नई दिल्ली,
पहलगाम आतंकी हमले की शुरुआती जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. विदेश मंत्रालय ने संसद की स्थायी समिति को बताया है कि हमले में शामिल आतंकियों के पाकिस्तान में बैठे सरगनाओं से ‘कम्युनिकेशन नोड’ यानी संपर्क सूत्र जुड़े हुए हैं. यह हमला पहले के उन हमलों से मिलता-जुलता है जिनकी जिम्मेदारी ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने ली थी. मंत्रालय ने साफ किया कि यह संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ही दूसरा नाम है.
पाकिस्तान की भूमिका
विदेश मंत्रालय ने कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद के पनाहगाह के रूप में इतिहास पूरी दुनिया के सामने है और इसके खिलाफ पर्याप्त सबूत मौजूद हैं. पाकिस्तान द्वारा भारत पर लगाए जा रहे ‘एक्स्ट्रा-ज्यूडिशियल’ और ‘एक्स्ट्रा-टेरिटोरियल’ हत्याओं के आरोप बेबुनियाद हैं. यह सिर्फ एक झूठा नैरेटिव बनाने की कोशिश है कि जैसे दोनों देश आतंकवाद के बराबर शिकार हैं, जबकि सच्चाई इससे बिल्कुल अलग है.
ऑपरेशन सिंदूर के तहत हमले
भारत ने 7 मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकियों के नौ ठिकानों पर मिसाइल हमले किए. इनमें जैश-ए-मोहम्मद का बहावलपुर स्थित अड्डा और लश्कर-ए-तैयबा का मुरिदके बेस शामिल था. इन हमलों में 100 से अधिक आतंकियों को मार गिराया गया, जिनमें यूसुफ अज़हर, अब्दुल मलिक रऊफ और मुदस्सिर अहमद जैसे हाई-वैल्यू टारगेट भी शामिल थे.
भारत की वैश्विक पहल
10 मई को भारत और पाकिस्तान के बीच चार दिन के ड्रोन और मिसाइल हमलों के बाद संघर्षविराम पर सहमति बनी. इसके बाद केंद्र सरकार ने 51 राजनीतिक नेताओं, सांसदों और पूर्व मंत्रियों की 7 टीमों का गठन किया है, जो दुनिया भर की राजधानियों में जाकर भारत की आतंकवाद के खिलाफ नीति और प्रतिबद्धता को सामने रखेंगे.