दिल्ली,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ताजपोशी के साथ ही भारतीय राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो गई है. अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपना तीसरा कार्यकाल पूरा कर लेते हैं, तो रायसीना हिल्स पर एक नई इबारत लिखी जाएगी. 2029 में लुटियंस की दिल्ली ना सिर्फ सबसे लंबे समय तक निर्वाचित प्रधानमंत्री का गवाह बनेगी बल्कि सीसीएस (CCS) के मंत्रियों का भी साक्षी बनेगी, जिन्होंने अनवरत 10 साल तक एक ही मंत्रालय का पद भार संभाला है.विदेश मंत्रालय को छोड़ कर (जवाहरलाल नेहरू के पास 1952-64, 12 साल तक विदेश मंत्रालय था) CCS (सीसीएस) के तीन मंत्री, नया कीर्तिमान स्थापित कर सकते हैं.
गृहमंत्री अमित शाह
साल 1951-52 में जब देश का पहला आम चुनाव हुआ था, तब नेहरू की कैबिनेट में कैलाश नाथ काटजू को गृहमंत्री बनाया गया था, लेकिन वे इस पद पर केवल चार साल तक ही रहे और साल 1955 में उनकी जगह गोविंद बल्लभ पंत को गृहमंत्री बनाया गया था. वे साल 1961 तक इस पद पर रहे, 7 मार्च 1961 को पद पर रहते ही उनका निधन हो गया था.
उसके बाद साल 1998 तक सबसे लंबे समय तक गृहमंत्री रहने का रिकॉर्ड गोविंद बल्लभ पंत के नाम ही था, फिर इसमें लाल कृष्ण आडवाणी का नाम शुमार हो गया और वे 1998 से 2004 तक वाजपेयी सरकार में गृहमंत्री के पद पर आसीन रहे. अब ये दोनों रिकॉर्ड गृहमंत्री अमित शाह तोड़ सकते हैं, उन्हें मोदी 3.O लगातार दूसरी बार गृहमंत्री बनाया गया है. अगर अमित शाह अपना कार्यकाल पूरा कर लते हैं, तो वे देश के सबसे लंबे समय तक रहने वाले गृहमंत्री बन जाएंगे.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह
2014 में जब पहली बार केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी थी तो उसमें राजनाथ सिंह को गृहमंत्री बनाया गया था, लेकिन 2019 में उनका मंत्रालय बदल कर उन्हें रक्षा मंत्री बना दिया गया. साल 2024 की नव गठित सरकार में भी राजनाथ सिंह को रक्षा मंत्रालय का ही पद भार दिया गया है. भारतीय राजनीति के 70 साल से अधिक की यात्रा में राजनाथ सिंह दूसरे ऐसे नेता हैं, जिन्होंने अनवरत दूसरी बार रक्षा मंत्री का पद भार संभाला है.उनके पहले एके एंटनी 2006 से 2014 तक निरंतर 8 साल इस पद पर रहे थे. ऐसे में बतौर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह अगर 2029 तक पद पर रह जाते हैं तो वे दो दशक तक रहने वाले इकलौते रक्षामंत्री बन जाएंगे.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण
मोदी सरकार में (2017) में निर्मला सीतारमण को रक्षा मंत्री बनाया गया था. इसके बाद साल 2019 में उन्हें वित्त मंत्री बनाया गया. मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में उन्हें वित्त मंत्रालय ही दिया गया है. वे लगातार दो बार वित्त मंत्री बनने वाली पहली नेता बन गई हैं.देश के पहले वित्तमंत्री सी.डी. देशमुख ने साल 1956 में वित्तमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया था, हालांकि वे इस पद पर 1950 से ही थे, लेकिन निर्वाचित सरकार में देशमुख चार साल ही मंत्री रहे थे.
इसके चार दशक बाद देश को मनमोहन सिंह (1991-96) के रूप में एक ऐसा वित्त मंत्री मिला जिसने अपना कार्यकाल पूरा किया था. इसके बाद अरुण जेटली (2014-19) दूसरे ऐसे नेता बने जिन्होंने वित्तमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा किया. 2019 से वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी निर्मला सीतारमण के पास है, वे अगर अपना दूसरा कार्यकाल पूरा कर लेती हैं तो ये एक अभूतपूर्व उपलब्धि होगी.