नई दिल्ली:
मौसम विभाग (IMD) ने आधिकारिक तौर पर केरल में मानसून की शुरुआत की तारीख का ऐलान कर दिया है। सलाना जलवायु कैलेंडर के हिसाब से यह एक अहम घटना है। पिछले एक दशक में मानसून के आगमन की तारीखों में काफी अंतर देखा गया है। इनका खेती, पानी के संसाधनों के साथ-साथ भारतीय अर्थव्यवस्था पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है।
आईएमडी ने 2025 में 27 मई के आसपास मानसून के केरल में पहुंचने का अनुमान लगाया है। वैसे तो केरल में मानसून आगमन की सामान्य तारीख 1 जून है। पुरानी लिस्ट से पता चलता है कि मानसून कुछ सालों (जैसे 2018, 2022 और 2024) में जल्दी आया है। इसके अलावा 2015, 2016 और 2019 में देरी से आया है। देश भर में खरीफ फसल चक्र और जल भंडारण स्तरों पर सीधे प्रभाव के कारण मौसम वैज्ञानिक, किसान और नीति निर्माता इन बदलावों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं।
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए मानसून के मायने
भारत की अर्थव्यवस्था अभी भी मानसून पर काफी हद तक निर्भर है, खासकर दक्षिण-पश्चिम मानसून पर, जो देश की सलाना बारिश का करीब 70% लाता है। यह मौसमी बारिश भारत की 50% से ज्यादा खेती को सहारा देती है। खेदी एक ऐसा क्षेत्र है, जो 40% से अधिक आबादी को रोजगार देता है। सिंचाई के बुनियादी ढांचे के विकास के बावजूद, देश की लगभग आधी कृषि भूमि बारिश पर निर्भर है।
ऐसा रहा पिछले 10 सालों में मानसून का पैटर्न
साल | केरल पहुंचने की तारीख |
2015 | 5 जून |
2016 | 8 जून |
2017 | 30 मई |
2018 | 29 मई |
2019 | 8 जून |
2020 | 1 जून |
2021 | 3 जून |
2022 | 29 मई |
2023 | 8 जून |
2024 | 30 मई |
मानसून में देरी होने पर सूखे की होती है आशंका
समय पर मानसून का आगमन और समान रूप से बारिश अच्छी फसल पैदावार सुनिश्चित करने, खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने और ग्रामीण आय में सुधार करने में मदद करती है। उदाहरण के लिए, जल्दी या सामान्य मानसून आने से आम तौर पर चावल, दालों और मोटे अनाज की बुवाई में तेजी आती है। दूसरी ओर, देरी या कम मानसून के कारण सूखा पड़ सकता है, कृषि उत्पादन कम हो सकता है और खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ सकती हैं, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ता है।
शहरी इलाकों में पेयजल आपूर्ति भी रहती है निर्भर
खेती के अलावा, मानसून पानी से बिजली बनाने, शहरी इलाकों में पेयजल आपूर्ति और समग्र भूजल पुनर्भरण को भी प्रभावित करता है। उर्वरक, ट्रैक्टर, उपभोक्ता सामान और ग्रामीण बैंकिंग जैसे उद्योग भी मानसून की ताकत और समय से सीधे प्रभावित होते हैं।
बेहतर तैयारी के लिए कर सकते समय का उपयोग
मानसून 2025 में जल्दी शुरू होने का आईएमडी का पूर्वानुमान सकारात्मक है। खासकर अगर इसके बाद अच्छी तरह से वितरित वर्षा होती है। सरकारी एजेंसियां और किसान इस समय का उपयोग बेहतर तैयारी के लिए कर सकते हैं – बीज नियोजन से लेकर जल प्रबंधन रणनीतियों तक।