24.1 C
London
Wednesday, July 2, 2025
Homeराष्ट्रीयलोग इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं : सुप्रीम कोर्ट...

लोग इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं : सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में याचिका खारिज करते हुए कहा था

Published on

नई दिल्ली

जी-20 से जुड़े निमंत्रण पत्र पर प्रेसिडेंट ऑफ भारत लिखे जाने को लेकर राष्ट्रव्यापी बहस छिड़ गई है। विपक्ष ने इस बात के लिए सरकार की आलोचना की है। इस बात को लेकर सोशल मीडिया पर इंडिया बनाम भारत को लेकर खूब चर्चा हो रही है। ऐसे में साल 2016 का सुप्रीम कोर्ट का फैसला प्रासंगिक हो गा है। साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट ने सभी उद्देश्यों के लिए ‘इंडिया’ को ‘भारत’ कहे जाने का निर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि लोग देश को अपनी इच्छा के अनुसार इंडिया या भारत कहने के लिए स्वतंत्र हैं। जी20 के लिए रात्रिभोज निमंत्रण पत्र पर ‘प्रेसिडेंट ऑफ इंडिया’ की जगह ‘प्रेसिडेंट ऑफ भारत’ (भारत की राष्ट्रपति) लिखे जाने के बाद यहां इस फैसले का जिक्र जरूरी है।

केंद्र ने कहा था-भारत नहीं कहा जाए
तत्कालीन चीफ जस्टिस टी एस ठाकुर और जस्टिस यू यू ललित की पीठ ने 2016 में महाराष्ट्र के निरंजन भटवाल की तरफ से दायर जनहित याचिका खारिज करते हुए कहा था, ‘भारत या इंडिया? आप इसे भारत कहना चाहते हैं, कहिये। कोई इसे इंडिया कहना चाहता है, उन्हें इंडिया कहने दीजिए।’ दोनों जस्टिस रियाटर्ड हो चुके हैं। जी20 निमंत्रण पत्र को लेकर विपक्ष की आलोचना का सामना कर रहे केंद्र ने शीर्ष न्यायालय से नवंबर 2015 में कहा था कि देश को ‘इंडिया’ के बजाय ‘भारत’ नहीं कहा जाए।

‘इंडिया, जो भारत है…
न्यायालय ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद एक में बदलाव के लिए विचार करने की खातिर ऐसी कोई परिस्थिति नहीं बनी है। संविधान के अनुच्छेद 1(1) में कहा गया है, ‘इंडिया, जो भारत है, राज्यों का एक संघ है।’ जनहित याचिका का विरोध करते हुए गृह मंत्रालय ने कहा था कि संविधान का मसौदा तैयार करने के दौरान संविधान सभा में देश के नाम पर विस्तार से चर्चा हुई थी और अनुच्छेद एक के उपबंध आम सहमति से अंगीकृत किये गये थे। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता को आड़े हाथ लिया था। शीर्ष अदालत ने उनसे पूछा था कि क्या उन्हें लगता है कि इसके पास करने के लिए और कुछ नहीं है, तथा उन्हें याद दिलाया था कि जनहित याचिकाएं गरीबों के लिए हैं।

गरीबों के लिए है जनहित याचिका
पीठ ने 11 मार्च 2016 को कहा था, ‘जनहित याचिका गरीबों के लिए है। आपको लगता है कि हमारे पास करने के लिए और कुछ नहीं है। याचिका में, गैर सरकारी संगठनों और कंपनियों को यह निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया था कि सभी आधिकारिक और गैर आधिकारिक उद्देश्यों के लिए वे भारत शब्द का इस्तेमाल करें। याचिका में कहा गया था कि संविधान सभा में देश के लिए सुझाये गये प्रमुख नामों में ”भारत, हिंदुस्तान, हिंद और भारतभूमि या भारतवर्ष तथा इस तरह के अन्य नाम थे।’

Latest articles

बैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल बने भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष

भोपालबैतूल विधायक हेमंत खंडेलवाल बने भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष,बैतूल विधायक हेमंत विजय खंडेलवाल...

भेल में प्रशासनिक फेरबदल 

भेलभेल भोपाल यूनिट में प्रशासनिक फेरबदल किया गया है l विभागों में फेरबदल...

Fatty Liver Causes: फैटी लीवर से बचना है तो इन चीज़ों से करें परहेज़ हकीम सुलेमान ख़ान के ख़ास नुस्ख़े

Fatty Liver Causes: लिवर की बीमारियों के पीछे सबसे बड़ा कारण हमारी खराब लाइफस्टाइल...

More like this

यमुनोत्री हाईवे पर बादल फटा 9 मज़दूर लापता सड़कें बंद बचाव कार्य जारी

यमुनोत्री हाईवे पर बादल फटा 9 मज़दूर लापता सड़कें बंद बचाव कार्य जारी,उत्तराखंड में...

Weather Forecast: 29 जून 2025 को देश के 27 राज्यों में बारिश का अलर्ट, गुजरात-उत्तराखंड में ऑरेंज चेतावनी

Weather Forecast: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के ताज़ा पूर्वानुमान के अनुसार 29 जून...