बिहार विधानसभा चुनावों के कारण राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है, और इस बीच एक शब्द – ‘रंगदारी’ – बिहार की गलियों से लेकर राजनीतिक मंचों तक और सोशल मीडिया पर भी खूब चर्चा में है. यह शब्द सुनने में भले ही भड़काऊ लगे, लेकिन इसका इस्तेमाल विपक्षी पार्टियों को निशाना बनाने के लिए एक चुनावी हथियार के तौर पर किया जा रहा है.
NDA के नेताओं ने इस शब्द को अपने चुनाव प्रचार का केंद्र बना लिया है, जबकि विपक्ष इसे डर फैलाने की कोशिश बता रहा है. आइए जानते हैं कि ‘रंगदारी’ क्या है और यह बिहार की राजनीति में इतनी क्यों हावी है.
1. ‘रंगदारी’ का असल में क्या मतलब है?
‘रंगदारी’ का सीधा मतलब है अवैध रूप से और बलपूर्वक धन वसूलना.
- परिभाषा: ‘रंगदारी’ का अर्थ है बिना किसी अधिकार के कमज़ोर व्यक्ति से जबरन पैसा वसूलना. इसे बोलचाल की भाषा में ‘हफ्ता वसूली’ या ‘एक्सटॉर्शन’ (Extortion) भी कहा जाता है.
- इतिहास: बिहार के लिए यह शब्द नया नहीं है. 1990 के दशक में, रंगदार स्थानीय गुंडे होते थे जो सुरक्षा के नाम पर पैसा वसूलते थे. वे कभी बाज़ार का हिसाब रखते थे, तो कभी ठेकेदारी का. उस समय उनकी पकड़ इतनी मज़बूत थी कि पुलिस भी अक्सर चुप रहती थी.
2. पीएम मोदी ने ‘रंगदारी’ को बनाया चुनावी हथियार
बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषणों में इस शब्द का इस्तेमाल मुख्य रूप से राष्ट्रीय जनता दल (RJD) पर हमला करने के लिए किया.
- पीएम मोदी का हमला: औरंगाबाद की जनसभा में पीएम मोदी ने कहा था, “जंगलराज वालों के पास वो सब कुछ है जो निवेश (Investment) और रोज़गार (Jobs) को डराता है. ये तो बच्चों से भी रंगदारी की बात कर रहे हैं.”
- गीत का उल्लेख: पीएम मोदी ने एक पुराने गाने की लाइन का भी हवाला दिया था कि “भैया की सरकार आएगी, तो रंगदारी वसूली जाएगी.”
3. बिहार में क्यों बढ़ी ‘रंगदारी टैक्स’ की जड़ें?
‘रंगदारी टैक्स’ की जड़ें बिहार के उस दौर से जुड़ी हैं, जब लालू यादव और राबड़ी देवी की सरकारों पर “जंगल राज” का आरोप लगता था.
- जंगल राज के आरोप: उस दौर में अपहरण, हत्या और रंगदारी की कहानियाँ अक्सर सुर्खियों में रहती थीं.
- NDA का मुद्दा: 2025 के विधानसभा चुनाव में, NDA ने इस पुराने मुद्दे को फिर से उठाकर विपक्षी दलों को घेरने की कोशिश की है.
- जे.पी. नड्डा का बयान: बीजेपी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा ने भी RJD पर निशाना साधते हुए कहा था कि RJD का मतलब रंगदारी, गुंडागर्दी और जंगलराज है.
4. विपक्ष की प्रतिक्रिया: डर फैलाने की कोशिश
NDA द्वारा ‘रंगदारी’ शब्द के बार-बार इस्तेमाल पर विपक्षी दलों ने आपत्ति जताई है.
- विपक्ष का आरोप: विपक्षी पार्टियाँ इसे मतदाताओं के बीच डर फैलाने और पुरानी बातों को याद दिलाकर चुनावी लाभ लेने की कोशिश बता रही हैं.

