12 C
London
Tuesday, October 14, 2025
Homeराजनीतिकांग्रेस को गुजरात से देश को यह संदेश देने की जरूरत क्यों...

कांग्रेस को गुजरात से देश को यह संदेश देने की जरूरत क्यों पड़ी?

Published on

नई दिल्ली:

देशभर में अपनी जमीन की मजबूती पाने की कोशिश में लगी कांग्रेस जब पिछले एक दशक में गुजरात से निकली ‘मोदी-शाह’ की जोड़ी की चाणक्य नीतियों की काट नहीं ढूंढ पाई तो उसने इस किले का तिलस्म तोड़ने के लिए उसी गुजरात का रुख किया, जिसकी धरती से निकले गांधी और पटेल जैसे नायकों ने आजाद भारत के सपने को साकार करने में अपनी अहम भूमिका निभाई थी।

कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ अपनी लड़ाई को सिर्फ राजनैतिक या सत्ता पाने कोशिश तक ही सीमित नहीं रखा, बल्कि गुजरात की धरती से उन्होंने कांग्रेस बनाम बीजेपी-संघ की विचारधारा की लड़ाई को अंग्रेजाें की दमनकारी विचारधारा के खिलाफ लड़ाई जैसा तक करार दिया। साबरमती तट पर हुए कांग्रेस के 84वें अधिवेशन में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बाकायदा ऐलान किया कि जिस तरह से आजादी की लड़ाई में कांग्रेस अंग्रेजों व संघ के खिलाफ लड़ी, उसी तरह से आज भी कांग्रेस बीजेपी-संघ की सांप्रदायिक व विभाजनकारी सोच से लड़ रही है। कांग्रेस यहीं नहीं रुकी, उसने अपनी इस लड़ाई को आजादी की दूसरी लड़ाई का नाम तक दे डाला।

सवाल उठता है कि आखिर कांग्रेस को गुजरात से देश को यह संदेश देने की जरूरत क्यों पड़ी? दरअसल, आजादी की लड़ाई में गुजरात की अपनी एक अहम भूमिका रही। इसने महात्मा गांधी, सरदार पटेल, दादाभाई नौराेजी जैसे कई महानायक दिए, जिन्होंने न सिर्फ अंग्रेजाें के खिलाफ अपने अपने तरह से लड़ाई को अंजाम दिया, बल्कि जिनकी सोच ने कहीं न कहीं आजाद भारत के सपने को साकार करने में भी अहम भूमिका निभाई।

इसके अलावा, जिस तरह से केंद्र में पीएम मोदी नीत सरकार के आने के बाद से बीजेपी द्वारा महात्मा गांधी, पटेल व अंबेडकर जैसे तमाम महानायकों की विरासत पर दावा जताने की कोशिश होती रही, कभी मोदी के ‘स्वच्छ भारत’ अभियान के जरिए गांधी के प्रतीक को अपनाना हो या फिर केवड़िया में सरदार पटेल की विशालकाय प्रतिमा स्थापित कर एकता नगर की परिकल्पना को साकार करना हो या फिर अंबेडकर के जीवन से जुड़े पांच स्थलों को पंच तीर्थ का नाम देना, बीजेपी आजादी व आजाद भारत के इन महानायकों को विरासत से खुद को जोड़ने की कोशिश करती दिखी।

इतना ही नहीं, इस दौरान बीजेपी की तरफ से लगातार इस बात को रेखांकित व प्रचारित किया गया कि कैसे नेहरू गांधी की कांग्रेस सरकारों में गांधी को छोड़ इन बाकी सारे नायकों की अनदेखी हुई या फिर नेहरू व गांधी परिवार से इनकी कभी बनी नहीं। पिछले एक दशक में देश, खासकर युवा पीढ़ी के भीतर पैठ रही इस सोच को काउंटर करने के लिए कांग्रेस ने बाकायदा एक रणनीति बनाकर बीजेपी के इस प्रचार को काटने की योजना बनाई। इसमें जहां कांग्रेस गुजरात की तरफ मुड़कर एक बार फिर अपने उन महानायकी विरासत से जुड़ने की कोशिश करती दिखी, जिसने देश के स्वतंत्रता आंदोलन को अपने अपने तरीके से धार दी थी तो वहीं कांग्रेस ने सरदार पटेल पर एक प्रस्ताव लाकर बाकायदा सिलसिलेवार ढंग से उस मिथ्या प्रचार को काटने की कोशिश भी की, जहां कहा गया था कि नेहरू व पटेल में आपस में बनती नहीं थी या उनमें मतभेद थे।

