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MP निकाय चुनाव: ज्योतिरादित्य के बाद तोमर के गढ़ में झटका, BJP 3 नगर निगम हारी

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मुरैना

एमपी नगर निकाय चुनाव के नतीजे आ गए हैं। पांच में से तीन नगर निगमों में बीजेपी की हार हुई है। बीजेपी के हाथ से मुरैना, रीवा और कटनी निकल गई है। रीवा और मुरैना में कांग्रेस, देवास-रतलाम में बीजेपी और कटनी में कांग्रेस ने जीत हासिल की है। वहीं, निकाय चुनाव परिणाम में सबसे ज्यादा चर्चा मुरैना सीट की है। ग्वालियर के बाद बीजेपी मुरैना सीट हार गई है। चंबल इलाके के दो बड़े नगर निगमों में बीजेपी को झटका लगा है। मुरैना नगर निगम पर कांग्रेस उम्मीदवार शारदा सोलंकी ने जीत हासिल की है।

शारदा सोलंकी ने बीजेपी की मीना जाटव को 10 हजार से अधिक वोटों से चुनाव हराया है। यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। चंबल इलाके में बीजेपी के दो दिग्गज नेताओं के क्षेत्र में महापौर चुनाव पार्टी हार गई है। मुरैना केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का क्षेत्र है। वह मुरैना इलाके से सांसद हैं। केंद्र के कद्दावर मंत्रियों में उनकी गिनती होती है लेकिन महापौर चुनाव में उनकी पार्टी हार गई है।

ये हैं मुरैना के नतीजे
मुरैना नगर निगम के कुल 47 वार्डों में से 19 पर कांग्रेस, 15 पर बीजेपी, आठ पर बसपा, तीन पर निर्दलीय, एक पर आप और एसपी के एक उम्मीदवार को जीत मिली है।

जनता चुनती है सीधे मेयर
दरअसल, एमपी में मेयर का चुनाव डायरेक्ट होता है। जनता मेयर चुनने के लिए सीधे वोट करती है। दो चरणों में 16 नगर निगमों में मेयर के लिए चुनाव हुए है। उनके नतीजे आ गए हैं। सभी नगर निगमों में पर बीजेपी का कब्जा था। इस बार 16 में से सात नगर निगमों में बीजेपी की हार हुई है। बीजेपी की हार ग्वालियर, जबलपुर, छिंदवाड़ा, रीवा, मुरैना, कटनी और सिंगरौली में हुई है। 16 में से पांच नगर निगमों में कांग्रेस ने जीत हासिल की है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ में भी हार
मुरैना से पहले ग्वालियर नगर निगम में भी महापौर चुनाव बीजेपी हार गई है। ग्वालियर ज्योतिरादित्य सिंधिया का गढ़ है लेकिन बीजेपी प्रत्याशी सुमन शर्मा की करारी हार हुई है। कहा जा रहा है कि ग्वालियर और मुरैना में गुटबाजी की वजह से बीजेपी की हार हुई है। ग्वालियर में 58 सालों बाद बीजेपी की हार हुई है।
दरअसल, मुरैना नगर निगम में सीएम शिवराज सिंह चौहान ने आकर वोट मांगे थे। उन्होंने रोड से किया था। इसके अलावा केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का यह संसदीय क्षेत्र भी है। इसके बावजूद बीजेपी यहां पर बुरी तरह हार गई है। इस बार ग्वालियर-चंबल अंचल से बीजेपी के लिए बुरी खबर ही सामने आई है।
ये वजह आ रही हैं सामने

दोनों नगर निगमों में हार के बाद कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। स्थानीय जानकार बता रहे हैं कि प्रत्याशियों के चयन में पार्टी से गड़बड़ी हुई है। दोनों ही प्रत्याशियों का ज्यादा क्षेत्र से कभी लगाव नहीं रहा है। मुरैना से मेयर चुनाव जीतने वाली शारदा सोलंकी पहले से क्षेत्र में सक्रिय हैं। हार के कारणों पर पार्टी के अंदर माथापच्ची शुरू हो गई है। दोनों बड़े नेताओं ने अपने क्षेत्रों में हार पर अब चुप्पी साध रखी है।

 

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