ढाका
बांग्लादेश में बीते साल अगस्त के बाद से लगातार बदलाव देखने को मिले हैं। 5 अगस्त, 2024 को शेख हसीना के ढाका छोड़ने के बाद मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व में अंतरिम सरकार चल रही है। यूनुस की सरकार बनने के बाद चीन और पाकिस्तान ने अपना प्रभाव ढाका में बढ़ाने की कोशिश की है। वहीं अमेरिका की मदद से बांग्लादेश-म्यांमार के बीच मानवीय गलियारे की योजना पर भी काम चल रहा है। इस सबके बीच बांग्लादेश के आर्मी चीफ जनरल वकार उज जमां ने रूस यात्रा हुई है, जो ना सिर्फ ढाका बल्कि भारत के लिहाज से भी अहम है।
एनडीटीवी की रिपोर्ट के मुताबिक, बांग्लादेश में राजनीति के साथ-साथ सेना में भी उठापटक की खबरें आती रही हैं। सेना में तख्तापलट की साजिश की अपुष्ट रिपोर्ट हालिया समय में सामने आई है। यह तख्तापलट जनरल वकार जमां के खिलाफ हो सकता है। ऐसे समय जनरल जमां की रूस यात्रा और खास हो जाती है। वकार जमां ने 7 अप्रैल को रूस का दौरा किया था। मॉस्को में उन्होंने रूसी उप रक्षा मंत्री जनरल फोमिन, आर्मी चीफ जनरल ओलेग साल्युकोव के अलावा रक्षा फर्मों रोस्टेक, रोसोबोरोनएक्सपोर्ट और रोसाटॉम के प्रतिनिधियों से मुलाकात की।
बांग्लादेशी जनरल का रूस दौरा
रूसी रक्षा मंत्रालय ने जमां की यात्रा पर कहा कि दोनों पक्षों ने रक्षा क्षेत्र में सहयोग की संभावनाओं पर चर्चा की है। रूस और बांग्लादेश की सेनाओं के बीच संबंधों को मजबूत करने पर भी बात हुई। जमा के दौरे के बाद रूसी जहाज बांग्लादेश पहुंचे। 50 वर्षों में पहली बार रूसी नौसेना के जहाज बांग्लादेश गए। ऐसे में दोनों के लिए ही यह महत्वपूर्ण है।
जमां की मॉस्को यात्रा ऐसे समय हुई, जब अमेरिका अफसर लगातार ढाका का दौरा कर रहे हैं क्योंकि उनकी म्यांमार में दिलचस्पी है। वहीं यूनुस ने चीन की यात्रा की है और पाकिस्तान के कई शीर्ष अधिकारियों की मेजबानी की है। चीन ने बांग्लादेश मे भारी निवेश का वादा किया है तो यूनुस सरकार ने पाकिस्तान के साथ जुड़ाव के लिए दरवाजे खोल दिए हैं।
जमां को रूस जाकर क्या मिला?
बांग्लादेश की सरकार और ज्यादातर संस्थान इस वक्त कट्टरपंथी ताकतों के आगे नतमस्तक दिख रहे हैं। बांग्लादेश में फिलहाल सेना को ही कट्टरपंथी विरोधी माना जा रहा है। इसलिए सेना को अक्सर इस्लामवादियों के विरोध का भी सामना करना पड़ता है। जनरल जमां ने इस तरफ कई बार इशारा भी किया है। ऐसे में जमां की रूस यात्रा ने एक साथ तीन उद्देश्यों को पूरा किया।
जनरल जमां ने रूस का दौरा करते हुए यूनुस की अंतरिम सरकार को संकेत दिया कि सेना जरूरत पड़ने पर सत्ता संभाल सकती है। दूसरा लक्ष्य चीन की उपस्थिति को संतुलित करना था। बांग्लादेश अपनी सैन्य खरीद का 70% चीन से करता है। इसमें रूस को शामिल करने की कोशिश जमां ने की है। जमां की यात्रा का तीसरा लक्ष्य यह दिखाना था कि बांग्लादेश किसी भी गुट में ना जाकर अपनी रणनीतिक स्वायत्तता बनाए रखना चाहता है और सैन्य गठबंधनों में विविधता लाना चाहता है।
भारत के लिए कैसे है अच्छी खबर
भारत और रूस से बांग्लादेश का खास रिश्ता है। 1971 में बांग्लादेश की आजादी में भारत के अलावा रूस का भी अहम समर्थन था। फिलहाल रूस बांग्लादेश के रूपपुर परमाणु ऊर्जा संयंत्र का निर्माण कर रहा है। यह देश की सबसे महंगी बुनियादी ढांचा परियोजना है। इसमें कुछ भारतीय घटक भी शामिल हैं। ऐसे में भारत-रूस जनरल जमां के साथ मिलकर काम कर सकते हैं। इससे भारत को फिर से बांग्लादेश में पैर जमाने का मौका मिल सकता है। हसीना सरकार में भारत का ढाका में अच्छा प्रभाव था। जमां और रूस के जरिए भारत को अगर चीन-पाकिस्तान का ढाका में प्रभाव कम करने का मौका मिलता है तो ये भारत के लिए बड़ी कामयाबी हो सकती है।