भोपाल।
भारत की सांस्कृतिक धरोहर है लोककला- प्रो हिंडोलिया— संस्कार भारती में हुई लोककला विद्या संगोष्ठी,हिंदुस्तान विविधताओं से भरा देश है। भारत में अनेकताओं के बाद भी लोक कलाएं एक सूत्र में हम सभी को बांधे हुए हैं। लोक कलाओं को जीवित रखने के लिए इनका प्रचार प्रसार प्रशिक्षण और शिक्षण जरूरी है। लोककलाएं हमारे देश की सांस्कृतिक विरासत है जिन्हें विलुप्त होने से बचाने के साथ ही आने वाली पीढियां तक पहुंचाने की जिम्मेदारी हम सभी की है। यह बात मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद अटल बिहारी वाजपई हिंदी विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर देवआनंद हिंडोलिया ने संस्कार भारती में कही।
संस्कार भारती में रविवार को लोक कला विद्या की संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता नीलिमा श्रीवास्तव ने लोक कला के प्रकारों और महत्व बताते हुए प्रतिभागियों को मधुबनी आर्ट की ट्रेनिंग दी। पार्टिसिपेंट्स ने एक्सपर्ट के मार्गदर्शन में तुलसी की पूजा करते हुए महिला का चित्र कैनवास पर उकेरा जिसे सभी अतिथियों ने सराहा। इस दौरान मौजूद विशिष्ट अतिथि के तौर पर उस्ताद अलाउद्दीन खा संगीत एवं कला अकादमी के उपनिदेशक शेखर करहाडकर को मंच पर शाल श्रीफल और गौशिल्प से सम्मानित किया गया।
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संगोष्ठी की शुरुआत में संस्कृति विभाग के तहत संगीत अकादमी के उपनिदेशक करहाडकर के निर्देशन में कलाकारों द्वारा संस्कार भारती के ध्येय गीत की संगीतमय प्रस्तुति दी गई। कार्यक्रम का संयोजन महिमा पांडे और नीरजा विशाल सक्सेना ने किया। प्रशिक्षण के बाद लगभग 40 से ज्यादा प्रतिभागियों को अतिथियों ने सर्टिफिकेट दिए। कार्यक्रम में भोपाल महानगर की अध्यक्ष अरुणा शर्मा, मध्य भारत प्रांत के प्रचार प्रमुख डॉ संदीप श्रीवास्तव, हिम्मत गोस्वामी के अलावा कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे।