CENSUS DATE: वैसे तो भारत में जनगणना आमतौर पर हर 10 साल में होती है, लेकिन कोविड महामारी के चलते पिछली जनगणना को स्थगित कर दिया गया था। अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जनगणना की प्रक्रिया अक्टूबर 2026 से लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में शुरू की जा सकती है। बाक़ी के राज्यों में जनगणना 2027 में कराए जाने की बात कही जा रही है। इस जनगणना के साथ जाति जनगणना को भी शामिल करने की ख़बरें हैं, जिसकी मांग विपक्ष लंबे समय से कर रहा था और कहा जा रहा है कि मोदी सरकार ने इस पर कुछ समय पहले ही फ़ैसला लिया है।
जनगणना की संभावित नई तारीखें और जाति जनगणना का ऐलान
गृह मंत्रालय द्वारा कथित रूप से जारी एक विज्ञप्ति के अनुसार, “जनगणना अधिनियम, 1948 की धारा 3 के प्रावधान के अनुसार, ऊपर उल्लिखित संदर्भ तिथियों के साथ जनगणना कराने के इरादे की अधिसूचना शायद 16 जून, 2025 को आधिकारिक राजपत्र में प्रकाशित की जाएगी।” जनगणना जनगणना अधिनियम 1948 और जनगणना नियम 1990 के प्रावधानों के तहत की जाती है। हालांकि, पाठकों को यह ध्यान रखना चाहिए कि यह अधिसूचना अभी तक सार्वजनिक रूप से जारी नहीं हुई है, और ये संभावित तारीखें अभी तक सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गई हैं।
पिछली जनगणना और ऐतिहासिक संदर्भ
देश में आख़िरी जनगणना वर्ष 2011 में हुई थी। उस समय भी इसकी प्रक्रिया दो चरणों में पूरी की गई थी। यह 1 अप्रैल से 30 सितंबर 2010 तक और फिर 9 फरवरी से 28 फरवरी 2011 तक संचालित की गई थी। 2020 के लिए भी ऐसी ही योजना बनाई गई थी, लेकिन कोविड महामारी के कारण इसे समय पर लागू नहीं किया जा सका। आपको बता दें कि देश में पहली जनगणना 1881 में हुई थी। इसकी प्रक्रिया 1872 में ही शुरू हो गई थी। उस समय देश की आबादी क़रीब 25.38 करोड़ थी। तब से, देश में हर 10 साल में जनगणना होती रही है।
जाति जनगणना का पुराना और नया विवाद
1931 में पहली बार जनगणना में जाति से संबंधित एक कॉलम जोड़ा गया था, यानी लोगों से उनकी जाति के बारे में पूछा गया था। हालांकि, जाति को लेकर विवाद बढ़ गया, जिसके कारण 1941 में जाति से संबंधित जो भी डेटा एकत्र किया गया, उसे सार्वजनिक नहीं किया गया। इसलिए, इस समय देश में जाति के बारे में जो भी डेटा दिया जा रहा है, वह 1931 में ही संकलित किया गया था। हाल के वर्षों में, विपक्षी दलों के नेताओं ने जाति जनगणना को लेकर एक बार फिर मोर्चा खोल दिया था। इसके बाद, सूत्रों के अनुसार, मोदी सरकार ने जाति जनगणना कराने का फ़ैसला किया है, और ऐसी ख़बरें आ रही हैं कि इसे आगामी जनगणना में शामिल किया गया है।
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जनगणना में पूछे जाने वाले सवाल
एक और महत्वपूर्ण बात यह है कि 1951 में हुई जनगणना में, जाति के नाम पर केवल अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को वर्गीकृत किया गया था। इसमें विवाह की अवधि और परिवार का आकार, जन्म लेने वाले बच्चों की संख्या और उस समय जीवित बच्चों की संख्या शामिल थी। इसमें विकलांगताओं और व्यक्ति के परिवार के मुखिया के साथ संबंध पर भी प्रश्न थे। इसके अलावा, रोज़गार के बारे में भी प्रश्न पूछे जाते थे।
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अस्वीकरण (Disclaimer):यह लेख भारतीय जनगणना और जाति जनगणना के संबंध में चल रही चर्चाओं और कुछ मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। कृपया ध्यान दें कि 2026 या 2027 में जनगणना शुरू होने या 16 जून, 2025 को अधिसूचना जारी होने की कोई भी विशिष्ट तारीख़ भारत सरकार द्वारा जून 2025 तक आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं की गई है। यह जानकारी अपुष्ट स्रोतों और अटकलों पर आधारित हो सकती है। सटीक और विश्वसनीय जानकारी के लिए कृपया भारत सरकार के आधिकारिक राजपत्रों और घोषणाओं पर ही भरोसा करें।
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