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Friday, October 31, 2025
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K-6 Hypersonic Missile Explainer: ब्रह्मोस से भी ख़तरनाक भारत बना रहा K-6 हाइपरसोनिक मिसाइल पाकिस्तान भी होगा रेंज में

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K-6 Hypersonic Missile Explainer: भारतीय नौसेना के लिए ब्रह्मोस से भी तेज़, जानलेवा और ज़्यादा मारक क्षमता वाला एक हथियार बनाया जा रहा है. इस हथियार का नाम है K-6 हाइपरसोनिक मिसाइल, जिसके बन जाने के बाद भारत उन वैश्विक ताक़तों जैसे अमेरिका, रूस, चीन, फ़्रांस और ब्रिटेन की सूची में शामिल हो जाएगा जिनके पास ऐसी मिसाइलें हैं. इसके साथ ही, हिंद महासागर में भारत की ताक़त और भी बढ़ जाएगी. भारतीय नौसेना हिंद महासागर में चीन के बढ़ते प्रभाव का मुक़ाबला करने के लिए अपनी शक्ति मज़बूत कर रही है. नौसेना के लिए एयरक्राफ्ट कैरियर, स्टेल्थ फ़्रिगेट और पनडुब्बियां बनाने में निवेश किया जा रहा है.

पनडुब्बी से भी लॉन्च हो सकेगी K-6 मिसाइल

भारतीय रक्षा अनुसंधान विंग ने एक मीडिया ब्रीफ़िंग में K-6 हाइपरसोनिक बैलिस्टिक मिसाइल के बारे में अहम जानकारी दी है. उन्होंने बताया कि K-6 एक पनडुब्बी लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) है, यानी इस मिसाइल को पनडुब्बियों से भी लॉन्च किया जा सकेगा. इसे DRDO की हैदराबाद स्थित एडवांस्ड नेवल सिस्टम्स लेबोरेटरी में बनाया जा रहा है. इस लैब में परमाणु-संचालित S-5 पनडुब्बियां डिज़ाइन की जा रही हैं, जिनसे इन मिसाइलों को लॉन्च किया जा सकेगा. ये पनडुब्बियां क़रीब 12 मीटर लंबी और 2 मीटर चौड़ी होंगी. वे 2 से 3 टन तक के वॉरहेड ले जाने में सक्षम होंगी. ब्रह्मोस से भी ज़्यादा एडवांस्ड, K-6 मिसाइल परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम होगी.

कराची भी होगा निशाना 8000 किमी की मारक क्षमता

K-6 SLBM की रफ़्तार 7.5 मैक (9261 किलोमीटर प्रति घंटा) होगी और एक मिसाइल पाकिस्तान के कराची शहर को तबाह करने में सक्षम होगी. अगर यह शहर तबाह होता है, तो पाकिस्तान आर्थिक रूप से पंगु हो जाएगा. इस मिसाइल की रेंज 8000 किलोमीटर हो सकती है और यह दूरी पूरे पाकिस्तान को कवर करती है. भारत ने इससे पहले K-3 (1000 से 2000 किलोमीटर रेंज), K-4 (3500 किलोमीटर रेंज), K-5 (5000 से 6000 किलोमीटर रेंज) जैसी मिसाइलों का परीक्षण किया है. K-4 और K-5 मिसाइलें नौसेना का हिस्सा बन चुकी हैं. K-6 को भी परीक्षण के बाद नौसेना को सौंप दिया जाएगा.

वैश्विक ताक़त बनने की ओर भारत का अगला क़दम!

K-6 हाइपरसोनिक मिसाइल का विकास भारत को उन चुनिंदा देशों की कतार में खड़ा कर देगा जिनके पास ऐसी अत्याधुनिक मिसाइल क्षमता है. यह भारत की रणनीतिक ताक़त को कई गुना बढ़ाएगा, ख़ासकर हिंद महासागर क्षेत्र में जहाँ चीन का प्रभाव बढ़ रहा है. यह मिसाइल भारत की रक्षा क्षमताओं को और मज़बूत करेगी, जिससे किसी भी संभावित ख़तरे का मुक़ाबला करने में भारत और ज़्यादा सक्षम होगा.

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नौसेना का आधुनिकीकरण भविष्य की तैयारी

K-6 मिसाइल भारतीय नौसेना के चल रहे आधुनिकीकरण का एक अहम हिस्सा है. नौसेना लगातार अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए विमानवाहक पोत, स्टेल्थ फ्रिगेट और पनडुब्बियों जैसे आधुनिक प्लेटफार्मों में निवेश कर रही है. इन प्रयासों का लक्ष्य एक मज़बूत और बहुमुखी नौसेना बनाना है जो क्षेत्रीय सुरक्षा सुनिश्चित कर सके और भारत के समुद्री हितों की रक्षा कर सके. K-6 जैसी मिसाइलें इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी.

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डिस्क्लेमर: यह जानकारी रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) के सार्वजनिक बयानों और मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. मिसाइल विकास एक जटिल और संवेदनशील प्रक्रिया है, और अंतिम स्पेसिफिकेशंस व तैनाती की जानकारी आधिकारिक स्रोतों से ही पुष्टि की जा सकती है.

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