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इधर से सस्ता खरीदा और उधर बेच डाला महंगा, रूस-यूक्रेन की लड़ाई में भारत ने खूब बनाया पैसा

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नई दिल्ली

यूक्रेन पर हमले के चलते अमेरिका (US) सहित पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े प्रतिबंध लगाए। इससे वे रूस से न तो कच्चा तेलखरीद सकते हैं ना ही गैस । मजे की बात यह है कि इसका भारत ने जमकर फायदा उठाया। भारत ने सस्ती दरों पर रूस से कच्चा तेल खरीदा और उसे रिफाइन करके अमेरिका को बढ़ी हुई कीमतों में बेचा। इससे भारतीय रिफाइनरीज ने जमकर मुनाफा कमाया। सरकार को भी जब लगा कि रिफाइनरीज अच्छा मुनाफा कमा रही है, तो उसने विंडफॉल टैक्स लगाकर खूब राजस्व वसूला।

अमेरिका और कनाडा ने बैन किया हुआ है रूसी तेल
भारत ने इस साल अमेरिका को जमकर वैक्यूम गैसोलीन (VGO) निर्यात किया है। यह ऑयल प्रोडक्ट्स के लिए भारत का एक असामान्य ट्रेड फ्लो है। पश्चिमी देशों द्वारा रूसी सप्लाई का विकल्प तलाशने के चलते यह हुआ है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट से यह जानकारी मिली। यूक्रेन पर हमले के बाद से यूएस और कनाडा ने रूसी तेल आयात को बैन कर दिया है। वहीं, यूरोपियन यूनियन के रूसी क्रूड और ऑयल प्रोडक्ट्स के आयात पर प्रतिबंध क्रमश: 5 दिसंबर और 5 फरवरी को प्रभावी होंगे।

भारत ने उठाया मौके का फायदा
मौके का फायदा उठाते हुए दुनिया के तीसरे सबसे बड़े तेल आयातक देश ने रूसी तेल आयात को काफी बढ़ा दिया। साथ ही भारत ने बड़े मार्जिन के साथ पश्चिमी देशों को ऑयल प्रोडक्ट्स का जमकर निर्यात भी किया।

भारत से अमेरिका और यूरोप जाएगा वीजीओ
ताजा अपडेट यह है कि ग्लोबल ऑयल ट्रेडर्स विटोल और ट्रैफिगुरा दोनों ने भारतीय रिफाइनरी नायरा एनर्जी से एक-एक कार्गो वीजीओ खरीदा है। यह वीजीओ का टेंडर दुबई क्रूड की कीमतों की तुलना में 10 से 15 डॉलर प्रति बैरल के प्रीमियम पर हुआ है। इस प्रीमियम पर कार्गो दिसंबर में भारत के वाडिनार बंदरगाह से लोड होंगे। सूत्रों के अनुसार, इन कार्गो के अमेरिका और यूरोप जाने की संभावना है। इससे पहले, अफ्रामैक्स टैंकर शंघाई डॉन ने रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड के जामनगर बंदरगाह से कम-से-कम 80,000 टन वीजीओ लोड किया। यह वीजीओ अमेरिका गया है। भारत का यूएस को वीजीओ निर्यात साल 2022 में काफी बढ़ा है। इससे पहले मई 2021 में केवल एक कार्गो भारत से यूएस गया था।

क्या काम आता है वीजीओ?
वीजीओ का उपयोग ज्यादातर गैसोलीन और डीजल जैसे प्रोडक्ट्स के उत्पादन के लिए रिफाइनरी फीडस्टॉक के रूप में किया जाता है। यूक्रेन युद्ध से पहले रूस अमेरिकी रिफाइनरों के लिए एक प्रमुख वीजीओ सप्लायर हुआ करता था। वोर्टेक्स के वरिष्ठ ईंधन तेल विश्लेषक रोसलान खसावनेह ने कहा, ”अमेरिका तेल खरीदने के लिए रूस के अलावा सभी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं।” यहां बताते चलें कि अमेरिका और यूरोपीय यूनियन के प्रतिबंध किसी तीसरे देश से निर्यात किए गए रूसी कच्चे तेल से उत्पादित प्रोडक्ट्स पर लागू नहीं होते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि वे प्रोडक्ट्स मूल रूप से रूसी नहीं हैं।

हमने जमकर खरीदा सस्ता रूसी तेल
भारत में रिफाइनरीज ने अप्रैल से अक्टूबर के बीच सस्ते रूसी तेल के आयात को बढ़ाकर 793,000 बैरल प्रति दिन कर दिया है। यह एक साल पहले की समान अवधि के सिर्फ 38,000 बैरल प्रतिदिन से काफी अधिक था। इस खरीद में रिलायंस का हिस्सा करीब 23 फीसदी और नायरा का हिस्सा करीब 3 फीसदी है।

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