भोपाल,
मध्य प्रदेश में कुछ महीनों में विधानसभा के चुनाव होने हैं. इसे देखते हुए सभी पार्टियों ने कमर कस ली है. साथ ही नेता अपनी जीत सुनिश्चित करने के लिए जमीनी स्तर पर तैयारियों में जुट गए हैं. इसी बीच एमपी विधानसभा चुनाव के लिए बीएसपी (बहुजन समाज पार्टी) ने सात सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है. मायावती के भतीजे आकाश आनंद के भोपाल दौरे के अगले ही दिन पहली सूची जारी की गई है.
इसमें बीएसपी ने ग्वालियर-चबंल, बुंदेलखंड और विंध्य के प्रत्याशी घोषित किए हैं. बीएसपी ने सात सीटों में से छह सामान्य सीट जबकि एक आरक्षित सीट के लिए उम्मीदवार घोषित किए हैं. इसमें मुरैना, निवाड़ी, छतरपुर जिले की एक-एक जबकि सतना और रीवा जिले की दो-दो सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान किया है.
पहली सूची में घोषित किए ये नाम
बहुजन समाज पार्टी ने मुरैना जिले की दिमनी विधानसभा सीट (सामान्य) से बलबीर सिंह डंडोतिया, निवाड़ी जिले की निवाड़ी विधानसभा सीट (सामान्य) से अवधेश प्रताप सिंह राठौर और छतरपुर जिले की राजनगर विधानसभा सीट (सामान्य) से रामराजा पाठक को टिकट दिया है. वहीं, सतना जिले की रैगांव विधानसभा सीट (एससी) से देवराज अहिरवार और रामपुर बघेलान सीट (सामान्य) से मणिराज सिंह पटेल को टिकट दिया है. साथ ही रीवा जिले की सिरमौर विधानसभा सीट (सामान्य) से विष्णु देव पांडे और सेमरिया विधानसभा सीट (सामान्य) से पंकज सिंह को टिकट दिया है.
बसपा ने आकाश आनंद को दी है बड़ी जिम्मेदारी
बता दें, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और तेलंगाना राज्यों के चुनाव में मायावती के भतीजे आकाश आनंद को बड़ी जिम्मेदारी दी गई है. चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी मिलने के बाद आकाश ने ट्वीट कर एक तरह से ये संकेत दे दिए हैं कि उनकी रणनीति दलित-आदिवासी और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) को पार्टी के साथ लाने की होगी.
आकाश में मायावती के राजनीतिक वारिस की छवि देखी जाती है. ऐसे में उनको चार चुनावी राज्यों की जिम्मेदारी मिलना कुछ चौंकाने जैसा नहीं. मगर, सियासी गलियारों में इस बात को लेकर चर्चा जरूर शुरू हो गई है कि क्या आकाश आनंद चार ऐसे राज्यों की जिम्मेदारी के साथ न्याय कर पाएंगे, जहां एक ही साथ विधानसभा चुनाव होने हैं? क्या आकाश की सांगठनिक क्षमता इतनी है? बसपा से जुड़े लोग आकाश की संगठन क्षमता और नेतृत्व पर भरोसा व्यक्त कर रहे हैं, चमत्कार की आस व्यक्त कर रहे हैं तो वहीं सियासत के जानकारों की राय कुछ और ही है.
2017 में आकाश ने ली राजनीति में एंट्री
आकाश आनंद के सियासी सफर का जिक्र करते हुए पत्रकार अनिल विश्वकर्मा कहते हैं कि वो साल 2017 में राजनीति में आए. मायावती ने 2017 में एक बड़ी रैली कर आकाश आनंद को राजनीति में लॉन्च किया था. यूपी में आकाश की लॉन्चिंग के बाद बसपा लगातार कमजोर ही हुई है. 2017, 2019 में पार्टी को बड़ी हार मिली तो वहीं 2022 के यूपी चुनाव में तो बसपा महज एक सीट पर सिमट गई. बसपा के प्रदर्शन में आई बड़ी गिरावट के बाद ऐसे राज्यों में जहां पार्टी की जड़ें पुरानी और गहरी तो हैं लेकिन उतनी मजबूत नहीं, आकाश आनंद से किसी चमत्कार की आस बेमानी ही होगी.
चार राज्यों में नई सोशल इंजीनियरिंग
आकाश आनंद ने कहा कि हम दलितों, आदिवासियों और अन्य पिछड़े वर्गों का हर स्तर पर हो रहे शोषण, गरीबी, बेरोजगारी, महंगाई जैसे मुद्दों पर आने वाले विधानसभा चुनावों में चुनाव लड़ेंगे. यूपी में अर्श से फर्श पर आ चुकी बसपा अब नए-नए दांव आजमा खिसक रहे जनाधार को रोकने को लेकर मंथन में जुटी है. चार राज्यों के चुनाव में पार्टी अब दलित-आदिवासी-ओबीसी कार्ड खेलेगी, आकाश आनंद की बातों से ये तो यही कयास लगाए जा रहे हैं.