नई दिल्ली,
भारत और पाकिस्तान के बीच हालिया सैन्य तनाव में एक अहम अपडेट सामने आया है. 9-10 मई 2025 की रात भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान की वायुसेना (PAF) के 13 में से 11 प्रमुख एयरबेस को निशाना बनाते हुए एक सटीक और व्यापक सैन्य अभियान को अंजाम दिया था. इस कार्रवाई में लगभग 15 ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया, जिससे पाकिस्तान के हवाई ढांचे और वायु रक्षा प्रणाली को भारी नुकसान हुआ.
पाकिस्तानी हमले के जवाब में भारत का कड़ा एक्शन
इससे पहले, 7-8 मई की रात पाकिस्तान ने भारत के उत्तरी और पश्चिमी इलाकों में स्थित सैन्य ठिकानों जैसे अवंतिपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, भटिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज पर ड्रोन और मिसाइल हमलों का प्रयास किया था. हालांकि भारत की Integrated Counter-UAS Grid और वायु रक्षा प्रणालियों ने समय रहते इन हमलों को नाकाम कर दिया.
ब्रह्मोस और स्काल्प मिसाइलों का हुआ इस्तेमाल
इसके बाद 8 मई की सुबह से ही भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान के विभिन्न स्थानों पर स्थित वायु रक्षा रडार और मिसाइल प्रणालियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया. लाहौर में स्थित एक प्रमुख एयर डिफेंस सिस्टम को पूरी तरह निष्क्रिय कर दिया गया.
9-10 मई की रात को भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान पर निर्णायक हमला किया. ब्रह्मोस और स्काल्प जैसी एडवांस्ड मिसाइलों को वेस्टर्न और साउथ वेस्टर्न एयर कमांड के एयरबेस से छोड़ा गया. इस हमले ने पाकिस्तान की HQ-9 मिसाइल प्रणाली, जो चीन से प्राप्त की गई थी, को गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया. पाकिस्तान के सिंध स्थित एक प्रमुख एयरबेस पर हमला कर UAVs और एक एयरबोर्न अर्ली वॉर्निंग एंड सर्विलांस एयरक्राफ्ट (AEW&C) को नष्ट कर दिया गया.
पायलटलेस टारगेट एयरक्राफ्ट और हारोप ड्रोन की भूमिका
भारतीय वायुसेना ने पहले पायलटलेस टारगेट एयरक्राफ्ट का उपयोग कर पाकिस्तानी रडार और डिफेंस सिस्टम को एक्टिव कराया. इसके बाद इजरायल निर्मित ‘हारोप’ कामिकाजे ड्रोन से हमला कर वायु रक्षा प्रणाली को अपंग कर दिया गया. हमले के बाद पाकिस्तान वायुसेना को अपने विमानों को पीछे के एयरबेस पर स्थानांतरित करना पड़ा. रणनीतिक दृष्टि से यह हमला इतना असरदार था कि पाकिस्तानी हवाई हमलों की क्षमता बुरी तरह प्रभावित हुई.
इस पूरे ऑपरेशन का नेतृत्व भारत के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) ने मिलकर किया. ब्रह्मोस मिसाइल का चयन खुद NSA ने रणनीतिक संदेश देने के लिए किया था.