अहमदाबाद,
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जन्मस्थली वडनगर को अपने पुरातत्वीय इतिहास के लिए भी जाना जाता है. अब वडनगर को नई सौगात मिल गई है, जहां एक संग्रहालय बनाया गया है जो 2500 वर्षों की संस्कृति, सभ्यता और इतिहास को दिखाता है. ये भारत में अपनी तरह का पहला संग्रहालय है, जिसे केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने राज्य पुरातत्व एवं संग्रहालय निदेशालय की मदद से विकसित किया है.
इस संग्रहालय का उद्देश्य यहां खुदाई के दौरान मिली पुरातात्विक वस्तुओं के माध्यम से वडनगर के बहुस्तरीय सांस्कृतिक इतिहास को उजागर करना और 2500 से ज्यादा वर्षों से शहर में हो रहे मानव विकास से लोगों को अवगत करना है.
खुदाई में मिले सिक्के
एएसआई डीजी वाईएस रावत ने कहा कि वडनगर में इस बात के सबूत मिले हैं कि यहां मौर्य काल से ही एक जीवित शहर रहा है. वडनगर में उस वक्त के सिक्के, लेख ये दिखाते हैं कि यहां की नगरीय व्यवस्था कैसी थी और कितने तालाब या झील यहां पर थीं.
वहीं, विदेश के इतिहासकारों ने भी वडनगर की शैक्षणिक विरासत के बारे में कई लेख लिखे हैं. वडनगर के लोग हर शासन काल मे स्थानीय राजा के दिवान या सलाहकार भी रहे है. यहां बौद्ध, जैन संस्कृति और धर्म का संगम भी मिला है. इस म्यूजियम में फिजिकल और डिजिटल का मिश्रण करके डिजिटल माध्यम से जानकारी दी जा रही है. छात्रों को इतिहास समझने मे दिक्कत न हो उसका पूरा ध्यान रखा गया है.
संग्रहालय की विशेषता
संग्रहालय एक पुल के माध्यम से जीवित उत्खनन स्थल से जुड़ा हुआ है. ₹298 करोड़ की अनुमानित लागत से निर्मित चार मंजिला संग्रहालय लगभग 12,500 वर्ग मीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है.संग्रहालय में पुरातात्विक खुदाई के दौरान मिली 5000 से अधिक कलाकृतियां हैं जो वडनगर के 2500 वर्षों के इतिहास और इसके प्राचीन ज्ञान के भंडार को उजागर करती हैं.दृश्य-श्रव्य फिल्मों और प्रदर्शनियों के साथ, यह पुरातात्विक अनुभव संग्रहालय इतिहास और संस्कृति प्रेमियों के लिए एक विशेष उपहार है.
पर्यटकों को वडनगर की पुरातात्विक खुदाई में मिले अवशेषों का अनुभव प्रदान करने के लिए एक स्थायी शेड का निर्माण किया गया है और अन्य पर्यटक सुविधाएं विकसित की गई हैं. संग्रहालय में 9 विषयगत दीर्घाएं भी हैं जो विभिन्न कालखंडों की कला, मूर्तिकला और क्षेत्र की भाषा को प्रदर्शित करती हैं.