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Thursday, July 31, 2025
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पाकिस्‍तान से संघर्ष में जो इजरायल खड़ा रहा हमारे साथ, उस पर आई है ब्रिटेन से आंच, क्‍या भारत पर पड़ेगा असर?

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नई दिल्‍ली

ब्रिटेन ने इजरायल के साथ व्यापार समझौते पर बातचीत रोक दी है। विदेश मंत्री डेविड लैमी ने यह घोषणा की। ब्र‍िट‍िश सरकार ने बताया कि गाजा में इजरायली सेना की कार्रवाई तेज होने के कारण इजरायली राजदूत को भी तलब किया गया है। इजरायल ने गाजा पट्टी पर कंट्रोल करने के लिए नया सैन्य अभियान शुरू किया है। मार्च से ही इजरायल ने गाजा में दवा, भोजन और ईंधन की सप्‍लाई रोक दी है। इससे वहां अकाल आने की चेतावनी दी जा रही है। ब्र‍िटेन ने इस कार्रवाई को बंधकों को छुड़ाने का गलत तरीका बताया है। उसने इजरायली सरकार के कुछ हिस्सों में ‘चरमपंथ’ की निंदा की है। ब्रिटेन के साथ फ्रांस और कनाडा ने भी इजरायल की इस कार्रवाई की निंदा की है। पाकिस्‍तान के साथ संघर्ष में इजरायल इकलौता देश था जिसने भारत को बिना शर्त खुलकर समर्थन दिया था। क्‍या उस पर आई आंच का भारत पर असर पड़ेगा?

विदेश मंत्री डेविड लैमी ने कहा कि इजरायली सरकार के साथ नए व्यापार समझौते पर बातचीत रोकने का फैसला किया है। वे इस स्थिति को देखकर चुप नहीं रह सकते। यह ब्रिटेन के मूल्यों के खिलाफ है। ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा ने मिलकर एक बयान जारी किया। इसमें गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाई की निंदा की गई। उन्होंने गाजा में मदद पहुंचाने पर लगी रोक को हटाने की मांग की। तीनों देशों ने चेतावनी दी कि अगर इजरायल ने अपनी कार्रवाई नहीं रोकी तो वे और भी सख्त कदम उठाएंगे। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने कहा कि वह इजरायल की कार्रवाई से बहुत दुखी हैं।

क्‍या भारत पर पड़ेगा असर?
ब्रिटेन की ओर से इजरायल के साथ व्यापार वार्ता रोकने और गाजा में नए सैन्य अभियान को लेकर राजदूत को तलब करने का भारत पर सीधा और तत्काल बड़ा असर पड़ने की संभावना कम है। फिर भले भारत की इजरायल से जबरदस्‍त दोस्‍ती क्‍यों न हो। इसके पीछे कई कारण हैं।

पहला, भारत और इजरायल के बीच व्यापारिक रिश्ते ब्रिटेन और इजरायल के रिश्तों से अलग हैं। भारत एशिया में इजरायल का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और वैश्विक स्तर पर सातवां सबसे बड़ा। दोनों देशों के बीच रक्षा, कृषि, और प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में मजबूत व्यापारिक संबंध हैं जो इस घटना से सीधे प्रभावित नहीं होंगे।

दूसरा, भारत की विदेश नीति ऐतिहासिक रूप से फिलिस्तीन के मुद्दे पर एक संतुलित दृष्टिकोण रखती है, जबकि इजरायल के साथ अपने बढ़ते रणनीतिक हितों को भी साधती है। भारत ने गाजा संघर्ष पर संयम बरतने का आह्वान किया है और दो-राज्य समाधान का समर्थन करता है। ब्रिटेन के फैसले का भारत की अपनी विदेश नीति पर तत्काल कोई बड़ा बदलाव लाने की संभावना नहीं है।

ब्रिटेन का कदम यूरोपीय देशों के बीच इजरायल के प्रति बढ़ते असंतोष को दिखा सकता है। हालांकि, भारत की क्षेत्रीय भू-राजनीतिक प्राथमिकताएं अलग हैं। इसमें पश्चिम एशिया के देशों के साथ उसके संबंध और आतंकवाद का मुकाबला करना शामिल है।

कुछ अप्रत्‍यक्ष प्रभाव पड़ने के आसार
हालांकि, कुछ अप्रत्यक्ष प्रभाव हो सकते हैं। ब्रिटेन का यह कदम गाजा में स्थिति पर अंतरराष्ट्रीय राय को और मजबूत कर सकता है। अगर कई देश इसी तरह के कदम उठाते हैं तो इजरायल पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बढ़ सकता है। इसका वैश्विक स्तर पर व्यापार और कूटनीति पर कुछ प्रभाव पड़ सकता है। भारत इस स्थिति को ध्यान से देखेगा। अगर ब्रिटेन के बाद अन्य प्रमुख देश भी इजरायल के साथ व्यापार या कूटनीतिक संबंधों पर पुनर्विचार करते हैं तो भारत पर भी अपनी स्थिति का पुनर्मूल्यांकन करने का कुछ दबाव आ सकता है। हालांकि, यह तत्काल नहीं होगा।

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