— केरवा डैम निरीक्षण करने पहुंचे जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट, अधिकारियों को दिए निर्देश— कहा—हर 30 दिन में निर्माण कार्य की प्रगति रिपोर्ट सौंपी जाए
— केरवा डैम पर नया बनेगा फुट ओवर ब्रिज, सभी गेट ऑटोमैटिक सिस्टम से होंगे लैस
— विभागीय अधिकारियों को दिए निर्देश कि वे डेमों का फिजिकल निरीक्षण करें और जांच रिपोर्ट तैयार करें
— 40 साल पुराने सभी डैमों के गेट और फुट ओवर ब्रिज होंगे अपग्रेड
भोपाल ।
केरवा डेम पर मंगलवार को ब्रिज के उपर बने सीमेंट—कांक्रीट का 20 फ़िट लंबा स्लैब गिरने की घटना के बाद बुधवार को सुबह दस बजे जल संसाधन मंत्री तुलसी सिलावट निरीक्षण करने पहुंचे। इस दौरान उन्होंने प्रदेशभर के डैमों की सुरक्षा जांच करने, 6 दिन में एस्टीमेट बनाने, केरवा डैम पर नया फुट ओवर ब्रिज बनाने और सभी गेट ऑटोमैटिक सिस्टम से लैस करने का काम आगामी पांच माह में पूरा करने के निर्देश मौके पर मौजूद अधिकारियों को दिए। उन्होंने हर 30 दिन में कामों की प्रगति की रिपोर्ट सौंपने को कहा। उन्होंने अधिकारियों को सभी डैमों का फिजिकल निरीक्षण करने और जांच रिपोर्ट तैयार करने के निर्देश दिए हैं।
सुबह करीब दस बजे मंत्री तुलसी सिलावट विभागीय अधिकारियों के साथ केरवा डैम पहुंचे। उन्होंने गिरे स्लैब व गेट का स्थल निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने अधिकारियों ने मौके पर जानकारी भी ली और कहा कि प्रदेश में कहीं भी कोई घटना न हो इसके लिए सभी डेमों का फिजिकल निरीक्षण करें और जांच रिपोर्ट बनाएं। उन्होंने हादसे की तकनीकी जांच करने और मरम्मत का काम तुरंत शुरू करने को कहा।
एक सप्ताह में डीपीआर होगी तैयार

मंत्री सिलावट ने कहा कि केरवा डैम का फुट ब्रिज 1975 में बनना शुरू हुआ था। 1980 में यह बनकर तैयार हुआ था। डैम पर बना फुट ब्रिज 50 साल पुराना है। इसके सुधार कार्य के लिए एक हफ्ते में डीपीआर बनकर तैयार होगी। इसके अलावा सभी स्लैब 5 महीने में बनकर तैयार करने का लक्ष्य रखा है। इस काम पर करीब 5 करोड़ रुपए खर्च आएगा। इसके अलावा डैम पर आठ गेट जो 40 साल पुराने हैं उन्हें बदला जाएगा।
जांच की होगी समीक्षा
केरवा डैम पर हुए हादसे की जांच में सामने आने वाले बिंदुओं की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों को इस तरह का हादसा कहीं न हो इसके सख्त निर्देश दिए।
इस तरह हादसों की रोकथाम करने को कहा
मंत्री तुलसी सिलावट ने कहा कि जांच के लिए तीन कैटेगरी ए,बी,सी बनाएं और 25 साल पुराने गेट और फुट ओवर ब्रिज अपग्रेड करें। सभी गेट ऑटोमैटिक सिस्टम से लैस किए जाएं।
डैम पर आवाजाही पर रोक, कर्मचारी तैनात
केरवा डैम पर आम लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया है। डैम की ओर जाने वाले रास्ते पर बेरिकेडस लगा दिया गया है। यहां एक कर्मचारी तैनात किया गया है जबकि स्लैब के गिरे हुए हिस्से के पास ही सुरक्षा कर्मी की डृयूटी लगाई गई है।
गेटों के ऊपर का हिस्सा पूरी तरह से जर्जर
केरवा डैम के 8 गेटों में से 3 के ऊपर का स्लैब ढह चुका है, जबकि बाकी हिस्से की स्थिति भी जर्जर है। कई जगहों पर सरिये सड़ चुके हैं, प्लास्टर झड़ रहा है और कंक्रीट के टुकड़े लटक रहे हैं।
प्रदेश में 40 साल पुराने हैं यह डैम
— गांधी सागर डैम— मंदसौर जिले में इस बांध का निर्माण 1960 में पूरा हो गया था।
— भदभदा डैम— भोपाल में इस बांध का निर्माण 1965 में हुआ था।
— तवा डैम: नर्मदापुरम जिले में बने इस बांध का निर्माण 1978 में हुआ था।
बारना डैम— रायसेन जिले में बने इस बांध का काम 1978 में हुआ था।
एमपी में 25 साल पुराने डैम
बरगी बांध— जबलपुर जिले में बने इस बांध का काम 1988 में पूरा हुआ था।
— संजय सरोवर— सिवनी जिले में बने इस बांध का निर्माण 1988 में पूरा हुआ था।
25 साल से कम पुराने डैम
— इंदिरा सागर बांध— खंडवा जिले में बने इस बांध का निर्माण 2005 में हुआ था।
— बांणसागर बांध— शहडोल जिले में इस बांध का निर्माण 2006 में पूरा हुआ था।
— ओंकारेश्वर डैम— इस बांध का निर्माण खंडवा जिले के ओंकारेश्वर में 2007 में पूरा हुआ था।
— मणिखेड़ा बांध— शिवपुरी जिले में इस बांध का निर्माण कार्य 2008 में पूरा हुआ था।

