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Tuesday, July 8, 2025
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दिल्ली के नारायणा गांव में पहुंचे पीएम मोदी, लोगों के बीच मनाया लोहड़ी का त्योहार

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नई दिल्ली

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोहड़ी समारोह में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली के नारायणा गांव पहुंचे। पीएम ने लोहड़ी की पवित्र अग्नि प्रज्वलित की। इसके साथ ही मोदी नारायणा विहार में रहने वाले लोगों से भी बातचीत की और बच्चों के साथ सेल्फी लेते दिखे। इसके अलावा उन्होंने केंद्रीय मंत्री जी. किशन रेड्डी के आवास पर आयोजित पोंगल समारोह में भी हिस्सा लिया।

बच्चों के साथ ली सेल्फी
प्रधानमंत्री ने पोस्ट में लिखा, “लोहड़ी का सभी लोगों के लिए विशेष महत्व है, विशेषकर उत्तर भारत के लोगों के लिए। यह नवीकरण और आशा का प्रतीक है। इसका संबंध कृषि और हमारे मेहनती किसानों से भी है। आज शाम मुझे दिल्ली के नारायणा में लोहड़ी समारोह में शामिल होने का अवसर मिला। इस समारोह में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों, विशेषकर युवाओं और महिलाओं ने भाग लिया। सभी को लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं!”

केंद्रीय मंत्री के आवास पर भी कार्यक्रम में पहुंचे
जी. किशन रेड्डे के आवास पर पीएम मोदी ने समारोह में मौजूद कलाकारों से बातचीत की और उनका हाथ जोड़कर अभिवादन भी किया। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर तस्वीरें शेयर करते हुए पोस्ट में लिखा, “अपने मंत्रिमंडलीय सहयोगी जी. किशन रेड्डी के आवास पर संक्रांति और पोंगल समारोह में शामिल हुआ। एक बेहतरीन सांस्कृतिक कार्यक्रम भी देखा।”

उन्होंने लिखा कि पूरे भारत में लोग संक्रांति और पोंगल को बड़े उत्साह के साथ मनाते हैं। यह कृतज्ञता, समृद्धि और नवीनीकरण का उत्सव है, जो हमारी संस्कृति की कृषि परंपराओं में समाया है। संक्रांति और पोंगल की शुभकामनाएं। सभी को खुशहाली, अच्छा स्वास्थ्य और समृद्ध फसल की शुभकामनाएं।” पीएम मोदी ने पोंगल समारोह में भोगी अग्नि भी जलाई।

लोहड़ी पर्व का है खास महत्व
लोहड़ी पर्व सिख समुदाय का प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा में मनाया जाता है। लोहड़ी रबी फसलों की कटाई और सर्दियों के खत्म होने का प्रतीक है। इस दिन लोहड़ी माता की पूजा की जाती है। शाम के समय दोस्त, रिश्तेदार और परिवार के लोग इकट्ठा होकर अलाव जलाते हैं। अग्नि के इर्द-गिर्द परिक्रमा करते हैं। इसके साथ ही अग्नि में गुड़, मूंगफली, रेवड़ी, गजक, पॉपकॉर्न आदि अर्पित कर पूजा करते हैं।

पोंगल का पर्व सूर्य देव को समर्पित है। परंपरा के अनुसार, यह दिन सर्दियों की संक्रांति के अंत और सूर्य की छह महीने लंबी उत्तरायण यात्रा की शुरुआत का प्रतीक है। त्योहार को मनाने के लिए पोंगल की मीठी डिश तैयार की जाती है और सबसे पहले देवी-देवताओं को चढ़ाई जाती है। उसके बाद कभी-कभी गायों को प्रसाद चढ़ाया जाता है और फिर परिवार के साथ साझा किया जाता है।

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