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Monday, September 15, 2025
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पाकिस्तान को चीन दे रहा J-35 लड़ाकू विमान, अमेरिकी F-35 या रूसी Su-57, कौन सा स्टील्थ फाइटर जेट? भारत को लेना ही होगा फैसला?

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वॉशिंगटन/मॉस्को:

ऑपरेशन सिंदूर में पाकिस्तान के पानी-पानी होने के बाद अब चीन ने उसे 50 प्रतिशत डिस्काउंट पर अपने J-35 स्टील्थ फाइटर को जल्दी देने का फैसला किया है। रिपोर्ट के मुताबिक चीन ने जे-35 जेट के प्रोडक्शन को काफी तेज कर दिया है और अगस्त तक पाकिस्तान को सौंपने की योजना बना रहा है। लिहाजा भारत पर एक प्रेशर बन गया है, क्योंकि भारतीय वायुसेना के पास एडवांस फाइटर जेट के नाम पर राफेल और एसयू-30एमकेआई लड़ाकू विमान ही है। अगर वाकई चीन, पाकिस्तान को जे-35 स्टील्थ फाइटर सौंपता है तो इसका मतलब ये होगा कि आने वाले महीनों में पाकिस्तानी एयरफोर्स के पास एक ऐसा लड़ाकू विमान होगा, जो स्टील्थ, मल्टीरोल और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर क्षमता में भारत की Rafale स्क्वाड्रन को सीधी चुनौती दे सकता है।

लिहाजा सवाल यह है कि भारत को क्या करना चाहिए? क्या रूस से Su-57 Felon खरीदना चाहिए? या अमेरिका से F-35 Lightning II? भारत के लिए ये फैसला करना काफी मुश्किल है, क्योंकि स्ट्रैटजी, डिप्लोमेसी, इंटरनेशनल रिलेशन के साथ साथ विमानों की क्वालिटी और भारत को अपनी जरूरत के हिसाब से क्या चाहिए, इन तमाम बातों पर गहरी माथापच्ची करनी होगी। दुनिया में अभी सिर्फ अमेरिका, रूस और चीन के पास फिफ्थ जेनरेशन जेट हैं। तुर्की ने भी KAAN फिफ्थ जेनरेशन लड़ाकू विमान बना लिया है, लेकिन उसके ऑपरेशनल होने में कुछ साल और लगने वाले हैं। लिहाजा पांचवीं पीढ़ी के दो लड़ाकू विमानों में लॉकहीड मार्टिन F-35 या सुखोई Su-57, तकनीकी रूप से भारतीय वायु सेना के लिए कौन सा बेहतर है? इसे हम जानने की कोशिश करते हैं।

भारत के लिए फैसला लेना काफी मुश्किल
यूरेशियन टाइम्स की एक रिपोर्ट में भारतीय वायुसेना में जगुआर पायलट रह चुके विजयेंद्र के ठाकुर, जो सॉफ्टवेयर आर्किटेक्ट भी हैं, उन्होंने लिखा है कि अमेरिकी या रूसी फिफ्थ जेनरेशन विमान में कौन बेहत है, इस सवाल का जवाब खोजना काफी मुश्किल है, क्योंकि दोनों विमानों को अलग-अलग भूमिकाओं के लिए डिजाइन किया गया है और अलग-अलग आर्थिक और औद्योगिक बाधाओं के तहत विकसित किया गया था। जिसकी वजह से एकमात्र सही उत्तर यह होगा कि एसयू-57 रूस की जरूरतों के हिसाब से सबसे सही है और एफ-35 अमेरिका की जरूरतों के हिसाब से सही है। ऐसे में जियो-पॉलिटिकल हालात को भी शामिल कर लिया जाए, तो भारत के लिए फैसला करना काफी मुश्किल हो जाएगा। ऐसे में सिर्फ टेक्नोलॉजी और क्षमता के हिसाब से इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की जानी चाहिए।

Su-57 Felon की ताकत और कमजोरियां
रूस ने नाटो से मुकाबला करने के लिए नाटो देशों की लंबी दूरी तक मार करने वाले फाइटर जेट्स को काउंटर करने के लिए एसयू-57 को डिफेंसिव प्लेटफॉर्म की तरह विकसित किया है। इसे दुश्मनों के विमानों को तत्काल मार गिराने और अपने क्षेत्र की रक्षा करने के लिए बनाया गया है। इसकी वजह से इसमें मल्टी लेयर डिफेंस सिस्टम को इंटीग्रेट किया गया है। एसयू-57 लड़ाकू विमान में सीमित स्टील्थ क्षमताएं हैं और ये रूसी हवाई सीमा में रहते हुए कम दूरी तक हमला करने वाला लड़ाकू विमान है, जो जमीन से आ रहे दुश्मनों को भी रोकने की क्षमता रखता है। भारत के लिहाज से अगर देखने की कोशिश तकतें तो इसमें शानदार सुपरमेन्युवरेबिलिटी है, जिसमें 3D थ्रस्ट वेक्टरिंग नोजल टेक्नोलॉजी है, जो इस फाइटर जेट को असाधारण डॉगफाइट करने की क्षमता देता है। इसके अलावा ये फायटर जेट हाइपरसोनिक मिसाइल को ले जा सकता है, जिसकी वजह इसमें ब्रह्मोस नेक्स्ट जेनरेशन मिसाइल को इंटीग्रेट किया जा सकता है, जो एक हाइपरसोनिक मिसाइल होगी, जिसकी स्पीड आवाज की रफ्तार से 7 से 8 गुना ज्यादा होगी। ब्रह्मोस नेक्स्ट जेनरेशन को लेकर भारत को स्क्रैमजेट इंजन के एडवांस वर्जन को बनाने में कामयाबी मिल गई है।

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