नई दिल्ली,
भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर पाकिस्तान को साफ संदेश दिया है. भारत अब जल संधि को लेकर पुरानी शर्तों पर नहीं मानेगा. सरकारी सूत्रों के मुताबिक, पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय द्वारा भेजी गई अपील पर भारत सरकार विचार नहीं करेगी. भारत अब इस संधि को दोबारा तय करना चाहता है और इसे अंतरराष्ट्रीय नियमों और भारत के हितों के अनुरूप संशोधित करने का इरादा रखता है.
सूत्रों के अनुसार, भारत का मानना है कि सिंधु जल संधि सितंबर 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच बनी थी, उस समय ‘गुडविल’ और मित्रता के आधार पर तय की गई थी, लेकिन बीते तीन दशकों में पाकिस्तान ने आतंकवाद को बढ़ावा देकर उस भरोसे को तोड़ा है.
अब नई शर्तों पर होगी बातचीत
भारत इस संधि को अब 21वीं सदी की जरूरतों के अनुसार दोबारा रिनिगोशिएट करना चाहता है. सूत्रों के मुताबिक, संधि को उस समय की इंजीनियरिंग और परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाया गया था, जब ना तो जनसंख्या इतनी थी और न ही जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर चुनौतियां सामने थीं.
अब बढ़ती जनसंख्या, ग्लेशियरों के पिघलने, नदियों में पानी की घटती मात्रा और स्वच्छ ऊर्जा की जरूरतों को देखते हुए इस संधि की समीक्षा जरूरी हो गई है. भारत का यह भी मानना है कि पाकिस्तान बार-बार रिनिगोशिएशन में अड़चन डालता रहा है, जो इस संधि के प्रावधानों का उल्लंघन है.
भारत लेगा अपने हिस्से का पानी
सूत्रों ने यह भी स्पष्ट किया है कि भारत अंतरराष्ट्रीय नियमों का उल्लंघन नहीं करेगा, लेकिन वह अपने हिस्से का पानी जरूर लेगा. सिंधु जल संधि एक दीर्घकालिक परियोजना है और इसका भविष्य इस बात पर निर्भर करेगा कि पाकिस्तान की ओर से भारत विरोधी कोई गतिविधि ना हो.
पाकिस्तान की हालिया अपील को लेकर सूत्रों का कहना है कि भारत अब पुराने ढांचे में वापसी नहीं करेगा. सरकार का रुख स्पष्ट है कि अब जल-साझेदारी की बातचीत भारत के रणनीतिक और पर्यावरणीय हितों के अनुरूप ही होगी.