बीएचईएल की कुछ यूनियनों की जितनी तारीफ की जाए कम है। एक प्रतिनिधि यूनियन ऐसी भी है जो कर्मचारियों के हित की बात करते हुए उस समय तक लगातार कैंटीन की अनियमितता को लेकर न केवल आटा, गेहंू , सब्जी घटिया होने की बात कर थ्रिफ्ट सोसायटी पर घटिया सप्लाई का आरोप लगाती रही लेकिन गंदी राजनीति के चलते जब एक यूनियन ने सब्जी में इल्ली होने की बात जोरदार तरीके से उठाई तो एक अन्य यूनियन शनिवार को एचआर के एक अफसर के इशारे पर इस यूनियन के एक दलाल नेता ने कैेंटीन नंबर 1 में पहुंंचकर भोजन कर डाला। वह भी तब जब खाने की गुणवत्ता प्रबंधन ने पहले ही बेहतर कर दी। अब यूनियन के लोग तो नासमझ है कि वह एक दलाल नेता को पहचानने की कोशिश नहीं कर रहे हैं। जिस दलाल नेता के पास आज भी दस वोट न हो वह नेता प्रबंधन पर यूनियन की आड़ में न केवल हावी है बल्कि अपने सारे काम भी बाखूबी निपटा रहा है। इस बात की चर्चाएं भी जोरों पर है कि जिस यूनियन को कभी पचास वोट नहीं मिले उस यूनियन को इस प्रतिनिधि यूनियन के चुनाव में भेल के ईमानदार कर्मचारियों ने इस उम्मीद से चुनकर भेजा कि देर आए दुरूस्त आए की तर्ज पर यह यूनियन कर्मचारियों के हितों के लिए संघर्ष करेगी। अजीब बात है कि आज तक यह यूनियन उन कर्मचारियों के भरोसे पर खरी नहीं उतरी जिसकी उम्मीद कर्मचारियों को थी। ऐसे में दलाल नेताओं के प्रवेश ने यूनियन की छवि को काफी हद तक खराब कर दिया है। अब तो यह यूनियन कर्मचारी नहीं भगवान भरोसे चल रही है।
