20.3 C
London
Tuesday, July 1, 2025
Homeराष्ट्रीयदिल्ली : 8 महीनों तक यमुना नाले में तब्दील हो जाती है......

दिल्ली : 8 महीनों तक यमुना नाले में तब्दील हो जाती है… फिर कैसे साफ होगा यमुना का पानी

Published on

नई दिल्ली

पिछले कई दशक से नालों में तब्दील यमुना को साफ करने की कवायद नई सरकार ने शुरु की है। लेकिन, यमुना के दशकों से मैली होने के बुनियादी समस्याओं पर अभी भी सरकार को ध्यान नहीं गया है। दिल्ली में यमुना का पड़ने वाला 22 किमी लंबा स्ट्रेच सिर्फ इसलिए ही गंदा नहीं है कि इसमें सीवर के गंदे पानी का फ्लो अधिक है। बल्कि यमुना के गंदे होने का मूल कारण 8 महीनों तक यमुना में जितना पानी का फ्लो होना चाहिए, उतना होता ही नहीं है। मॉनसून के 4 महीनों में ही यमुना दिल्ली में जीवंत दिखती है।

अक्टूबर से मई तक 95% सीवर वॉटर
एक्सपर्ट के अनुसार यमुना में हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से पानी छोड़ा जाता है और यह ताजेवाले बैराज से होते हुए यमुना में आता है। एनजीटी के आदेशों के अनुसार हरियाणा को लीन पीरियड (अक्टूबर-मई तक) में हथिनीकुंड बैराज से रोजाना करीब 2500 क्यूसेक पानी छोड़ने का आदेश है। लेकिन इस दौरान सभी राज्यों में पानी की जरूरत अधिक होती है, इसलिए हरियाणा से मेंडेंटरी 2500 क्यूसेक पानी के बजाय मुश्किल से 352 क्यूसेक ही पानी ही छोड़ा जाता है।

यह पानी भी जहां से यमुना दिल्ली में एंट्री करती है, वहां तक आते-आते न के बराबर रह जाता है। ऐसे में वजीराबाद और इससे आगे यमुना में जो पानी का बहाव होता है, उसमें 95 प्रतिशत गंदे नालों का पानी होता है। इसिलिए यमुना का वजीराबाद से आगे का जो बहाव है, वह पानी गहरे काले रंग का दिखता है।

क्या कह रहे एक्सपर्ट्स
एक्सपर्ट का कहना है कि अगर हरियाणा से आवश्यक 2500 क्यूसेक पानी छोड़ा जाता, तो कुछ हद तक यह पानी गंदे नालों के पानी में जितना अधिक बीओडी और सीओडी है, उसे कुछ हद तक डिजॉल्व कर देते और यमुना की दशा ऐसी नहीं होती। सरकारी एजेंसियों का यह दावा है कि यमुना में सिर्फ 22 गंदे नालों का पानी ही जाता है, लेकिन एजेंसियों को अपने आंकड़े दुरुस्त करने की जरूरत है। 22 नालों के अलावा भी ऐसे कई गंदे नाले हैं, जिनका सीधा फ्लो यमुना में जाता है और उन नालों को आजतक सरकारी एजेंसियां ट्रेस ही नहीं कर पाई हैं। दिल्ली में कुल 201 नेचुरल ओपन ड्रेन हैं और इन नालों का पानी ही 22 ड्रेन से जाता है।

यूपी, हरियाणा के ड्रेन से गंदा पानी
एक्सपर्ट का कहना है कि यमुना हरियाणा, दिल्ली और उत्तर प्रदेश इन तीन राज्यों से होकर गुजरती हैं। दिल्ली के जिस स्ट्रेच में यमुना का पानी सबसे गंदा है, उस स्ट्रेच में गंदगी की वजह सिर्फ 22 ड्रेन ही नहीं है, बल्कि हरियाणा के 6 और उत्तर के 16 ड्रेन और भी हैं जिनका गंदा पानी यमुना के दिल्ली स्ट्रेच बह रहा हैं। अकेले हरियाणा के बदशाहपुर ड्रेन से 100 एमजीडी से अधिक गंदा पानी आता है।

