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एकनाथ शिंदे की हुई शिवसेना, झटके के बाद एक्शन में उद्धव ठाकरे, बुलाई सांसद-विधायकों की मीटिंग

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मुंबई,

शिवसेना का नाम और चुनाव चिन्ह छिनने के उद्धव ठाकरे ने आज दोपहर एक बजे पार्टी के विधायकों और सांसदों की मीटिंग बुलाई है. चुनाव आयोग ने शुक्रवार को एकनाथ शिंदे गुट को पार्टी का नाम और शिवसेना का प्रतीक तीर कमान सौंप दिया है. सीएम शिंदे ने इस फैसले को लोकतंत्र की जीत बताया तो वहीं संजय राउत ने इसे लोकतंत्र की हत्या करार दिया. ठाकरे गुट की ओर से कहा गया है कि वो इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगे.

चुनाव आयोग के इस फैसले के बाद महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे ने आजतक से बातचीत करते हुए कहा था कि ये लोकतंत्र की जीत है. लोग हमसे जुड़ रहे हैं. ये सत्य की जीत है. ये बालासाहेब के विचारों की जीत है. एकनाथ शिंदे ने कहा कि ये लाखों कार्यकर्ताओं की जीत है.

शिवसेना सांसद संजय राउत ने ट्वीट कर कहा कि इसकी स्क्रिप्ट पहले से ही तैयार थी. देश तानाशाही की ओर बढ़ रहा है. जबकि कहा गया था कि नतीजा हमारे पक्ष में होगा, लेकिन अब एक चमत्कार हो गया है. लड़ते रहो. संजय राउत ने कहा कि ऊपर से नीचे तक करोड़ों रुपए पानी की तरह बहाया है. हमें फिक्र करने की जरूरत नहीं है, क्योंकि जनता हमारे साथ है. लेकिन हम जनता के दरबार में नया चिह्न लेकर जाएंगे और फिर से शिवसेना खड़ी करके दिखाएंगे, ये लोकतंत्र की हत्या है.

उद्धव के फैसले को प्रकाश अंबेडकर ने सही ठहराया
वंचित बहुजन अघाड़ी के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर ने कहा कि शिवसेना को लेकर चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ उद्धव ठाकरे का सुप्रीम कोर्ट जाने का फैसला सही है. मूल रूप से सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या चुनाव आयोग को पार्टी के आंतरिक विवादों पर निर्णय लेने का अधिकार है. वैसे भी, चुनाव कराना चुनाव आयोग का काम है, राजनीतिक दलों के बीच विवादों का फैसला करना चुनाव आयोग का काम नहीं है. अगर उद्धव जी इस मुद्दे को लेकर सुप्रीम कोर्ट जाते हैं तो उन्हें न्याय जरूर मिलेगा.

शिंदे गुट में शामिल हो सकते हैं कई पूर्व पार्षद
उद्धव गुट से पार्टी का नाम और निशान जाने के बाद मुंबई के पूर्व पार्षदों का ग्रुप शिंदे के साथ जाना चाहता है. आने वाले दिनों में कुछ पार्षद शिंदे के गुट में शामिल हो सकते हैं. पूर्व पार्षद अमेय घोले का ट्वीट इस ओर संकेत दे रहा है. उन्होंने लिखा कि क्लरों पर ज्यादा भरोसा करें. हर जनप्रतिनिधि समझदार नहीं होता. अपने को युवा सेना प्रमुख समझने वाले इस क्लर्क को ध्यान देना चाहिए कि कितने विभाग के प्रमुख इसके खिलाफ बोल रहे हैं. घोले को आदित्य ठाकरे का करीबी माना जाता है. घोले क्लर्क का जिक्र कर रहे हैं, यह आदित्य के करीबी सहयोगियों के संदर्भ में होने की संभावना है.

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