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Saturday, October 25, 2025
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अमेरिकी विश्वविद्यालयों में क्‍यों मचा है बवाल, क्लास छोड़कर विरोध प्रदर्शन कर रहे छात्र,

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न्यूयॉर्क:

अमेरिकी यूनिवर्सिटीज इन दिनों पढ़ाई को छोड़कर विरोध प्रदर्शनों का अड्डा बन गए हैं। प्रतिष्ठित कोलंबिया विश्वविद्यालय, येल, न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय और एमआईटी सहित अमेरिका के विभिन्न परिसरों में सैकड़ों छात्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। उनकी मांगें- गाजा में स्थायी युद्धविराम, इजरायल के लिए अमेरिकी सैन्य सहायता पर रोक, हथियार आपूर्तिकर्ताओं और युद्ध से लाभ कमाने वाली अन्य कंपनियों का विश्वविद्यालय में निवेश करने पर प्रतिबंध और फिलिस्तीन में जारी नरसंहार के खिलाफ कठोर कार्रवाई करना है।

हालांकि, इजरायल समर्थक विश्वविद्यालय परिसर की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि अमेरिकी विश्वविद्यालय परिसर यहूदी विरोधी भावना, धमकी और घृणास्पद भाषण को बढ़ावा दे रहे हैं। कोलंबिया के सार्वजनिक मामलों के उपाध्यक्ष बेन चांग ने बताया, “छात्रों को विरोध करने का अधिकार है, लेकिन उन्हें परिसर के कार्यों को बाधित करने या परेशान करने और डराने-धमकाने की अनुमति नहीं है।”

ये छात्र कौन हैं?
फिलिस्तीनी समर्थक प्रदर्शनकारियों में से कुछ यहूदी और मुस्लिम धर्मों सहित विभिन्न पृष्ठभूमियों के छात्र और शिक्षक हैं। प्रदर्शनों का आयोजन करने वाले समूहों में फिलिस्तीन समर्थक छात्र और शिक्षक शामिल हैं। इनमें कुछ ऐसे भी यहूदी हैं, जो इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सरकार की नीतियों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं। द मर्करी न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में, फिलिस्तीन समर्थक छात्रों और उनके सहयोगियों ने लगभग 15 तंबू लगाए हैं। इन कैंप में कई तरह की शिक्षाओं, अंतरधार्मिक प्रार्थनाओं और संगीत समारोह का आयोजन किया जा रहा है।

कहां-कहां हो रहे विरोध प्रदर्शन
सबसे ज्यादा प्रदर्शन कोलंबिया विश्वविद्यालय में हो रहे हैं। यहां 100 से अधिक फिलीस्तीन समर्थक प्रदर्शनकारियों पिछले सप्ताह गिरफ्तार कर लिया गया था। सोमवार को ऐसी खबरें आईं कि बिना स्कूल आईडी वाले किसी भी व्यक्ति के लिए कैंपस के गेट बंद कर दिए गए। प्रदर्शनकारी हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिन पर लिखा था कि “इजरायल को नष्ट कर देना चाहिए।” कोलंबिया ने सुरक्षा को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए यह भी घोषणा की कि मॉर्निंगसाइड परिसर में पाठ्यक्रम जब भी संभव होगा छात्रों के लिए वर्चुअल विकल्प प्रदान करेंगे।

हार्वर्ड विश्वविद्यालय में बुरे हालात
हार्वर्ड विश्वविद्यालय में भी प्रदर्शनकारियों ने आतंक मचाया हुआ है। सोमवार को हार्वर्ड यार्ड को जनता के लिए बंद कर दिया गया था। कहा गया है कि टेंट और टेबल सहित संरचनाओं को केवल पूर्व अनुमति के बाद ही यार्ड में जाने की अनुमति है। आदेश में कहा गया है, “इन नीतियों का उल्लंघन करने वाले छात्रों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।” सुरक्षा गार्ड लोगों की स्कूल आईडी की जांच कर रहे हैं। हार्वर्ड अंडरग्रेजुएट फिलिस्तीन सॉलिडैरिटी कमेटी ने कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन ने उनके समूह को निलंबित कर दिया है। छात्र संगठन द्वारा प्रदान किए गए निलंबन नोटिस में, विश्वविद्यालय ने लिखा है कि समूह के 19 अप्रैल के प्रदर्शन ने स्कूल नीति का उल्लंघन किया था।

येल विश्वविद्यालय में भी प्रदर्शन
पुलिस ने येल विश्वविद्यालय में लगभग 45 प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार किया है। प्रदर्शनकारियों ने शुक्रवार को बेनेके प्लाजा पर तंबू लगाए और प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि येल विश्वविद्यालय को इजरायल के साथ व्यापार करने वाली सभी रक्षा कंपनियों में किसी भी प्रकार का निवेश बंद करना चाहिए। येल के अध्यक्ष पीटर सलोवी ने एक बयान में कहा कि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने छात्र प्रदर्शनकारियों से स्कूल की नीतियों और दिशानिर्देशों के बारे में कई बार बात की थी, जिसमें भाषण और परिसर स्थानों तक पहुंच की अनुमति भी शामिल थी। येल में सोमवार की गिरफ़्तारियों के बाद प्रदर्शनकारियों का एक बड़ा समूह एकत्र हुआ और परिसर के पास एक सड़क को जाम कर दिया।

एमआईटी, बोस्टन और न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में भी प्रदर्शन
एमआईटी के छात्र भी इजरायल विरोधी प्रदर्शनों में शामिल हैं। इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाला एक छात्र लगभग दो दर्जन छात्रों में से एक था, जिन्होंने रविवार शाम को स्कूल के कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के मैसाचुसेट्स परिसर में एक तंबू लगाया था। उन्होंने गाजा में तुरंत संघर्ष विराम की मांग की थी। इसके अलावा न्यूयॉर्क विश्वविद्यालय में भी सैकड़ों प्रदर्शनकारी इजरायल विरोधी प्रदर्शन में शामिल थे। वहीं, कोलंबिया विश्वविद्यालय में फ़िलिस्तीनी समर्थक छात्र प्रदर्शनकारियों की गिरफ़्तारी के विरोध में बोस्टन विश्वविद्यालय के छात्रों ने क्लासेज का का बहिष्कार किया।

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