बादशाहपुर ड्रेन का आउटफाल नजफगढ़ ड्रेन हैं और यहां से पानी आगे यमुना में जाता है। इसी तरह से उत्तर प्रदेश का राज्य के कुछ ड्रेन हैं, जो शाहदरा ड्रेन में मिलती है। उन सभी ड्रेन का गंदा पानी भी शाहदरा ड्रेन जाता है और इस ड्रेन से होकर यमुना में जाता है। सभी नालों को मिलकार यमुना में रोजाना करीब 6136.14 एमएलडी गंदा जाता है। इसमें 56 प्रतिशत गंदा पानी दिल्ली के 22 ड्रेन से जाता है जिसकी कुल मात्रा करीब 3441.22 एमएलडी है।

घरों से निकलने वाला गंदा पानी
सिर्फ नालों से ही यमुना में गंदगी नहीं है, बल्कि घरों से निकलने वाला गंदा पानी भी यमुना को गंदा कर रहा है। जल बोर्ड का यह दावा है कि दिल्ली में रोजाना 990 एमजीडी पानी की सप्लाई होती है और उसका 80 प्रतिशत पानी वेस्ट वाटर के रूप में घरों से निकलता है। यानी जितना पानी रोजाना सप्लाई होता है, उसका 792 एमजीडी पानी वेस्ट वाटर के रूप में जनरेट होता है। वेस्ट वाटर को पूरी तरह से ट्रीट करने के लिए जल बोर्ड के पास इन्फ्रास्ट्रक्चर भी नहीं है।

कुल 32 सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जल बोर्ड के पास है, जिस रोजाना जनरेट होने वाले वेस्ट वाटर को ट्रीट किया जाता है। इन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की कैपसिटी 632 एमजीडी वेस्ट वाटर ट्रीट करने की ही है, लेकिन वास्तव में प्लांट से 547 एमजीडी वेस्ट वाटर ही ट्रीट हो पाता है। ऐसे में 245 एमजीडी वेस्ट वाटर बिना ट्रीट किए ही नालों में जाते हैं। जो आगे अलग अलग नालों से यमुना में चले जाते हैं।

सभी ड्रेन से सीओडी लेवल दोगुना से अधिक
जिन 22 ड्रेन का गंदा पानी यमुना में गिरता है, उनमें से जितनी भी ड्रेन हैं उनके पानी में सीओडी लेवल तय मानकों की तुलना में दोगुना से अधिक है। एक्सपर्ट के अनुसार मैगजीन रोड ड्रेन का पानी भी यमुना में गिरता है। एक-डेढ़ साल पहले इस ड्रेन का पानी का सीओडी लेवल मापा गया था, तो पाया गया कि 593 एमजी/लीटर है। जबकि सीओडी लेवल का तय मानक 250 एमजी/ लीटर ही है। इसी तरह से टांगा स्टैड ड्रेन का सीओडी लेवल 810 एमजी/लीटर, कैलाश नगर ड्रेन का सीओडी लेवल 1547 एमजी/लीटर पाया गया। क्रोमियम, कॉपर, आयरन, नीकेल, लीड सभी की मात्रा इन 22 ड्रेन के पानी में अधिक है।

Latest articles

IND vs ENG:जसप्रीत बुमराह दूसरे टेस्ट में खेलेंगे इंग्लैंड से मिली हार के बाद टीम इंडिया का बड़ा फ़ैसला

IND vs ENG: इंग्लैंड के ख़िलाफ़ दूसरे टेस्ट मैच से पहले टीम इंडिया के...

Mangal Gochar 2025:इन 3 राशियों की चमकेगी क़िस्मत धन करियर और सेहत में होगा ज़बरदस्त सुधार

Mangal Gochar 2025: ग्रहों के सेनापति मंगल ने आज 30 जून 2025 को रात...

लापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्यवाई: राज्यमंत्री श्रीमती गौर

भेल भोपाललापरवाह अधिकारियों पर होगी सख्त कार्यवाई: राज्यमंत्री श्रीमती गौर,पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण...

More like this

यमुनोत्री हाईवे पर बादल फटा 9 मज़दूर लापता सड़कें बंद बचाव कार्य जारी

यमुनोत्री हाईवे पर बादल फटा 9 मज़दूर लापता सड़कें बंद बचाव कार्य जारी,उत्तराखंड में...

Weather Forecast: 29 जून 2025 को देश के 27 राज्यों में बारिश का अलर्ट, गुजरात-उत्तराखंड में ऑरेंज चेतावनी

Weather Forecast: भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) के ताज़ा पूर्वानुमान के अनुसार 29 जून...