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तमिलनाडु के पूर्व मंत्री बालाजी को सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत, खूब फूटे पटाखे, क्या फिर बनेंगे मंत्री?

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चेन्नै/नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के पूर्व मंत्री सेंथिल बालाजी को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जमानत दे दी। कैश फॉर जॉब मामले में मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में बालाजी के खिलाफ ED ने केस दर्ज किया था। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस ए. एस. ओका की अगुआई वाली बेंच ने मामले में सुनवाई की और फिर 12 अगस्त को फैसला सुरक्षित कर लिया था। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर ट्रायल पूरा होने में काफी देरी हो और जमानत की शर्तें कठोर हों तो फिर यह दोनों साथ-साथ नहीं चल सकता है। 14 जून 2023 को सेंथिल बालाजी को गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद गुरुवार देर शाम बालाली को रिहा कर दिया गया।

क्या सरकार में होगी वापसी?
सुप्रीम कोर्ट ने जमानत मिलने के बाद सेंथिल बालाजी को फिर से स्टालिन कैबिनेट में शामिल किए जाने की संभावना है। उन्हें सीएम स्टालिन फिर से बिजली, गैर-पारंपरिक ऊर्जा विकास, निषेध और उत्पाद शुल्क तथा गुड़ के विभाग वापस मिल दे सकते हैं। 471 दिनों के बाद बालाजी की रिहाई पर खुशी जताते हुए स्टालिन ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने पोस्ट में कहा कि मौजूदा परिदृश्य में जहां प्रवर्तन विभाग को राजनीतिक विरोधियों पर अत्याचार करने वाले विभाग में बदल दिया गया है, ऐसे में सुप्रीम कोर्ट ही एकमात्र राहत है। उन्होंने लिखा है कि आपातकाल के दौरान भी किसी को इतने दिनों की जेल की सजा नहीं हुई थी। स्टालिन के पोनमुडी को वापस कैबिनेट में ले चुके हैं।

कोर्ट ने की कठोर टिप्पणी
सुप्रीम कोर्ट ने पहले के कई जजमेंट को रेफर किया और कहा कि इस मामले में जमानत की शर्त कठिन है और ट्रायल में देरी हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पहले के नजीब केस में जो फैसला है उसके स्कोप को हम थोड़ा विस्तार देते हैं और आरोपी को जमानत देते हैं। कोर्ट ने बालाजी को जमानत देते हुए कहा कि निकट भविष्य में ट्रायल पूरा होने की कोई संभावना नहीं है। बालाजी 15 महीने से जेल में बंद हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बालाजी को ED ने पिछले साल गिरफ्तार किया था और वह लगातार हिरासत में हैं। अगर वह लगातार हिरासत में रहे तो यह उनके जीवन के अधिकार (अनुच्छेद-21) का उल्लंघन होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले में 600 से ज्यादा गवाह हैं। बालाजी को जमानत देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सख्त शर्तें तय की।

कड़ी शर्तों के साथ बेल
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत जमानत का प्रावधान सख्त है। लेकिन इसे आरोपियों को जेल में रखने का टूल नहीं बनाया जा सकता है ट्रायल को उचित समय में पूरा किए बगैर मनी लॉन्ड्रिंग ऐक्ट के सख्त प्रावधान को टूल की तरह इस्तेमाल कर आरोपी को लगातार हिरासत में नहीं रखा जा सकता है। इस मामले में ट्रायल अगले तीन-चार साल में पूरा होता नहीं दिखता है। सुप्रीम कोर्ट में ED की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने दलील दी कि बालाजी गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं और सख्त जमानत की शर्त होनी चाहिए। शीर्ष अदालत ने बालाजी को जमानत देते हुए 25 लाख रुपये का बेल बॉण्ड और इतनी ही राशि के दो जमानती पेश करने को कहा। साथ ही कहा कि वह प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर गवाहों को प्रभावित न करें।

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