बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और दिव्य फार्मेसी के खिलाफ कोर्ट ने जारी किया वारंट, जानिए पूरी बात

नई दिल्ली:

आयुर्वेदिक दवा के बारे में भ्रामक दावे के मामले में बाबा रामदेव और दिव्य फार्मेसी की मुश्किल फिर बढ़ सकती है। केरल की एक अदालत ने अंग्रेजी और मलयालम समाचार पत्रों में भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के एक मामले में इनके खिलाफ जमानती वारंट जारी किया है। यह वारंट दिव्य फार्मेसी और उसके सह-संस्थापक बाबा रामदेव तथा इस कंपनी प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ है।

कहां से जारी हुआ है वारंट
लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार बाबा रामदेव के खिलाफ वारंट बीते 16 जनवरी को जारी हुआ है। यह पलक्कड़ के प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी के कोर्ट II (Judicial First Class Magistrate Court II, Palakkad) ने जारी किया है। इस मामले में अगली तारीख 1 फरवरी, 2025 लगाई गई है। उल्लेखनीय है कि दिव्य फार्मेसी पतंजलि आयुर्वेद की एक एफिलिएट कंपनी है।

क्यों हुई शिकायत
इस मामले की शिकायत औषधि और जादुई उपचार (आपत्तिजनक विज्ञापन) अधिनियम, 1954 की धारा 3, 3 (बी) और 3 (डी) के तहत ड्रग इंस्पेक्टर की रिपोर्ट के आधार पर की गई थी। धारा 3 कुछ बीमारियों और विकारों के उपचार के लिए कुछ दवाओं के विज्ञापन पर रोक लगाती है। धारा 3 (डी) उन दवाओं के विज्ञापनों पर रोक लगाती है जो अधिनियम के तहत बनाए गए नियमों में दिए गए किसी भी रोग, विकार या बीमारी की स्थिति के निदान, इलाज, शमन, उपचार या रोकथाम का दावा करते हैं।

मामले में तीन आरोपी
इस मामले में दिव्य फार्मेसी को पहला आरोपी बनाया गया है। इसमें आचार्य बालकृष्ण को दूसरा आरोपी बनाया गया है। साथ ही मामले में बाबा रामदेव तीसरे आरोपी बनाए गए हैं। इनके खिलाफ केरल के कोझीकोड जिले में भी इसी तरह का मामला लंबित है।

सुप्रीम कोर्ट ने दी थी चेतावनी
सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को चेतावनी दी थी कि वह कानून के विपरीत भ्रामक विज्ञापनों और चिकित्सा दावों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने पर अवमानना कार्यवाही शुरू करेगा। इसके बाद वारंट जारी किया गया था। सर्वोच्च न्यायालय आधुनिक या ‘एलोपैथिक’ चिकित्सा को लक्षित करने वाले भ्रामक दावों और विज्ञापनों के बारे में भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था। एलोपैथी जैसी आधुनिक चिकित्सा प्रणालियों के खिलाफ भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए पतंजलि आयुर्वेद उत्पाद सुप्रीम कोर्ट की जांच के दायरे में थे। बाद में कोर्ट ने पतंजलि आयुर्वेद को ऐसे भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के लिए अवमानना नोटिस जारी किया, जो एलोपैथी का अपमान करते हैं और कुछ बीमारियों के इलाज के बारे में झूठे दावे करते हैं।

सुप्रीम कोर्ट में मांगी थी माफी
बाबा रामदेव, आचार्य बालकृष्ण और पतंजलि आयुर्वेद द्वारा सार्वजनिक रूप से मांगी गई माफी मांगने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसे स्वीकार कर लिया था। बाद में उनके खिलाफ अवमानना के मामले बंद कर दिए थे।

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