स्विस बैंकों में अकूत पैसा, $40 अरब का बिजनस… पाकिस्तान की फौज है देश की असली ‘मालिक’

नई दिल्ली

पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव चरम पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस हमले के लिए जिम्मेदार आतंकवादियों और उनके आकाओं को कल्पना से परे सजा देने की बात कही है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ का तख्तापलट करने लिए सेना प्रमुख असीम मुनीर ने यह साजिश रची है। पाकिस्तान और भारत 1947 में एक साथ आजाद हुए थे। लेकिन पाकिस्तान को 32 साल फौजी हुकूमत यानी मार्शल लॉ रहा। इससे सेना लगातार ताकतवर होती गई। सैन्य अधिकारियों के पास काफी जमीन और पैसा है। पाकिस्तान में पैसा कमाने और जमीन पाने के लिए फौज को सबसे मुफीद माना जाता है।

पाकिस्तान में सेना को सबसे बड़ा लैंड माफिया माना जाता है। इतना ही नहीं देश के बिजनस पर भी उसी कब्जा है। पाकिस्तान की सरकार ने खुद संसद में बताया कि सेना देश में करीब 50 कंपनियों को चला रही है। पाकिस्तान की सेना दुनिया की एकमात्र मिलिट्री है जिसका बिजनस देश के भीतर और विदेशों में भी फैला है। पाकिस्तानी सेना ने इसके लिए पांच ट्रस्ट बना रखे हैं। इनमें आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट, फौजी फाउंडेशन, शाहीन फाउंडेशन, बहरिया फाउंडेशन और डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटीज शामिल है।

40 अरब डॉलर का बिजनस
पाकिस्तानी सेना देश का सबसे बड़ा बिजनस हाउस है। वह पेट्रोल पंप से लेकर इंडस्ट्रियल पार्क, बैंक, बेकरी, स्कूल-यूनिवर्सिटी, इंश्योरेंस, फर्टिलाइजर, होजरी कंपनी, डेयरी फार्म और सीमेंट प्लांट तक चलाती है। बिजनस से होने वाले फायदे को रिटायर्ड फौजियों में बांटा जाता है। संसद में दी गई जानकारी के मुताबिक पाकिस्तानी सेना का बिजनस करीब 40 अरब डॉलर का है जो देश की कुल इकॉनमी का करीब 10% है। पाकिस्तान की सबसे बड़ी कंपनी ऑयल एंड गैस डेवलपमेंट कंपनी लिमिटेड का मार्केट कैप 3.18 अरब डॉलर है। पाकिस्तान की सेना देश की सबसे बड़ी रियल एस्टेट डेवलपर्स भी है। उसके पास देशभर में 50 से ज्यादा हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सेना के पास राजधानी इस्लामाबाद में 16,000 एकड़ और कराची में 12,000 एकड़ जमीन है। देश में सेना के अधिकारी को रिटायर होने के बाद तोहफे में प्लॉट दिए जाते हैं। देश के आठ बड़े शहरों कराची, लाहौर, रावलपिंडी-इस्लामाबाद, मुल्तान, गुजरांवाला, बहावलपुर, पेशावर और क्वेटा में डिफेंस हाउसिंग अथॉरिटीज स्थापित की गई हैं। यानी इन ट्रस्टों के जरिए देश में जमीनों की बंदरबांट की जाती है। कैंट एरिया के साथ-साथ प्रमुख शहरों के पॉश इलाकों में भी पाकिस्तानी सेना अपने लोगों को जमीनें आवंटित करती है।

स्विस बैंकों में पैसा
आर्मी वेलफेयर ट्रस्ट 16 कंपनियों को चलाती है जबकि फौजी फाउंडेशन 15 कंपनियों को ऑपरेट करती है। एयरफोर्स का शाहीन ट्रस्ट 11 कंपनियों को चलाता है। इसी तरह बहरिया फाउंडेशन नौसेना के रिटायर्ड अधिकारियों का ट्रस्ट है। क्रेडिट सुइस की एक रिपोर्ट के अनुसार पाकिस्तानी सेना के कम से कम 25 सेवानिवृत्त अधिकारियों के स्विस बैंक खाते हैं। इन खातों में करीब 80,000 करोड़ रुपये की अघोषित संपत्ति जमा है। इनमें ISI के पूर्व प्रमुख अख्तर अब्दुर रहमान खान भी शामिल हैं, जिनके खाते में 15 हजार करोड़ रुपये जमा हैं। देश के कई बड़े सैन्य अधिकारियों ने विदेशों में जमकर निवेश किया है।

पनामा पेपर्स लीक के मुताबिक रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल शफात शाह की लंदन में 5,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का खुलासा हुआ है। राष्ट्रपति के रूप में परवेज मुशर्रफ के कार्यकाल के दौरान, शफात शाह दूसरे इन-कमांड अधिकारी थे। इसी तरह आईएसआई के पूर्व प्रमुख मेजर जनरल नुसरत नईम की 2,700 करोड़ रुपये की ऑफशोर कंपनियां भी सामने आईं हैं। पाकिस्तानी की सेना पूरे देश में पेट्रोल पंप का चेन भी चलाती है। रिटायरमेंट के बाद सैन्य अधिकारी अपनी पहुंच का इस्तेमाल कर पेट्रोल पंप को अपने नाम आवंटित करते हैं। इतना ही नहीं वे अपने रिश्तेदारों को भी पेट्रोल पंप दिलवाते हैं।

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