नई दिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मणिपुर के पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह पर जातीय हिंसा में शामिल होने के कथित आरोपों से संबंधित एक फॉरेंसिक रिपोर्ट देखी। यह रिपोर्ट एक लीक हुए ऑडियो क्लिप की सच्चाई के बारे में है। मणिपुर के पूर्व सीएम बीरेन सिंह पर वहां की जातीय हिंसा में शामिल होने का आरोप लगाया गया है। चीफ जस्टिस (CJI) संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की बेंच ने CFSL की सीलबंद रिपोर्ट को खोला। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने यह रिपोर्ट पेश की थी। कोर्ट ने मेहता से कहा कि वे राज्य के अधिकारियों से इस मामले में जांच के बारे में जानकारी लें।
‘हम किसी को बचाने के बजाय इसकी जांच करेंगे’
सॉलिसिटर जनरल मेहता ने कहा, ‘FSL रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है। हमें इसकी जांच के लिए एक महीने का समय चाहिए।’ उन्होंने यह भी कहा कि अब इस मामले को मणिपुर हाई कोर्ट में ले जाया जा सकता है क्योंकि ‘अब शांति है और जांच जारी रह सकती है’। CJI ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं को एक तरफ रखते हैं और अगर कुछ गलत हुआ है तो हम किसी को बचाने के बजाय इसकी जांच करेंगे।’ रिपोर्ट देखने के बाद, CJI ने मेहता से कहा कि उन्हें अधिकारियों से इस बारे में बात करनी होगी।
‘जांच में अब कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।’
बेंच ने आदेश दिया, ‘सॉलिसिटर जनरल ताजा जांच के बाद एक नई रिपोर्ट दाखिल करने पर ताजा निर्देश लेंगे। इसे 21 जुलाई, 2025 से शुरू होने वाले सप्ताह में फिर से सूचीबद्ध किया जाए।’ याचिकाकर्ता कुकी ऑर्गनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट (KOHUR) के वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि जांच पूर्व मुख्यमंत्री से जुड़ी है और यह निष्पक्ष होनी चाहिए। इस पर CJI ने कहा, ‘अब वहां राष्ट्रपति शासन है, इसलिए कोई समस्या नहीं होनी चाहिए।’ इसके बाद उन्होंने KOHUR की याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी।
सुप्रीम कोर्ट ने CFSL से मांगी थी सील बंद रिपोर्ट
पहले, मणिपुर सरकार ने बेंच को बताया था कि सिंह की जातीय हिंसा में भूमिका के आरोपों वाले लीक हुए ऑडियो क्लिप की सच्चाई पर एक फॉरेंसिक रिपोर्ट तैयार है और इसे दाखिल किया जाएगा। सिंह ने 9 फरवरी को मणिपुर के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। प्रदेश बीजेपी के भीतर असंतोष और नेतृत्व में बदलाव की बढ़ती मांगों के बीच उन्होंने यह कदम उठाया। इससे पहले, शीर्ष अदालत ने CFSL से सिंह की भूमिका के आरोपों वाले लीक हुए ऑडियो क्लिप की सच्चाई पर एक सीलबंद रिपोर्ट मांगी थी। ये हिंसा मई 2023 में शुरू हुई थी।
याचिकाकर्ता के वैचारिक झुकाव हैं-सॉलिसिटर जनरल
KOHUR ने सिंह की कथित भूमिका की कोर्ट की निगरानी में SIT जांच की मांग की थी। भूषण ने ऑडियो लीक के कंटेंट को ‘बहुत गंभीर मामला’ बताया और कहा थाकि सिंह को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना गया कि मेइती समूहों को राज्य सरकार के हथियार और गोला-बारूद लूटने की अनुमति दी गई थी। उन्होंने कहा, ‘मैंने टेप रिकॉर्डिंग की ट्रांसक्रिप्ट संलग्न की है।’ सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि याचिकाकर्ता के ‘वैचारिक झुकाव’ हैं और तीन हाई कोर्ट जजों की एक कमेटी की एक रिपोर्ट है, जिसमें कहा गया है कि ‘मामले को गरमाए रखने’ के प्रयास किए जा रहे हैं। भूषण ने कहा, ‘एक ट्रुथ लैब ने पुष्टि की कि 93 प्रतिशत आवाज मुख्यमंत्री की है।’ उन्होंने यह भी कहा कि ‘ट्रुथ लैब FSL रिपोर्ट से कहीं अधिक विश्वसनीय हैं।’ हालांकि, सॉलिसिटर जनरल ने ट्रुथ लैब रिपोर्ट की सच्चाई पर सवाल उठाया था। पिछले साल 8 नवंबर को, पूर्व CJI डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने KOHUR को कुछ लीक हुए ऑडियो क्लिप की सच्चाई बताने के लिए कंटेंट पेश करने का निर्देश दिया था। भूषण ने कहा था कि वह टेप की एक कॉपी CD फॉर्मेट में भी दाखिल करेंगे। हालांकि, मेहता ने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत हाई कोर्ट में याचिका दायर की जा सकती है।
मणिपुर हिंसा में 260 से अधिक की गई जान
मई 2023 में इंफाल घाटी स्थित मेइती और पड़ोसी पहाड़ी इलाकों में रहने वाले कुकी समुदायों के बीच जातीय हिंसा भड़कने के बाद से 260 से अधिक लोग मारे गए हैं और हजारों विस्थापित हुए हैं। यह हिंसा ‘ट्राइबल सॉलिडेरिटी मार्च’ के बाद शुरू हुई। यह मार्च मेइती समुदाय की अनुसूचित जनजाति के दर्जे की मांग पर मणिपुर हाई कोर्ट के एक आदेश के विरोध में पहाड़ी जिलों में आयोजित की गई थी।