सरदार पटेल की 150वीं जयंती के आयोजन का ऐलान
कांग्रेस द्वारा आगामी 31 अक्टूबर को सरदार पटेल की 150वीं जयंती के आयोजन का ऐलान भी उसी विरासत पर फिर से अपने दावे काे पुख्ता का करने की एक कवायद है। कांग्रेस की ओर से इन महानायकों पर दावे की बात ही नहीं की गई, बल्कि कांग्रेस ने बाकायदा इन दोनों नेताओं के विचारों को आधार बनाकर आगे बढ़ने और कांग्रेस की विचारधारा में इनकी सोच के प्रभाव को रेखांकित करने की कोशिश की होती दिखी।

राहुल गांधी ने क्या कहा?
साबरमती के तट से निकले ‘न्याय पथ’ प्रस्तावों के जरिए इन्हें सामने रखने की कोशिश की गई। फिर चाहे राष्ट्रवाद, अखंडता व बहुलतावाद पर कांग्रेस के प्रस्ताव की बात हो या सामाजिक न्याय व अल्पसंख्यकाें को उनके हक देने की बात… कहीं न कहीं यह पटेल व गांधी के विचारों से प्रेरित साेच के प्रतिबिंब थे। कांग्रेस इन्ही प्रतिबिंबों, विचारधारा व अपने मिशन गुजरात के सहारे बीजेपी को हराने का दावा कर रही है। राहुल गांधी ने अधिवेशन के सत्र को संबोधित करते हुए दोटूक कहा कि अगर विचारधारा की इस लड़ाई में बीजेपी व संघ को कोई हरा सकता है तो वह कांग्रेस ही है। वहीं कांग्रेस समझ रही है कि बीजेपी को हराना है तो सबसे पहले उसे उसके सबसे मजबूत किले गुजरात को ही भेदना होगा।

मिशन गुजरात
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 240 पर रोकने के बाद इंडिया गठबंधन के दलों के लोकसभा नेता बने राहुल गांधी ने पीएम मोदी व गृहमंत्री के सामने खुली चुनौती दी थी कि वह अगली बार गुजरात जीत कर दिखाएंगे। उसके बाद से कांग्रेस गुजरात के अपने इस मिशन पर लग गई है। साल 2017 में सत्ता के लगभग करीब पहुंच चुकी कांग्रेस एक बार फिर अपने समूची ताकत लगाकर उस आंकड़े को पाने की कोशिश में लगी है, जिसके सहारे वह न सिर्फ बीजेपी के तीन दशक के सत्ता के किले में सेंध लगा सके, बल्कि मोदी व शाह से उनकी जमीन छीन सके। हालिया सत्र में उसने गुजरात को लेकर लाए गए अपने प्रस्ताव में तीन स्तर पर अपनी योजना का खाका खींचा।

Latest articles

भेल : एनोर थर्मल पावर स्टेशनस्टील आर्क गिरने से 9 की मौत

नई दिल्ली lनई दिल्ली केंद्र सरकार ने भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) को निर्देश...

बार-बार Acidity से हैं परेशान? सिर्फ मसालेदार खाना नहीं, ये 3 अंदरूनी कमी हैं पेट की जलन की असली वजह!

एसिडिटी (Acidity) या एसिड रिफ्लक्स आजकल एक आम समस्या बन गई है, जिसमें पेट...

भेल क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने निकाली रैली

भेल भोपाल । श्री राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ द्वारा शताब्दी वर्ष अंतर्गत पूरे भारत में...

More like this

Bihar Elections 2025: NDA को बड़ा झटका, ओम प्रकाश राजभर की SBSP ने 153 सीटों पर अकेले लड़ने का किया एलान

Bihar Elections 2025: उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और SBSP अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर...