जीतू पटवारी को श्राप देने वाली शबनम मौसी कौन हैं? इनके नाम पर बन चुकी फिल्म

भोपाल

शबनम मौसी, मध्य प्रदेश की पहली ट्रांसजेंडर विधायक, ने कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी पर अपमान का आरोप लगाया। पटवारी से मिलने गईं मौसी को उनके आवास में प्रवेश नहीं दिया गया। मौसी का कहना है कि पटवारी के पदाधिकारियों ने उनका अपमान किया। उन्होंने कहा कि इसी व्यवहार के कारण कांग्रेस अपना जनाधार खो रही है। घटना 9 दिसंबर की है।

क्या है मामला?
शबनम मौसी सोहागपुर (शहडोल) से विधायक रह चुकी हैं। वह जीतू पटवारी से मिलने उनके आवास पर गईं थीं। उनका मकसद कांग्रेस में शामिल होना था। लेकिन पटवारी के कर्मचारियों ने उन्हें अंदर नहीं जाने दिया। मौसी ने कहा, ‘मैं कांग्रेस की सदस्य बनना चाहती थी, इसलिए मैं जीतू पटवारी से मिलने गई थी। लेकिन मुझे उनके आवास में प्रवेश नहीं करने दिया गया। उन्होंने न केवल मेरा बल्कि पूरे ट्रांसजेंडर समुदाय का अपमान किया है और उन्हें अपने किए की कीमत चुकानी पड़ेगी।’मौसी का मानना है कि इस तरह के व्यवहार की वजह से कांग्रेस मध्य प्रदेश में अपनी पकड़ खो रही है। उन्होंने यह तक कहा कि, ‘कांग्रेस पार्टी में कोई नहीं रहेगा।’

कौन हैं शबनम मौसी
शबनम मौसी, मध्य प्रदेश की पहली ट्रांसजेंडर विधायक हैं। उन्होंने फरवरी 2000 में सोहागपुर विधानसभा क्षेत्र से उपचुनाव जीतकर इतिहास रचा था। यह चुनाव 1994 में ट्रांसजेंडर समुदाय को मतदान का अधिकार मिलने के छह साल बाद हुआ था। तत्कालीन कांग्रेस विधायक कृष्णपाल सिंह के निधन के बाद यह सीट खाली हुई, जिसके बाद यहां उपचुनाव हुए थे। मौसी ने लल्लू सिंह को 17,800 से ज़्यादा वोटों से हराकर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल की थी। शबनम मौसी के सफर पर एक फिल्म भी बनी है, जिसे फिल्म निर्देशक योगेश भारद्वाज ने बनाया और मौसी का रोल आशुतोष राणा ने निभाया था।

परिसीमन के बाद बदल गईं स्थिति
हालांकि, 2003 के विधानसभा चुनाव में उन्हें सिर्फ़ 1,400 वोट मिले और वह हार गईं। 2008 में परिसीमन के दौरान सोहागपुर सीट को दूसरे विधानसभा क्षेत्रों में मिला दिया गया। मध्य प्रदेश, जिसने देश के पहले ट्रांसजेंडर विधायक और महापौर को चुना, वहां अब राज्य की राजनीति में इस समुदाय का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। शबनम मौसी के अलावा, कमला ‘बुआ’ को 2009 में सागर नगर निगम का मेयर चुना गया था।

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