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China Henipavirus Explainer: कोरोना जैसा एक और ख़तरा चमगादड़ों में मिला नया हेनिपावायरस 75% मृत्यु दर का दावा

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China Henipavirus Explainer:दुनिया में कोरोना जैसी एक और महामारी फैलने का ख़तरा मंडरा रहा है! चीनी वैज्ञानिकों ने एक नया हेनिपावायरस (Henipavirus) खोजा है, जो चमगादड़ों में पाया गया है और इसे बेहद जानलेवा वायरस बताया जा रहा है. चीनी वैज्ञानिकों ने इस वायरस के फैलने से 75% तक मृत्यु दर की आशंका जताई है. हालांकि, अभी तक इंसानों में इस वायरस से संक्रमित होने का कोई मामला सामने नहीं आया है, लेकिन अगर यह संक्रमण इंसानों में फैलता है, तो यह ख़तरनाक और जानलेवा साबित हो सकता है. चीनी वैज्ञानिकों ने एक रिसर्च में इस वायरस की खोज की पुष्टि की है.

कैसे मिला यह ख़तरनाक वायरस? रिसर्च से हुआ ख़ुलासा!

चीन के युन्नान प्रांत में, शोधकर्ताओं ने लैब में 20 चमगादड़ों में पाए गए वायरस का परीक्षण किया. इनमें से 2 चमगादड़ों के अंदर 2 नए वायरस मिले हैं, जिन्हें युन्नान बैट हेनिपावायरस-1 (Yunnan Bat Henipavirus-1) और युन्नान बैट हेनिपावायरस-2 (Yunnan Bat Henipavirus-2) नाम दिया गया है. ये वायरस निपाह (Nipah) और हेंड्रा (Hendra) वायरस से 70 प्रतिशत तक मिलते-जुलते हैं. ये वायरस चमगादड़ों की किडनी में पाए गए थे.

यह रिसर्च 2017 से चल रही थी. इसमें 10 प्रजातियों के 142 चमगादड़ों के किडनी के नमूने लिए गए थे. कुल 22 तरह के वायरस पाए गए, जिनमें से 2 हेनिपावायरस हैं. हाल ही में, शोधकर्ताओं ने अपनी रिसर्च को PLOS Pathogens नामक एक जर्नल में प्रकाशित किया, जिसकी रिपोर्ट मीडिया तक पहुँची और दुनिया को इस नए वायरस के बारे में पता चला.

हेनिपावायरस कैसे फैल सकता है वैज्ञानिकों की चिंता

रिसर्च के अनुसार, अगर हेनिपावायरस चमगादड़ों की किडनी में पाया गया है, तो यह उनके मूत्र (Urine) में भी हो सकता है. ऐसी स्थिति में, यह वायरस चमगादड़ों के मूत्र के ज़रिए फैल सकता है. चमगादड़ अक्सर बागानों और खेतों में छिपे रहते हैं, और वे फलों, सब्ज़ियों, फसलों और पानी में पेशाब कर सकते हैं. अगर कोई व्यक्ति संक्रमित फल, सब्ज़ियाँ खाता है या ऐसा पानी पीता है, तो वह वायरस से संक्रमित हो सकता है. वायरोलॉजिस्ट डॉ. विनोद बालसुब्रमण्यम ने इस तरीक़े से वायरस के फैलने की संभावना पर चिंता जताई है.

हेनिपावायरस के लक्षण और ख़तरा 75% तक मृत्यु दर की आशंका

रिसर्च के मुताबिक, इस वायरस से संक्रमित होने के शुरुआती लक्षण इंसेफेलाइटिस (दिमाग़ में सूजन) और श्वसन संबंधी बीमारी हैं. अगर कोई इंसान इससे संक्रमित होता है, तो लगभग 75% तक मृत्यु की संभावना है. हालांकि, अभी तक इंसानों में इस वायरस से संक्रमित होने का कोई मामला नहीं मिला है, लेकिन सतर्क रहना बेहद ज़रूरी है. लोगों को इस बात का ध्यान रखना होगा कि वे फलों और सब्ज़ियों को पानी में उबालकर या अच्छी तरह साफ़ करके खाएं. किसी भी जगह बहते पानी को पीने से बचें. वैज्ञानिकों को चमगादड़ों में वायरस की निगरानी और उनके प्रसार का विस्तार करने की ज़रूरत है.

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कोरोना से सबक बचाव ही एकमात्र रास्ता

यह नया वायरस हमें कोरोना महामारी से मिले सबक की याद दिलाता है. वायरस की पहचान और उससे बचाव के लिए अभी से तैयार रहना बेहद ज़रूरी है. इस वायरस से बचने के लिए साफ़-सफ़ाई का ख़ास ध्यान रखना चाहिए. वैज्ञानिकों और स्वास्थ्य एजेंसियों को मिलकर इस वायरस पर गहरी रिसर्च करनी होगी ताकि इसके फैलने से पहले ही प्रभावी उपाय खोजे जा सकें और मानवता को एक और बड़ी महामारी से बचाया जा सके.

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी वैज्ञानिक शोध और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. यह एक नया खोजा गया वायरस है और इसके बारे में शोध जारी है. किसी भी तरह की घबराहट से बचें, लेकिन व्यक्तिगत साफ़-सफ़ाई और स्वास्थ्य प्रोटोकॉल का पालन करें. अधिक जानकारी के लिए विश्वसनीय स्वास्थ्य स्रोतों और वैज्ञानिकों की सलाह पर ध्यान दें.

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