BIHAR ASSEMBLY ELECTION 2025: पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी दलित वोट बैंक और प्रवासी बिहारियों को साधने के साथ-साथ जातिगत जनगणना और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों को भुनाकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर के बढ़ते प्रभाव को कम करने की योजना बना रही है. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बिहार के एनडीए नेताओं के लगातार संपर्क में हैं और उन्हें चरणबद्ध रणनीति के तहत निर्देश दे रहे हैं.
तेजस्वी-प्रशांत किशोर फैक्टर को चुनौती
ईटीवी भारत की रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी तेजस्वी-प्रशांत किशोर फैक्टर को चुनौती देने वाले सभी पहलुओं को शामिल कर एक विशेष प्रचार अभियान तैयार करने जा रही है और उसे चुनावी मैदान में उतारेगी. आपको बता दें कि इस वक्त बिहार में दलित राजनीति गर्म है. बीजेपी ने कांग्रेस द्वारा दलित नेताओं को प्रमुख पद देने और लालू प्रसाद यादव के एक कथित वीडियो में डॉ. बीआर अंबेडकर के अपमान का मुद्दा उठाया है. पार्टी ने इसे आरजेडी और महागठबंधन के खिलाफ एक हथियार बना लिया है.
हाल ही में, एनडीए सरकार पर बिहार के विभिन्न राज्य आयोगों, जिनमें अनुसूचित जाति आयोग भी शामिल है, में कई नियुक्तियों को लेकर भाई-भतीजावाद का आरोप लगा था, लेकिन बीजेपी इसे जातिगत संतुलन और दलित समुदाय को सशक्त बनाने की दिशा में एक कदम बता रही है.
प्रवासी बिहारी और सांस्कृतिक रणनीति
बीजेपी ने बिहार से बाहर रहने वाले करीब चार करोड़ प्रवासी बिहारियों को साधने के लिए एक विशेष अभियान शुरू किया है. बीजेपी कार्यकर्ताओं ने दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, महाराष्ट्र, यूपी, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में बिहारी मतदाताओं की पहचान करना शुरू कर दिया है.
छठ पूजा जैसे सांस्कृतिक आयोजनों में राज्य सरकार की सक्रिय भूमिका भी इसी रणनीति का हिस्सा है. इसके अलावा, बीजेपी अखिल भारतीय भोजपुरी परिषद के सहयोग से प्रवासी बिहारियों के लिए एक सम्मेलन आयोजित करने की योजना बना रही है.
जातिगत जनगणना और राष्ट्रवाद का कार्ड
इसके अलावा, बीजेपी ने तेजस्वी यादव और आरजेडी के ‘एम-वाई’ (मुस्लिम-यादव) समीकरण को तोड़ने के लिए जातिगत जनगणना को एक हथियार बनाया है. 2027 में होने वाली जनगणना में जातिगत विवरण शामिल करने की घोषणा बीजेपी को विपक्षी दलों के दावों का मुकाबला करने का अवसर दे रही है. हालांकि, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) जातिगत राजनीति को एक बड़ी चुनौती बता रहा है, फिर भी बीजेपी इस मुद्दे को भुनाने से पीछे नहीं हटना चाहती.
बीजेपी ऑपरेशन सिंदूर को लेकर राष्ट्रवाद का कार्ड भी खेलना चाहती है. बीजेपी पाकिस्तान के खिलाफ भारत की सैन्य कार्रवाई ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को बिहार में एक मुद्दे के रूप में भुना रही है. हालांकि, सी-वोटर सर्वे के अनुसार, इसका मतदाताओं पर सीमित प्रभाव हो सकता है, फिर भी बीजेपी इसे नीतीश कुमार के विकास कार्यों और भावनात्मक अपील से जोड़कर प्रचार कर रही है.
प्रशांत किशोर और बूथ स्तर की तैयारी
इसके अलावा, पार्टी बिहार में तीसरे विकल्प के रूप में उभर रही प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी (जेएसपी) के खिलाफ भी एक नई रणनीति तैयार कर रही है. किशोर ने दलित नेता मनोज भारती को पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष बनाकर बीजेपी और आरजेडी दोनों को चुनौती दी है.
हालांकि, लोकनीति-सीएसडीएस सर्वेक्षण का मानना है कि जेएसपी का प्रभाव अभी भी सीमित है और एनडीए को ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है. इसके बावजूद, बीजेपी इसे हल्के में नहीं ले रही है और बूथ स्तर पर डेटा इकट्ठा करने के लिए एक ‘वॉर रूम’ तैयार किया है.
अमित शाह का सूक्ष्म-प्रबंधन और प्लान बी
सूत्रों के मुताबिक, अमित शाह केंद्र से बिहार तक बीजेपी की रणनीति को सूक्ष्मता से निर्देशित कर रहे हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए एकजुट होकर चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा है. सीट बंटवारे को लेकर कोई जल्दबाजी नहीं है, लेकिन बीजेपी ने साफ कर दिया है कि नीतीश कुमार ही गठबंधन का चेहरा होंगे.
हालांकि, अगर पार्टी सूत्रों की मानें तो पार्टी प्लान बी भी तैयार कर रही है. इसी कड़ी में चिराग पासवान को भी विधानसभा चुनाव लड़ते देखा जा रहा है. इधर, पार्टी के शीर्ष नेताओं ने प्रदेश नेताओं को ई-वोटिंग की नई तकनीक से मतदाताओं को जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास करने का निर्देश दिया है.
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बिहार में पहली बार ई-वोटिंग की सुविधा शुरू होने जा रही है. जिससे प्रवासी बिहारी, बुजुर्ग और दिव्यांग लोगों को फायदा होगा. बीजेपी इसे अपनी रणनीति का हिस्सा मान रही है, ताकि ज्यादा से ज्यादा मतदाता अपने वोट डाल सकें.
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन का कहना है कि बिहार में बीजेपी और उसके सहयोगियों की सरकार बनने जा रही है. विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है. उन्होंने कहा कि जिस पार्टी के नेताओं ने बाबा साहेब की तस्वीर को पैरों के पास रखकर उनका अपमान किया और माफी भी नहीं मांगी, क्या ऐसी पार्टियां पिछड़े और दलित समुदाय का विकास करेंगी?
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने जातिगत जनगणना की घोषणा की है, जिससे जाति के नाम पर वोट मांगने वाली पार्टियां भी उसका श्रेय लेने की होड़ में हैं. लेकिन बिहार की जनता जानती है कि उनके राज्य का विकास केवल डबल इंजन सरकार में ही होगा, इसलिए वे एनडीए के साथ रहेंगे.
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कुल मिलाकर, बिहार में बीजेपी की चरणबद्ध रणनीति दलित वोट बैंक, प्रवासी बिहारियों, जातिगत जनगणना और ऑपरेशन सिंदूर जैसे मुद्दों पर केंद्रित है. अमित शाह के नेतृत्व में केंद्र और बिहार के एनडीए नेता तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर जैसे उभरते चेहरों को चुनौती देने के लिए तैयार हैं. क्या बीजेपी की यह रणनीति बिहार में फिर से कमल खिला पाएगी, यह अक्टूबर 2025 में होने वाले चुनाव ही तय करेंगे.
अस्वीकरण: यह खबर 20 जून 2025 को उपलब्ध जानकारी और पार्टी सूत्रों पर आधारित है. राजनीतिक रणनीतियाँ बदल सकती हैं और चुनावी नतीजे पूर्वानुमान से भिन्न हो सकते हैं.