लखनऊ:
उत्तर प्रदेश में अगले साल जनवरी में संभावित पंचायत चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बीच बीजेपी गठबंधन के दो सहयोगियों ने अकेले दम पर पंचायत चुनाव लड़ने का ऐलान भी कर दिया है। इस ऐलान के बाद से यूपी की राजनीतिक गरमा गई थी। राजनीतिक गलियारों में बीजेपी गठबंधन में रार पैदा होने की चर्चाएं भी जोरों पर चलने लगी थी। अब निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने गठबंधन को लेकर कहा कि गठबंधन था, है और रहेगा। साथ ही दो टूक में कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं के हितों से कोई समझौता नहीं किया जाएगा।
दरअसल कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ने का एलान किया है। उनके इस एलान के बाद से राजनीति गलियारों में तरह-तरह की चर्चाएं चलने लगी थी। इन्हीं चर्चाओं पर विराम लगाते हुए संजय निषाद ने बताया कि 2019 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी से हमारा गठबंधन हुआ था। इसके बाद भी निषाद पार्टी ने राज्य में हुए त्रिस्तरीय चुनावों में निषाद समाज की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए अपने प्रत्याशी उतारे थे। कई जिलों में हमारे प्रत्याशी भारी मतों से जीतकर ज़िला पंचायत सदस्य और बीडीसी बने थे। इसने गठबंधन की भावना को कभी ठेस नहीं पहुंचाई थी।
जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख के लिए बीजेपी को समर्थन
संजय निषाद ने बताया कि निषाद पार्टी ज़िला पंचायत सदस्य और बीडीसी चुनाव में अपने प्रत्याशी उतारेगी। चुनाव परिणाम के बाद ज़िला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पद के लिए BJP को समर्थन देगी। निषाद समाज और कार्यकर्ताओं को पार्टी से अपेक्षाएं हैं और हम उन अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे। पूरे प्रदेश में निषाद समाज के युवाओं और कार्यकर्ताओं को पार्टी का पूरा समर्थन मिलेगा। हम जनता के बीच जाकर अपने मुद्दों को मुखरता से रखेंगे और समाज से मिले जनादेश को अपने गठबंधन दलों के साथ साझा करेंगे। पार्टी आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में निषाद बाहुल्य क्षेत्रों में पूरी मज़बूती से अपने प्रत्याशी उतारेगी।
’15 सालों से संघर्ष कर रहे हमारे कार्यकर्ता पंचायत चुनाव लड़ना चाहते हैं’
योगी सरकार में कैबिनेट मंत्री संजय निषाद ने कहा कि यह चुनाव पार्टी के लिए केवल जन प्रतिनिधित्व का नहीं, बल्कि संगठन के विस्तार और कार्यकर्ताओं के सम्मान का भी विषय है। कई कार्यकर्ता 10-15 सालों से संघर्षरत हैं और उन्हें ज़िला पंचायत या क्षेत्र पंचायत में नेतृत्व करने की आकांक्षा है। अगर हम हर चुनाव में गठबंधन के नाम पर पीछे हटते रहे, तो यह कार्यकर्ताओं के हक और भविष्य दोनों के साथ अन्याय होगा। इससे न केवल कार्यकर्ताओं का मनोबल टूटेगा, बल्कि संगठनात्मक मजबूती भी प्रभावित होगी। इसलिए हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि गठबंधन था, है और रहेगा। पिछला त्रिस्तरीय चुनाव भी हमने स्वतंत्र रूप से लड़ा था और इस बार भी पार्टी स्वतंत्र रूप से लड़ेगी।