नई दिल्ली,
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मुख्य चुनाव आयुक्त और अन्य चुनाव आयुक्त अधिनियम, 2023 की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 4 फरवरी को सुनवाई करने पर सहमति जताई, जिसके तहत भारत के मुख्य न्यायाधीश को चुनाव आयुक्तों (ईसी) की नियुक्ति करने वाले चयन पैनल से हटा दिया गया था. जस्टिस सूर्यकांत, दीपांकर दत्ता और उज्जल भुइयां की पीठ के समक्ष अधिवक्ता प्रशांत भूषण ने याचिकाओं का उल्लेख किया, जिसमें कहा गया कि मुख्य चुनाव आयुक्त सेवानिवृत्त हो रहे हैं और नई नियुक्ति की आवश्यकता है.वर्तमान मुख्य चुनाव आयुक्त (सीईसी) राजीव कुमार 18 फरवरी को सेवानिवृत्त होने वाले हैं.
संविधान पीठ के फैसले का हवाला देते हुए, जिसमें आदेश दिया गया था कि संसद द्वारा कानून बनाए जाने तक चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति भारत के राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और भारत के मुख्य न्यायाधीश की एक समिति की सलाह पर की जाएगी.भूषण ने पीठ को बताया कि कार्यपालिका ने सीजेआई को चयन पैनल से हटा दिया है और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर उसका पूरा नियंत्रण है.
वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने भी पीठ को बताया कि संविधान पीठ के फैसले में कहा गया था कि कार्यपालिका इस मुद्दे को नियंत्रित नहीं कर सकती है.पीठ ने सुनवाई 4 फरवरी के लिए निर्धारित की और कहा, “यहां असली परीक्षा अदालत की राय और विधायी शक्तियों के प्रयोग के बीच है.”शीर्ष अदालत कांग्रेस नेताओं जया ठाकुर और एडीआर द्वारा 2023 के नए कानून के खिलाफ दायर आवेदनों पर विचार कर रही है, जो चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाले चयन पैनल से भारत के मुख्य न्यायाधीश को हटा देता है.