नई दिल्ली
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने कहा है कि उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को PMLA कानून के गलत इस्तेमाल के बारे में चेतावनी दी थी। यह बात उन्होंने तब कही थी जब पी. चिदंबरम ने इस कानून में बदलाव किए थे। शरद पवार ने शनिवार को कहा कि उन्होंने मनमोहन सिंह से कहा था कि चिदंबरम द्वारा लाए गए बदलावों से इस कानून का गलत इस्तेमाल हो सकता है। लेकिन उनकी बात नहीं मानी गई। उन्होंने यह भी कहा कि आज चिदंबरम खुद ही इस संशोधन का शिकार हो गए हैं।
मनी लॉन्ड्रिंग कानून
पीएमएलए यानी मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम, 2002, जो भारत में मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने और इससे प्राप्त संपत्ति को जब्त करने के लिए बनाया गया एक आपराधिक कानून है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) इस अधिनियम को लागू करने, जांच करने, संपत्ति कुर्क करने और अपराधियों पर मुकदमा चलाने के लिए जिम्मेदार है। पीएमएलए मनी लॉन्ड्रिंग के तीन चरणों से निपटता है: प्लेसमेंट, लेयरिंग और इंटीग्रेशन।
चिदंबरम ने संशोधन किया, मैंने मना किया था
पवार ने कहा, “मैं उस समय केंद्र सरकार में था। जब चिदंबरम ने PMLA में संशोधन किया, तो मैंने इसका विरोध किया था। मैंने तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को बताया था कि इसका गलत इस्तेमाल होगा। लेकिन मेरी बात नहीं मानी गई।” उन्होंने आगे कहा कि उन्हें डर था कि इस कानून का इस्तेमाल विपक्षी दलों के खिलाफ किया जाएगा।
शरद पवार, शिवसेना (UBT) के राज्यसभा सांसद संजय राउत की किताब ‘नर्कातला स्वर्ग (Heaven in Hell)’ के लॉन्च पर बोल रहे थे। यह किताब संजय राउत के आर्थर रोड जेल में बिताए तीन महीनों का संस्मरण है। राउत को ED ने पात्रा चॉल पुनर्विकास परियोजना में कथित वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में गिरफ्तार किया था। बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी।
ED द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इस कानून में बदलाव जरूरी
पवार ने कहा, “मेरे अनुसार, राज्य और केंद्र में सत्ता परिवर्तन के बाद सबसे पहला काम ED द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे इस कानून में बदलाव करना होना चाहिए। यह कानून व्यक्तियों और राजनीतिक दलों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।” उनका कहना है कि ED इस कानून का इस्तेमाल करके लोगों को परेशान कर रही है। इसलिए, इसमें बदलाव करना बहुत जरूरी है।
शरद पवार ने यह भी कहा कि जब राज्य और केंद्र में सरकार बदलेगी, तो इस कानून में बदलाव किया जाएगा। ताकि किसी भी निर्दोष व्यक्ति को परेशान न किया जाए। पवार जी का यह बयान बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि उन्होंने खुद इस कानून के गलत इस्तेमाल की आशंका जताई थी।