मुंबई
महाराष्ट्र में गोविंदाओं को सरकारी नौकरी में आरक्षण देने के सीएम शिंदे के बयान पर राजनीति गर्म होने लगी है। शिंदे सरकार के फैसले को लेकर छात्र संगठन और विपक्षी दल अब आक्रामक हो रहे हैं। एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री छगन भुजबल ने इसको लेकर कई सवाल उठाए हैं। उन्होंने महाराष्ट्र सरकार से पूछा है कि गोविंदाओं को नौकरियों में आरक्षण कैसे दिया जाएगा? इसके साथ ही उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इन नौकरियों के लिए मानदंड क्या होंगे?
सीएम शिंदे ने कही थी यह बात
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के नए सीएम एकनाथ शिंदे ने हाल ही में दही हांडी को खेल श्रेणी के तहत मान्यता देने की घोषणा की थी। उन्होंने कहा कि प्रो-दही-हांडी की शुरुआत की जाएगी। इसके साथ ही गोविन्दाओं को खेल कैटेगरी में जॉब दी जाएगी। सीएम ने इसके साथ ही सभी गोविंदाओं के लिए 10 लाख रुपए का बीमा कवर देने के लिए भी कहा था। बता दें कि महाराष्ट्र में कृष्ण जन्माष्टमी के अगले दिन दही हांडी का खेल खेला जाता है। इस दौरान ऊंचाई पर लटकी मक्खन की मटकी तक पहुंचने के लिए गोविंदा मानव-श्रृंखला बनाते हैं। इसके लिए टोलियां बनाई जाती हैं। पहले दही हांडी फोड़ने वाली टोली विजेता घोषित होती है।
क्या होगा मानदंड?
अब इस घोषणा को लेकर महाराष्ट्र सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई है। एनसीपी के नेता छगन भुजबल ने पूछा है कि गवर्नमेंट जॉब में रिजर्वेशन कैसे दिया जाएगा? इसके लिए मानदंड क्या होंगे? उन्होंने आगे कहा कि सरकारी या अर्धसरकारी नौकरी देने के लिए ओलंपिक टीम की मंजूरी की जरूरत होती है। ऐसे में दही हांडी में गोविंदा के लिए क्या योग्यता होगी? सिर्फ इतना ही नहीं, छगन भुजबल ने सरकार की मंशा पर सवाल उठाते हुए कहा है कि यह प्रदेश के तमाम गोविंदाओं की भावनाओं से खेलने और उन्हें धोखा देने जैसा होगा।
पहले ओलंपियंस को दें नौकरी
छगन भुजबल ने यह भी कहा कि आरक्षण के बावजूद इंटरनेशनल लेवल के प्लेयर्स को अभी तक सरकारी नौकरी नहीं मिल सकी है। भुजबल ने मांग की कि देश का नाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले जाने वाली कविता राउत और अंजना थमके को पहले नौकरी दी जाए। इन खिलाड़ियों को अभी नौकरी नहीं मिली है। इसका कारण यह है कि सरकार सक्रिय नहीं है। खिलाड़ी नियमों के जाल में फंसे हुए हैं। वहीं दूसरी तरफपंजाब में खिलाड़ियों को नौकरी दी जा रही है। उन्होंने कहा कि गोविंदाओं को 5 फीसदी आरक्षण देने का कोई विरोध नहीं है। लेकिन पहले उन्हें न्याय दें।