नई दिल्ली:
दिल्ली के मोहल्ला क्लीनिकों की हालत CAG की ऑडिट रिपोर्ट में खस्ताहाल पाई गई है। रिपोर्ट के मुताबिक, मरीजों को देखने में डॉक्टर एक मिनट से भी कम समय लगा रहे हैं, कई क्लीनिकों में जरूरी उपकरणों की कमी है, और कई क्लीनिक तो महीनों तक बंद ही रहे। रिपोर्ट में दवाइयों की कमी, लैब सेवाओं के ठप होने और AAP सरकार द्वारा किए गए वादों के मुकाबले कम क्लीनिक बनने जैसे मुद्दे भी उठाए गए हैं। रिपोर्ट में क्लीनिकों के निरीक्षण में भी लापरवाही बरतने की बात सामने आई है।
मोहल्ला क्लीनिकों में निकली कई खामियां
सीएजी की रिपोर्ट ने दिल्ली सरकार के मोहल्ला क्लीनिकों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े किए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, अधिकतर मरीजों को डॉक्टरों द्वारा एक मिनट से भी कम समय दिया जा रहा है। साथ ही जरूरी उपकरण जैसे पल्स ऑक्सीमीटर, ग्लूकोमीटर, एक्स-रे व्यूअर, थर्मामीटर और ब्लड प्रेशर मॉनिटर कई क्लीनिकों में मौजूद नहीं हैं।
23 महीनों तक बंद रहे 18 फीसदी क्लीनिक
ऑडिट में यह भी पाया गया कि जांच किए गए क्लीनिकों में से 18% क्लीनिक 15 दिनों से लेकर 23 महीनों तक बंद रहे। इसके पीछे डॉक्टरों की कमी, इस्तीफे और डी-एम्पैनलमेंट जैसे कारण बताए गए हैं। चार जिलों उत्तर पूर्व, दक्षिण, दक्षिण पश्चिम और पश्चिम के 218 क्लीनिकों में से 41 क्लीनिक बंद मिले। अक्टूबर 2022 से मार्च 2023 के बीच 70% मरीजों को एक मिनट से भी कम समय के लिए परामर्श दिया गया, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हुईं।
दवाएं भी नहीं मिल रहीं
रिपोर्ट में दवाइयों की उपलब्धता पर भी चिंता जताई गई है। जांच में शामिल 74 क्लीनिकों में जरूरी दवा सूची (EDL) में शामिल 165 दवाओं का पूरा स्टॉक नहीं पाया गया। दवाओं की आपूर्ति में बार-बार आ रही दिक्कतों के कारण कई बार ऑर्डर पूरे नहीं हो पाए या आंशिक रूप से पूरे हुए। कई EDL दवाएं या तो केंद्रीय खरीद एजेंसी द्वारा खरीदी ही नहीं गईं या फिर ऑर्डर देने के बावजूद विक्रेताओं द्वारा डिलीवर नहीं की गईं। तीन से छह महीने की देरी से डिलीवरी ने क्लीनिकों की समय पर देखभाल प्रदान करने की क्षमता को बाधित किया। CAG ने देखा कि 16 नवंबर 2022 से 14 दिसंबर 2022 तक दिल्ली के सभी क्लीनिकों में लैब सेवाएं पूरी तरह से ठप थीं, और कोई वैकल्पिक व्यवस्था भी नहीं की गई थी।
AAP सरकार 10 साल में बना पाई केवल 53% मोहल्ला क्लीनिक
AAP के 10 साल के शासन के बाद, केवल 53% नियोजित मोहल्ला क्लीनिक ही बन पाए हैं। दूसरे कार्यकाल में केवल 38 क्लीनिक जोड़े गए, जो उनके मेडिकल सर्विस के टारगेट से काफी पीछे है। 2015 में AAP सरकार ने 1 000 क्लीनिक बनाने का वादा किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ है। CAG रिपोर्ट में प्रोजेक्ट में देरी पर भी चिंता जताई गई है। 2016 और 2023 के बीच प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए 35.16 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था, लेकिन सरकार ने केवल 28% (9.8 करोड़ रुपये) ही खर्च किए। मार्च 2023 तक, दिल्ली सरकार ने केवल 523 क्लीनिक स्थापित किए थे, जो 2017 के 1000 क्लीनिकों के टारगेट से काफी कम है।
बुनियादी सुविधाओं की कमी
रिपोर्ट में कई मोहल्ला क्लीनिकों में बुनियादी सुविधाओं की कमी का भी खुलासा हुआ है। 81 क्लीनिकों के मूल्यांकन में कई कमियां पाई गईं। 10 क्लीनिक बिना पीने के पानी के, 24 में दवाओं और इंजेक्शन के भंडारण के लिए एयर कंडीशनिंग की कमी और 21 में शौचालय की सुविधा नहीं थी। छह क्लीनिक बिना जांच टेबल के, 29 बिना अग्निशामक यंत्रों के और 12 दिव्यांगजनों के लिए दुर्गम पाए गए। इसके अलावा 20 क्लीनिकों में मरीजों के लिए प्राइवेसी स्क्रीन नहीं थी।
अधिकारियों ने को दिए थे दौरे के निर्देश
सीएजी ने बताया कि डीजीएचएस ने 26 फरवरी 2018 को एक आदेश जारी किया था, जिसमें मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी (CDMO) की टीमों द्वारा जिले के सभी मोहल्ला क्लीनिकों का तिमाही दौरा अनिवार्य किया गया था। दिसंबर 2019 में, DGHS ने CDMO को निर्देश दिया कि वे मासिक रूप से कम से कम एक क्लीनिक का निरीक्षण करें।
निगरानी टीमों को कर्मचारियों की समय की पाबंदी की जांच करने और फार्मेसी इंडेंट, स्टॉक और बैलेंस, OPD, प्रयोगशाला और दैनिक खपत सहित विभिन्न रजिस्टरों की समीक्षा करने का काम सौंपा गया था। दवाओं के उचित उपयोग और यह सुनिश्चित करने पर भी ध्यान केंद्रित किया गया था कि सभी नुस्खों पर पैनल में शामिल डॉक्टरों के अधिकृत हस्ताक्षर और मुहर हों। मासिक निरीक्षण रिपोर्ट राज्य नोडल अधिकारी को प्रस्तुत की जानी थी। ऑडिट से पता चला कि मार्च 2018 और मार्च 2023 के बीच चयनित जिलों के 218 क्लीनिकों के आवश्यक 11,191 निरीक्षणों के मुकाबले केवल 175 निरीक्षण (1.5%) ही पूरे किए गए।
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