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Sunday, July 6, 2025
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पहलगाम हमले में अल उमर मुजाहिद्दीन का हाथ, जेल में बंद लश्कर के आतंकियों से NIA की पूछताछ में बड़ा खुलासा

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श्रीन

पहलगाम हमले की जांच कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) बैसरन वैली के हमलवरों के साथ साजिशकर्ताओं तक पहुंचने के लिए लगातार जांच में जुटी है। एनआईए को आतंकी हमले के चश्मदीद, स्थानीय लोगों के साथ आतंकियों और ओजीडब्ल्यू वर्कर्स से पूछताछ में काफी अहम सुराग हाथ लगे हैं। सूत्रों के अनुसार पहलगाम आतंकी हमले के पीछे अल उमर मुजाहिदीन के मुखिया मुश्ताक अहमद जरगर की भूमिका है। एनआईए की जांच में पता चला है कि उसके समर्थकों ने पहलगाम हमले के ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGW) की मदद की थी। सूत्रों की मानें तो बैसरन में आतंकी हमले को अंजाम देने वाले आतंकियों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई थी। यह ट्रेनिंग पाकिस्तान के कमांडरों ने दी थी।

मसूद अहजर कनेक्शन निकला!
श्रीनगर का रहने वाले के घर को एनआईए ने साल 2023 में कुर्क किया था। मुश्ताक अहमद जरगर काे कंधार हाईजैक के बाद मसूद अजहर के साथ रिहा किया गया था। मुश्ताक अहमद जरगर के संगठन अल उमर मुजाहिदीन को भारत सरकार ने प्रतिबंधित किया हुआ है। मुश्ताक अहमद जरगर आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद का ऑपरेशनल कमांडर है। वह 2019 में हुए पुलवामा हमले में आरोपी भी है। सूत्रों की मानें तो मुश्ताक जरगर फिलहाल पाकिस्तान में है, लेकिन श्रीनगर का होने के नाते ओवर ग्राउंड वर्कर्स और उनके समर्थकों में उसकी पकड़ बताई जा रही है।इससे पहले कुपवाड़ा के रहने वाले फारूक अहमद को आतंकियों को गूगल माना गया था। उसने ही आतंकियों को पहाड़ी रास्तों के बारे में ब्रीफ किया था। एनआईए जेल में बंद आतंकियों से पूछताछ में जरगर का नाम सामने आने पर सभी एंगल खंगाल रही है

JKLF का रह चुक है मेंबर
एनआईए के सूत्रों का कहना है कि कंधार विमान अपहरण कांड में यात्रियों की रिहाई के बदले छोड़े गए जरगर ने पहलगाम हमले की पूरी साजिश रची थी। जरगर कंधार प्लेन हाईजैक केस के दौरान कश्मीर की जेल में बंद था। जरगर पहले जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) से जुड़ा था, लेकिन बाद में यासीन मलिक से मतभेदों के बाद उसने 90 के दशक में अलग संगठन खड़ा किया था। इसका नाम आतंकी संगठन अल उमर मुजाहिदीन था। कश्मीर में जब कश्मीरी पंडितों समेत गैर मुस्लिमों के खिलाफ 90 के दशक में टारगेटेड हमले हुए तो उसमें जरगर का नाम सामने आया। पहलगाम आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हुई थी। पाकिस्तान को कड़ा जवाब देने के लिए भारत ने अब कई कूटनीतिक कदम उठाए हैं। इसमें सिंधु जल समझौता रद्द करने के साथ भारतीय एयरस्पेस को बंद जैसे बड़े कदम शामिल हैं।

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