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मोदी के शपथ ग्रहण का मुहूर्त,जानें क्या कहती है ज्योतिषीय गणना, क्या कर पाएंगे कार्यकाल पूरा

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भोपाल।

प्रधान मंत्री मोदी का शपथ ग्रहण रविवार 9 जून को शाम के समय 7 बजकर 24 मिनट पर संपन्न हुआ और इस बार शपथ ग्रहण मुहूर्त और भी खास है क्योंकि बीजेपी को अपने अकेले दम पर बहुमत नहीं मिल पाया है तथा मोदी अपने सहयोगी दलों के समर्थन से सरकार बना रहे हैं।

मेदिनी ज्योतिष के अनुसार देश के शासक अर्थात प्रधान मंत्री की स्थिति शपथ ग्रहण कुंडली के लग्न से देखते हैं वहीं विपक्ष दलों की ताकत सप्तम भाव से देखी जाती है। सत्ताधारी पार्टी के सहयोगी दलों को तृतीय और एकादश भाव के अनुकूल प्रभाव से देखी जाती हैं।

रविवार के दिन शाम को 7 बजकर 24 मिनट पर शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि, पुनर्वसु नक्षत्र,और ध्रुव योग था और लग्न वृश्चिक। चतुर्थी तिथि को रिक्त जाना जाता है जिसमें शुरू किये गये कार्यों में सफलता हासिल करना कठिन और चुनौतियों से भरा रह सकता है। वृश्चिक लग्न कि कुंडली में चतुर्थ भाव कुम्भ राशी में शनि और सप्तम भाव वृषभ में चार ग्रह हैं, चतुर्थ भाव सुख स्थान होता है और शनि इस स्थान में अच्छा परिणाम दायक नहीं माना जाता है।

चतुर्थी तिथि में वृषभ औऱ कुम्भ राशी शून्य होती है इस प्रकार शपथ ग्रहण कुंडली में पांच ग्रह तिथि शून्य में आ जाते हैं और इस तरह प्रधान मंत्री मोदी के तीसरे कार्यकाल में कुछ बड़े निर्णय के क्रियान्वयन में बाधा और निराशा के संकेत मिल रहे हैं और विपक्षी गठबंधन एकता और ताकत से सरकार का विरोध करता दिख सकता है।

लग्न वृश्चिक के अखरी अंश में है जो ज्येष्ठ और मूला नक्षत्र के गंडांत योग में है जो एक दुर्योग है। अष्टम भाव से आयुष या जीवनकाल का आंकलन होता है पर यदि अष्टम भाव स्वामी सप्तम भाव में स्थित हो तो यह आयुष के लिए मारक योग बन जाता है और यही एक बड़ा सवाल बन जाता है कि क्या एनडीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा कर पाएगी या नहीं।

गौरी पंचाग में भी चल चौघड़िया है जो शपथ ग्रहण कार्य के लिए शुभ मुहूर्त नहीं मानी जाता हैं। लग्न स्वामी और होरा स्वामी दोनो मंगल ग्रह है और दुस्थान भाव में शनि कि तीसरी दृष्टि से पीड़ित भी हैं यह भी कुंडली को बल प्रदान करने में असमर्थ हैं।

शपथ ग्रहण कुंडली का होरा चक्र बहुत अच्छा है और इस चक्र से देश का विकास प्रगति और अर्थव्यवस्था का संज्ञान करते हैं, मिथुन लग्न की इस कुंडली में सूर्य शुक्र का सुंदर योग बुध से है तथा उच्च का गुरु धन भाव में देश कि बढ़ती सकल घरेलू उत्पाद यानि जीडीपी को दर्शाता है।

शपथ ग्रहण कुंडली में पांच साल विंशोत्तरी दशा के अनुसार शनि दशा अप्रैल 2025 तक चलेगी, शनि का अपनी मूलत्रिकोण राशी में होना सरकार के लिए सकारात्मक समय हो सकता है, परन्तु बुध की अगली दशा जो कुंडली के लिए नैधन तारा भी है।

अप्रैल 2025 से दिसम्बर 2025 तक चलेगी जिसमें घटक दल के अड़ियल रूख के मद्देनजर मतभेद सामने आ सकते है। स्वतंत्रत भारत की कुंडली में भी दिसम्बर 2025 के दौरान केन्द्र से तीन स्थानों में अशुभ ग्रहो की स्थिति सर्प दोष तथा लग्न पर शनि की तृतीय दृष्टि राजनीतिक माहौल को गरमी प्रदान कर सकते है।
यही सब ज्योतिष गणना प्रतीक है कि एनडीए सरकार अपना कार्यकाल पूरा करने में असमर्थ हो सकती हैं।
सुभाष सक्सेना, ज्योतिष आचार्य

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