जयपुर:
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने एक बार फिर कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अचानक हुआ सीजफायर समझ से परे है। देश की जनता यह जानना चाहती है कि सरकार ने सीजफायर का फैसला किन मापदंडों और किन आश्वासनों के बाद लिया गया। जयपुर में मीडिया से बात करते हुए पायलट ने कहा कि जिस देश के साथ आपने समझौता किया है, क्या विश्वसनीयता है उसकी? कैसे विश्वास करें कि आगे से वह इस प्रकार के काम नहीं करेगा। भारतीय सेना आतंकवाद का खात्मा कर रही थी और नापाक हमलों का बखूबी जवाब भी दे रही थी।
तीसरे मुल्क के राष्ट्रपति ने की सीजफायर की घोषणा
पायलट ने कहा कि पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद को हमने कई दशकों से झेला है। चाहे वह कश्मीर हो, पंजाब हो, कई जगह हमले होते रहे हैं। इसे पूरी दुनिया जानती भी है। अब पूरा देश आतंकवाद से तंग आ चुका है, हम चाहते हैं कि आतंकवाद समाप्त हो और जिसने पाकिस्तान की सरजमीं पर आतंकवाद को पनपाया। उनका सफाया होना जरूरी है। ऑपरेशन सिंदूर में हमारी सेना ने पराक्रम का परिचय दिया है। बड़ी मुस्तैदी से ना सिर्फ भारत की रक्षा की बल्कि उन ठिकानों को नष्ट किया है जो आतंकवाद की नर्सरी थे। पायलट ने कहा कि पूरा देश भारतीय सेना को सलाम करता है लेकिन जिस तरीके से युद्ध विराम किया गया। उसकी घोषणा एक तीसरे मुल्क के राष्ट्रपति करते हैं, यह अप्रत्याशित है। आज तक कभी ऐसा हुआ नहीं है।
आईएमएफ के लोन का दुरुपयोग होने का संदेह
पायलट ने कहा कि हैरानजनक बात तो यह है कि अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने हाल ही में पाकिस्तान को 2.4 अरब डॉलर का लोन मिलना तय हुआ है। क्या गारंटी है कि पाकिस्तान इन लोन का दुरुपयोग नहीं करेगा। वह पूर्व की भांति टेरर फंडिंग भी कर सकता है। अमेरिका के राष्ट्रपति कहते हैं कि बहुत व्यापार करेंगे पाकिस्तान के साथ। तो जो संसाधन पाकिस्तान के पास है, उसका वह दुरुपयोग नहीं करेगा, इसकी क्या गारंटी है। पाकिस्तान पर भरोसा नहीं किया जा सकता। सीजफायर के बाद भी पाकिस्तान ने इसका उल्लंघन किया जिसकी वजह से कश्मीर में बेगुनाह लोगों की जान गई थी।
भारत और पाकिस्तान को एक तराजू में तोलना गलत
उन्होंने कहा कि अलग अलग देशों से आवाजें आ रही है, उसमें कहीं न कहीं भारत और पाकिस्तान को एक तराजू में तोलने का काम किया जा रहा है जो कि बहुत गलत है। भारत और पाकिस्तान की कोई तुलना नहीं की जा सकती है। भारत की अर्थव्यवस्था पाकिस्तान से 11 गुना ज्यादा है। वहां को चुने हुए प्रधानमंत्री इमरान खान को जेल में डाला हुआ है। आईएसआई और पाकिस्तानी आर्मी देश को चलाती है। वहां की सरकार बहुत कमजोर सरकार है। ऐसे में उनकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा होता है। इसलिए सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि किन मापदंडों और आश्वासनों को देखकर हम लोगों ने यह सीजफायर किया है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वक्तव्य देते हैं उसका कोई मतलब ही नहीं है। उच्च लेवल से एक खंडन आना चाहिए कि हमने किसी व्यापार के लोभ में या किसी डर से यह समझौता नहीं किया है।
कश्मीर का मुद्दा द्विपक्षीय है
पायलट ने कहा कि अभी मामला आतंकवाद खत्म करने की बात चल रही है और अमेरिका के राष्ट्रपति ने कश्मीर का शूगिफा छोड़ दिया। ट्रंप साहब तीन बार स्टेटमेंट दे चुके हैं लेकिन उन्होंने कभी भी आतंकवाद शब्द का इस्तेमाल नहीं किया। कश्मीर मामला द्विपक्षीय है। इसका अंतर्राष्ट्रीयकरण करना गलत है।