदी भयावह आंकड़े को और भी बढ़ा देती है। पिछले पांच सालों में बिहार में बिजली गिरने से 1,000 से ज़्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। पिछले साल ही 242 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 2022 में 253 लोगों की मौत हुई। राज्य के आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, 2021 और 2020 में यह आंकड़ा और भी ज़्यादा बढ़कर क्रमशः 280 और 400 हो गया। बिजली गिरने से होने वाली मौतों के मामले में बिहार देश में दूसरे स्थान पर है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो की रिपोर्ट के अनुसार, भारत भर में प्राकृतिक आपदाओं से होने वाली मौतों में से लगभग 39% मौतें बिजली गिरने से होती हैं। राष्ट्रीय स्तर पर, हर साल बिजली गिरने से लगभग 2,500 लोग मारे जाते हैं।

सरकार के प्रयास
बिहार सरकार ने अमेरिका स्थित निजी कंपनी अर्थ नेटवर्क्स के साथ मिलकर सात जिलों- खगड़िया, नवादा, रोहतास, पूर्वी चंपारण, पटना, दरभंगा और पूर्णिया में बिजली गिरने की पूर्व चेतावनी देने वाले सेंसर लगाए हैं। ये सिस्टम 15-20 किलोमीटर के दायरे में 30 मिनट पहले ही बिजली गिरने का पता लगा सकते हैं।एक अग्रणी कदम के रूप में, आईआईटी पटना ने एक पहनने योग्य लॉकेट विकसित किया है जो पहनने वालों को आसन्न बिजली के बारे में सचेत करेगा। 43 ग्राम का यह उपकरण, जिसका नाम NITISH (मानव जीवन की सुरक्षा के लिए नवीन पहल तकनीकी हस्तक्षेप) है, शरीर की गर्मी से संचालित होता है और इसे चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है। अधिकारियों को उम्मीद है कि यह ग्रामीण श्रमिकों, विशेष रूप से किसानों के लिए एक बड़ा बदलाव साबित होगा।

 

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