रायपुर
हास्य के हस्ताक्षर को आखिरी सलाम, कवि कुमार विश्वास और डिप्टी सीएम विजय शर्मा ने दी अंतिम विदाई,अंतरराष्ट्रीय मंचों पर अपनी विशेष शैली में हँसी की चादर ओढ़ाकर गहरी और गंभीर बातें कहने वाले पद्मश्री हास्य कवि डॉ. सुरेंद्र दुबे अब हमारे बीच नहीं रहे। गुरुवार को दिल का दौरा पड़ने से उनका निधन हो गया। उनके जाने से छत्तीसगढ़ ही नहीं, पूरा साहित्यिक जगत शोक में डूब गया है।
मारवाड़ी श्मशान घाट पर शुक्रवार को उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस मौके पर कवि कुमार विश्वास और छत्तीसगढ़ के उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने उन्हें कंधा देकर भावभीनी विदाई दी। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह, मंत्री रामविचार नेताम और मंत्री ओपी चौधरी समेत कई गणमान्य नेता और साहित्यप्रेमी उनके निवास पर पहुँचे और श्रद्धांजलि अर्पित की।
कुमार विश्वास ने कहा, “सुरेंद्र दुबे सिर्फ कवि नहीं थे, वे एक दृष्टा थे। उन्होंने हास्य की आड़ में समाज के गंभीर प्रश्नों को बड़ी सहजता से उठाया। उनका जाना एक अपूरणीय क्षति है। डॉ. दुबे के शब्दों का संसार अब मौन हो गया है, लेकिन उनके लेखन और कविताएं उन्हें सदा जीवित रखेंगी। बता दें कि उनके जीवन और साहित्यिक यात्रा पर आधारित एक ‘अभिनंदन ग्रंथ’ तैयार किया जा रहा था, जिसमें उनके संघर्ष, रचनाएं और परिवार की स्मृतियाँ शामिल थीं।
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प्रकाशक सुधीर शर्मा ने बताया कि यह ग्रंथ अगले महीने प्रकाशित होने वाला था, पर उससे पहले ही शब्दों का यह जादूगर दुनिया को अलविदा कह गया। उनके पुत्र डॉ. अभिषेक दुबे ने कहा, “पापा ने हमेशा शब्दों के ज़रिए जीवन को हल्का किया, गम्भीरता को हास्य से साधा। अब वे खुद एक स्मृति बन गए हैं, लेकिन एक ऐसी स्मृति जो हर दिल में मुस्कान छोड़ गई है। सुरेंद्र दुबे अब भले ही मंच पर ठहाके न बिखेर सकें, लेकिन उनके शब्द – जो जीवन को गुदगुदाकर सोचने पर मजबूर करते थे – हमेशा जीवित रहेंगे।