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US declares TRF terror group: बड़ी खबर अमेरिका ने ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ को आतंकी संगठन घोषित किया, भारत खुश पाकिस्तान के विदेश मंत्री पर उठे सवाल

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US declares TRF terror group: अमेरिका ने आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) को एक आतंकवादी समूह घोषित कर दिया है. विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने यह जानकारी दी. इस फ़ैसले पर भारत के विदेश मंत्रालय ने भी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. भारत ने अमेरिका के इस निर्णय पर खुशी ज़ाहिर की है और इसे भारत-अमेरिका के बीच मज़बूत होते संबंधों का प्रतीक बताया है.

पाकिस्तान के विदेश मंत्री घेरे में

इसी बीच, पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें वह आतंकी संगठन ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ की तारीफ़ करते नज़र आ रहे हैं. वीडियो में वह कहते दिख रहे हैं कि जम्मू-कश्मीर में 2019 में जो कुछ हुआ, उसी के परिणामस्वरूप ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ का जन्म हुआ.

संयुक्त राष्ट्र में TRF को बचाने की कोशिश?

जब पहलगाम में आतंकी हमला हुआ था, तब संयुक्त राष्ट्र (UN) की तरफ़ से एक बयान जारी किया गया था जिसमें हमले की आलोचना की गई थी. उस बयान में ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ का नाम भी लिखा था. इस पर इशाक डार ने दावा किया कि उन्होंने संयुक्त राष्ट्र स्थित अपने दूतावास के अधिकारी को फ़ोन किया और कहा कि ‘द रेसिस्टेंस फ्रंट’ ने यह सब नहीं किया है. इसके अलावा, उन्होंने पहलगाम के साथ जम्मू-कश्मीर का नाम भी शामिल करवाया. डार का यह बयान पाकिस्तान की दोहरी नीति को उजागर करता है, जहाँ एक तरफ़ वह आतंकवाद के खिलाफ होने का दावा करता है, वहीं दूसरी ओर ऐसे संगठनों का बचाव करता दिख रहा है.

अमेरिका का फ़ैसला: आतंकवाद के ख़िलाफ़ एकजुटता

अमेरिका द्वारा TRF को आतंकी संगठन घोषित करना भारत की आतंकवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में एक बड़ी जीत मानी जा रही है. यह कदम पहलगाम आतंकी हमले के बाद आया है, जिसकी ज़िम्मेदारी शुरुआत में TRF ने ली थी. भारत लंबे समय से इस संगठन पर पाकिस्तान से समर्थन मिलने का आरोप लगाता रहा है. अमेरिकी फ़ैसला दोनों देशों के बीच आतंकवाद निरोधी सहयोग को और मज़बूत करेगा.

यह भी पढ़िए: एमपी नगर जैसे पॉश इलाके में घंस गया रोड, शुक्र है हादसा नहीं हुआ

क्या कहते हैं इस फ़ैसले के मायने?

इस फ़ैसले के बाद TRF से जुड़ी संपत्तियाँ फ्रीज़ हो जाएँगी और अमेरिकी संस्थाओं के लिए इस समूह से किसी भी तरह का संबंध रखना गैर-कानूनी होगा. यह वैश्विक स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ एक कड़ा संदेश है, खासकर उन देशों के लिए जो आतंकी समूहों को पनाह देते हैं या उनका समर्थन करते हैं. भारत के ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और राजनयिक प्रयासों के बाद यह अमेरिकी कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

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