Bihar Election 2025: बिहार में अगले महीने होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर हर घंटे कोई न कोई बड़ा सियासी उलटफेर देखने को मिल रहा है. NDA और महागठबंधन, दोनों में ही सीट शेयरिंग का पेंच अभी तक फंसा हुआ है. हालांकि NDA के सूत्र बंटवारे का दावा कर रहे हैं, लेकिन आधिकारिक घोषणा अभी तक नहीं हुई है. इस बीच, लोजपा (रामविलास) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने NDA की मुश्किलें बढ़ा दी हैं. चिराग बिहार में करीब 50 सीटों की मांग कर रहे हैं, जबकि NDA उन्हें केवल 25-27 सीटें देने पर राजी है.
चिराग पासवान को मनाने की पुरजोर कोशिश
चिराग को मनाने के लिए भाजपा आलाकमान की तरफ से पुरजोर कोशिशें की जा रही हैं. केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय पिछले 24 घंटों में चार बार चिराग पासवान के सरकारी आवास पर उनसे मिलने पहुंचे. हालांकि, कई मौकों पर उनकी मुलाकात चिराग से नहीं हो पाई. माना जा रहा है कि चिराग अपने रुख से पीछे हटने को तैयार नहीं हैं.
कल चलता रहा ‘आंख-मिचौली’ का खेल!
गुरुवार, 9 अक्टूबर को केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय दो बार चिराग पासवान के घर पहुंचे. पहली बार, उनके पहुँचने से पहले ही चिराग पासवान मंत्रालय के लिए निकल गए. इस दौरान नित्यानंद राय ने चिराग की माँ से मुलाकात की और लौट गए. हालांकि, राय ने कहा कि वह चिराग की माँ से मिलने आए थे, जो उनकी माँ जैसी हैं. इसके कुछ देर बाद, नित्यानंद राय फिर चिराग पासवान के घर पहुंचे. इस दौरान दोनों के बीच संक्षिप्त मुलाकात हुई.
केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान से भी हुई मुलाकात
कल सिर्फ नित्यानंद राय ही नहीं, बल्कि चिराग पासवान और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान के बीच भी एक अहम बैठक हुई. लगभग 25 मिनट चली इस बैठक में बिहार में सीटों के बंटवारे पर चर्चा हुई. हालांकि, किसी ने भी यह स्पष्ट नहीं किया कि चिराग मान गए हैं या नहीं. इस चुप्पी ने सियासी गलियारों में अटकलों को और तेज कर दिया है.
मांझी ने भी दिखाए तेवर, 15 सीटों पर अड़े
NDA की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. बिहार चुनाव में जीतन राम मांझी भी 15 सीटों पर अड़े हुए हैं. NDA उन्हें केवल 7 सीटें देने को तैयार है. मांझी पहले ही कह चुके हैं कि विधानसभा में उनकी पार्टी को मान्यता पाने के लिए 6% वोट या 8 सीटों की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसीलिए उन्होंने कम से-कम 15 सीटों की अपील की है.
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क्यों है NDA के लिए चिराग का साथ ज़रूरी?
चिराग पासवान का साथ NDA के लिए बेहद ज़रूरी है, क्योंकि उनके पास एक बड़ा दलित वोट बैंक है. अगर चिराग अलग होते हैं, तो वे JDU और BJP दोनों के उम्मीदवारों के खिलाफ अपने प्रत्याशी उतार सकते हैं, जिससे NDA को 2020 की तरह ही बड़ा नुकसान हो सकता है. यही वजह है कि भाजपा उन्हें हर हाल में मनाने की कोशिश कर रही है.