बीजिंग
चीन ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय जलक्षेत्र के करीब अपना जासूसी जहाज भेजा है। इस जहाज का नाम दा यांग यी हाओ है। चीन इसे एक समुद्री सर्वेक्षण पोत करार देता है, हालांकि इसकी गतिविधियां संदिग्ध हैं। अमेरिका समेत कई देश इन जहाजों की हरकतों पर शक जता चुके हैं। उनका साफ तौर पर कहना है कि चीन सर्वेक्षण जहाजों की मदद से दुश्मन देशों की जासूसी करता है। ऐसे में पाकिस्तान के साथ तनाव के बीच चीनी जासूसी जहाज के भारतीय जलसीमा के करीब आने पर कई सवाल खड़े हो रहे हैं। चीन इस जहाज से मिले डेटा का इस्तेमाल अपनी नौसैनिक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए कर सकता है।

हिंद महासागर में मौजूद है चीनी जासूसी जहाज
ओपन सोर्स इंटेलिजेंस @detresfa_ की 14 मई की पोस्ट के अनुसार, “चीन का भूविज्ञान एवं भूभौतिकी सर्वेक्षण पोत दा यांग यी हाओ, जो समुद्र तल का मानचित्रण करने में सक्षम है तथा जिसमें एक पनडुब्बी भी लगी हुई है – अब हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश कर चुका है।” यह जहाज 12-13 मई के बीच अंडमान और निकोबार द्वीपसमूह से आगे निकलकर हिंद महासागर क्षेत्र में प्रवेश किया था। 14 मई को इसे भारत के दक्षिण पूर्व में हिंद महासागर में देखा गया था। इसके बाद से इस जहाज ने अपने ट्रांसपोंडर को ऑफ किया हुआ है, जिससे इसकी लोकेशन को ट्रैक करना मुश्किल हो गया है।
पाकिस्तान की कैसे मदद कर सकता है चीन
चीन अपने जासूसी जहाज की मदद से भारतीय जलक्षेत्र में पनडुब्बियों की गतिविधियों को ट्रैक कर सकता है। इतना ही नहीं, वह उनकी कॉल साइन को भी पहचान सकता है, जिससे समुद्र में उन्हें दोबारा डिटेक्ट करना आसान हो जाएगा। इस जानकारी को वह पाकिस्तान के साथ साझा कर सकता है, जिससे पाकिस्तानी नौसेना को भारत पर निगरानी रखने में सहायता मिल सकती है। इसके अलावा वह जिवानी, ग्वादर या जिबूती में मिलिट्री लॉजिस्टिक बेस के लिए अपनी योजनाओं को प्लान कर सकता है।
चीनी नौसेना के लिए नक्शा बना सकता है यह जहाज
इस जहाज का उपयोग पनडुब्बी मार्गों और पानी के नीचे के इलाकों का नक्शा बनाने के लिए किया जा सकता है, जो पनडुब्बी रोधी युद्ध (ASW) योजना के लिए महत्वपूर्ण हैं। यह जहाज भारतीय नौसेना इकाइयों के बीच कम्युनिकेशन को बाधित कर सकता है, जिससे भारतीय ऑपरेशनल प्रोटोकॉल और संकट प्रतिक्रियाओं के बारे में जानकारी मिलती है।

