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Monday, June 16, 2025
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मोदी ने कभी संविधान नहीं पढ़ा, इसलिए यह उनके लिए खाली, महाराष्ट्र में राहुल गांधी का पीएम पर पलटवार

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नंदुरबार

कांग्रेस नेता राहुल गांधी महाराष्ट्र चुनाव प्रचार में पहुंचे। इस दौरान उन्होंने पीएम मोदी के खाली संविधान लेकर चलने के मामले में पलटवार किया। राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लगता है कि संविधान की ‘लाल किताब’ जो वह अपने पास रखते हैं, वह कोरी है क्योंकि उन्होंने (मोदी ने) इसे कभी पढ़ा ही नहीं है। वह नंदूरबार में एक रैली को संबोधित कर रहे थे।

राहुल गांधी ने कहा कि संविधान में भारत की आत्मा और बिरसा मुंडा, डॉ. बी. आर. आंबेडकर और महात्मा गांधी जैसे राष्ट्र नायकों द्वारा परिकल्पित सिद्धांत शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘भाजपा को किताब के लाल रंग पर आपत्ति है। लेकिन हमारे लिए, रंग चाहे जो भी हो, हम इसे (संविधान को) बचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं और अपनी जान देने के लिए भी तैयार हैं। मोदी जी को लगता है कि संविधान पुस्तिका कोरी है क्योंकि उन्होंने इसे कभी पढ़ा ही नहीं है।’

लाल किताब पर किया पलटवार
लोकसभा में विपक्ष के नेता गांधी ने कहा कि कांग्रेस चाहती है कि आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों को निर्णय लेने में प्रतिनिधित्व मिले। भाजपा नेताओं ने बीस नवंबर को होने वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए अपने अभियान में गांधी की प्रदर्शित लाल किताब को शहरी नक्सलवाद से जोड़ने का प्रयास किया है।

आदिवासियों को वनवासी कहने पर भड़के राहुल गांधी
गांधी ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ऐसी टिप्पणियां करके राष्ट्र नायकों का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) आदिवासियों को आदिवासी के बजाय वनवासी कहकर उनका अपमान करते हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी देश के पहले मालिक हैं और जल, जंगल और जमीन पर पहला अधिकार उनका है। लेकिन भाजपा चाहती है कि आदिवासी जंगल में ही रहें, उनके पास कोई अधिकार नहीं है। बिरसा मुंडा ने इसके लिए लड़ाई लड़ी थी और अपने प्राणों का बलिदान दिया था।

महाराष्ट्र बनाम गुजरात का फिर उठाया मुद्दा
राहुल गांधी ने जाति आधारित गणना की मांग दोहराते हुए कहा कि इससे महाराष्ट्र में आदिवासियों, दलितों और पिछड़े वर्गों की संख्या और संसाधनों में उनकी हिस्सेदारी का पता लगाने में मदद मिलेगी। गांधी ने दावा किया कि वर्तमान में आठ प्रतिशत आदिवासी आबादी में से निर्णय लेने में उनकी हिस्सेदारी केवल एक प्रतिशत है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि महाराष्ट्र से पांच लाख नौकरियां छीन ली गई हैं क्योंकि विभिन्न बड़ी परियोजनाएं अन्य राज्यों में स्थानांतरित कर दी गई हैं।

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