नई दिल्ली:
पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच रक्षा मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया है। मंत्रालय ने सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी (Territorial Army) को सक्रिय करने के लिए ज्यादा अधिकार दे दिए हैं। अब सेना प्रमुख जरूरत पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी के सभी अधिकारियों और जवानों को बुला सकते हैं। ये जवान देश की सुरक्षा में मदद करेंगे या रेगुलर आर्मी के साथ मिलकर काम करेंगे।
रक्षा मंत्रालय ने टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948 के नियम 33 के तहत यह फैसला लिया है। मंत्रालय की ओर से जारी एक सर्कुलर में कहा गया है कि केंद्र सरकार टेरिटोरियल आर्मी रूल 1948 के नियम 33 के तहत सेना प्रमुख को यह अधिकार देती है कि वे टेरिटोरियल आर्मी के हर अधिकारी और जवान को बुला सकें। बुलाए जाने वाले जवान जरूरी सुरक्षा प्रदान करेंगे या रेगुलर आर्मी को सपोर्ट करेंगे। इसका सीधा मतलब है कि सेना प्रमुख के पास अब टेरिटोरियल आर्मी को इस्तेमाल करने की ज्यादा शक्ति होगी।
सेना को मिलेगी मजबूती
सीधे शब्दों में कहा जाए तो रक्षा मंत्रालय ने सेना प्रमुख को टेरिटोरियल आर्मी को ज्यादा इस्तेमाल करने का अधिकार दे दिया है। इससे सेना और भी मजबूत होगी और देश की सुरक्षा बेहतर तरीके से कर पाएगी। दरअसल, टेरिटोरियल आर्मी में आम नागरिक भी शामिल होते हैं, जो देश की सेवा करने के लिए तैयार रहते हैं। अब उन्हें जरूरत पड़ने पर देश की रक्षा के लिए बुलाया जा सकेगा।
इन इलाकों में होगी तैनाती
अभी टेरिटोरियल आर्मी में 32 इन्फेंट्री बटालियन (Infantry Battalions) हैं। इनमें से 14 बटालियन को दक्षिणी कमान, पूर्वी कमान, पश्चिमी कमान, मध्य कमान, उत्तरी कमान, दक्षिण पश्चिमी कमान, अंडमान और निकोबार कमान और आर्मी ट्रेनिंग कमांड (ARTRAC) के इलाकों में तैनात किया जाएगा। यह तैनाती तभी होगी जब बजट में पैसा होगा या बजट के अंदर ही पैसे का इंतजाम हो जाएगा। मंत्रालय ने यह भी साफ किया है कि अगर रक्षा मंत्रालय के अलावा किसी और मंत्रालय के कहने पर इन यूनिट्स को तैनात किया जाता है, तो उसका खर्च उस मंत्रालय को ही देना होगा। यह पैसा रक्षा मंत्रालय के बजट में शामिल नहीं होगा।