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Thursday, July 10, 2025
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गरीबी से उठकर टॉप पर आए, मेरे जैसे ही हैं… पूर्व ISRO चीफ के. सिवन ने नए अध्यक्ष वी नारायणन के बारे में कही ये बात

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नई दिल्ली:

केंद्र सरकार ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के नए अध्यक्ष और अंतरिक्ष विभाग के सचिव पद पर वी. नारायणन को नियुक्त किया है। नारायणन आईआईटी के पूर्व छात्र और क्रायोजेनिक इंजन डेवलपर हैं। नारायणन 14 जनवरी को संगठन के वर्तमान प्रमुख एस सोमनाथ से कार्यभार ग्रहण करेंगे। डॉ. नारायणन, ISRO के 11वें अध्यक्ष होंगे। उन्होंने 1984 में ISRO ज्वाइन किया था। नारायणन चंद्रयान-2 की विफलता के कारणों की जांच करने वाली समिति के अध्यक्ष भी थे और चंद्रयान-3 की सफलता में भी उनका योगदान रहा है।

खबर के मुताबिक, पूर्व ISRO प्रमुख के. सिवन ने नए अध्यक्ष वी. नारायणन की जमकर तारीफ की है। सिवन ने नारायणन को अपने जैसा बताया। उन्होंने कहा, ‘दोनों गांव से और गरीब परिवारों से आते हैं। दोनों ने तमिल माध्यम के सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की और कड़ी मेहनत से ऊंचे मुकाम पर पहुंचे।’ सिवन ने कहा कि ISRO में प्रतिभा, मेहनत और लगन ही मायने रखती है। GSLV रॉकेट के प्रोजेक्ट डायरेक्टर रहे सिवन ने वी. नारायणन को अध्यक्ष पद के लिए बेहतरीन बताया।’

क्रायोजेनिक इंजीनियर बनने का मजेदार किस्सा
नारायणन ने देश में क्रायोजेनिक इंजनों के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। क्रायोजेनिक तकनीक बेहद कम तापमान पर पदार्थों के व्यवहार से संबंधित है। नारायणन का क्रायोजेनिक क्षेत्र में प्रवेश संयोग से हुआ। क्रायोजेनिक इंजन कार्यक्रम के पूर्व प्रोजेक्ट निदेशक और नारायणन के गुरु, वासुदेव ज्ञान गांधी बताते हैं कि मुझे याद है कि विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के मेरे सहयोगी डॉ. एस. रामकृष्ण ने मुझसे पूछा था कि क्या मैं एक एनर्जेटिक युवक को देने की स्थिति में हूं जो प्रोपल्शन सिस्टम (propulsion systems) पर काम करने का इच्छुक हो।’ इसके बाद नारायणन उनके पास आए और प्रोपल्शन सिस्टम पर काम करने की इच्छा जताई। ज्ञान गांधी ने उन्हें अपनी टीम में शामिल कर लिया।

‘नारायणन काफी उत्साही इंजीनियर थे’
ज्ञान गांधी ने आगे बताया, ‘उन दिनों क्रायोजेनिक तकनीक पर एकमात्र बुनियादी सुविधा IIT खड़गपुर में उपलब्ध थी। नारायणन काफी उत्साही इंजीनियर थे और मैंने सुझाव दिया कि वे IIT खड़गपुर से MTech करें। मैं वहां के लोगों को जानता था, खासकर प्रोफेसर सुनील कुमार सारंगी, जो उस समय भारत के सबसे अच्छे क्रायोजेनिक विशेषज्ञ थे और विभाग के प्रमुख थे। मैंने सारंगी से पूछा कि क्या वह नारायणन को ले सकते हैं। उन दिनों चीजें बहुत आसान थीं। नारायणन ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया और अपने MTech बैच में टॉप किया।’ नारायणन क्रायोजेनिक इंजनों पर काम करने के लिए वापस लौटे, और 1990 के दशक की शुरुआत में रूसी तकनीक पर प्रशिक्षित होने के लिए रूस भेजे गए 20 ISRO इंजीनियरों में से एक थे।

कौन हैं वी नारायणन?

  • तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के मेलाकट्टू गांव में जन्मे नारायणन ने अपनी प्रारंभिक स्कूली शिक्षा गृहनगर में ही पूरी की। इंस्टीट्यूशन ऑफ इंजीनियर्स (एएमआईई) से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा (डीएमई) और मैकेनिकल इंजीनियरिंग में एसोसिएट मेंबरशिप हासिल करने के बाद वह क्रायोजेनिक इंजीनियरिंग में मास्टर ऑफ टेक्नोलॉजी (एम.टेक) करने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर गए। उन्होंने आईआईटी खड़गपुर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में पीएचडी भी हासिल की।
  • इसरो से वो 1984 से जुड़े हैं। तब रॉकेट और अंतरिक्ष यान प्रोपल्शन विशेषज्ञ के तौर पर शामिल हुए। 2018 में लिक्विड प्रोपल्शन सिस्टम्स सेंटर के निदेशक बने। उन्होंने पहले विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर(वीएसएससी) में साउंडिंग रॉकेट और ऑगमेंटेड सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (एएसएलवी) और पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी)के सॉलिड प्रोपल्शन क्षेत्र में काम किया था।
  • नारायणन ने जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (जीएसएलवी एमके III) सी 25 क्रायोजेनिक प्रोजेक्ट के लिए प्रोजेक्ट डायरेक्टर के रूप में भी काम किया। उन्होंने सी25 क्रायोजेनिक स्टेज बनाने वाले समूह की देखरेख की, जो 20 टन के थ्रस्ट इंजन को शक्ति देने के लिए तरल ऑक्सीजन और तरल हाइड्रोजन का उपयोग करता है। इस स्टेज पर पहली बार जीएसएलवी एमके III वाहन को सफलतापूर्वक लॉन्च किया गया था।
  • भारतीय अंतरिक्ष मिशनों के उनके प्रमुख योगदानों में चंद्रयान-2 और चंद्रयान-3 मिशनों के लिए प्रणोदन प्रणालियों का विकास शामिल है। प्रतिष्ठित वैज्ञानिक भारत के मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन, गगनयान कार्यक्रम में मानव-रेटिंग एलवीएम 3 वाहन, मानव-रेटिंग एल 110 और सी 32 क्रायोजेनिक चरणों के विकास में योगदान दे रहे हैं।
  • वह पर्यावरण नियंत्रण और सुरक्षा प्रणालियों तथा सेवा और चालक दल मॉड्यूल के लिए प्रोपल्शन प्रणालियों में भी शामिल रहे हैं। नारायणन की नियुक्ति ऐसे समय में हुई है जब भारतीय अंतरिक्ष क्षेत्र विस्तार ले रहा है। हम गगनयान मानव अंतरिक्ष उड़ान, चंद्रयान-4 मिशन और अपने अंतरिक्ष स्टेशन के विकास समेत कई प्रोजेक्ट्स पर काम कर रहे हैं।

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