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140 करोड़ के देश में 1 करोड़ नए सदस्य नहीं बना पाई भाजपा, टारगेट छूटा तो नड्डा ने बड़े-बड़ों की ली क्लास

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नई दिल्ली

भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पंडित दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर देशभर से एक करोड़ सदस्य बनाने के लक्ष्य से पिछड़ गई है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2 सितंबर को नई दिल्ली में सदस्यता अभियान की शुरुआत की थी और लक्ष्य रखा गया था कि 25 सितंबर को दीनदयाल उपाध्याय की जयंती पर 1 करोड़ नए लोगों को पार्टी से जोड़ा जाएगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपनी मेंबरशिप रीन्यू करवाई थी। तब हर राज्य के लिए एक टारगेट तय किया गया और देशभर में पार्टी कार्यकर्ताओं ने जोर-शोर से सदस्यता अभियान शुरू कर दिया। लेकिन कोई भी बड़ा प्रदेश अपने लिए तय लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है।

बड़े राज्य चूके, तीन छोटे राज्यों ने पार किया लक्ष्य
आंकड़ों के लिहाज से उत्तर प्रदेश सदस्यता अभियान में सबसे ऊपर है, लेकिन टारगेट पूरा करने के लिहाज से त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने बारी मारी है। अपने-अपने लक्ष्य को पार करने वाले ये ही तीन राज्य हैं। बाकी राज्यों के पिछड़ने और कुछ राज्यों के लक्ष्य से बहुत दूर रहने से बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा नाराज बताए जा रहे हैं। सूत्रों की मानें तो नड्डा ने पटना में आयोजित एक बैठक में बिहार भाजपा अध्यक्ष दिलीप जयसवाल और प्रदेश सरकार में उप-मुख्यमंत्रियों सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा की फटकार लगाई है। सम्राट चौधरी बीजेपी बीजेपी के अध्यक्ष रह चुके हैं। जुलाई में उन्हीं की जगह दिलीप जयसवाल को बिहार बीजेपी का अध्यक्ष बनाया गया।

राष्ट्रीय स्तर के लक्ष्य से चूकी भाजपा
भाजपा सूत्रों ने बताया कि 25 सितंबर तक पार्टी केवल 83 लाख नए सदस्य ही बना पाई, जो कि उसके लक्ष्य से 17 लाख कम है। 25 सितंबर को सदस्यता अभियान के पहले चरण का आखिरी दिन था। सूत्रों ने बताया कि राजस्थान और बिहार लक्ष्य पूरा करने के मामले में सबसे फिसड्डी साबित हुए हैं। दोनों ही प्रदेशों में भाजपा सरकार में है। राजस्थान में पार्टी ने पिछले साल दिसंबर में कांग्रेस को हराकर 115 सीटें जीती थीं। वहां पार्टी 55 लाख के लक्ष्य के मुकाबले केवल 26 लाख नए सदस्य ही जोड़ पाई है। इधर, बिहार में भाजपा और नीतीश कुमार की पार्टी जद(यू) के गठबंधन की सरकार है। वहां भी बीजेपी सदस्यसता अभियान के लक्ष्य से काफी पीछे रही है। बिहार भाजपा को 65 लाख नए सदस्य बनाने का टारगेट दिया गया था, लेकिन वो केवल 32 लाख सदस्य ही जोड़ पाई।

नाराज नड्डा ने खूब लगाई फटकार
पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने पटना में एक बंद कमरे में बैठक की। सूत्र बताते हैं कि उन्होंने बिहार भाजपा अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री के साथ-साथ पार्टी विधायकों और एमएलसी को भी फटकार लगाई है। इसी तरह, राजस्थान में की बैठक भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महासचिव बीएल संतोष ने ली। उन्होंने राज्य के शीर्ष नेतृत्व के साथ-साथ हर सांसद और विधायक को भी आड़े हाथों लिया और उनके उदासीन रवैये पर गहरी नराजागी का इजहार किया।

तेलंगाना के नेताओं को खरी-खरी
इधर, तेलंगाना जैसे राज्यों में, जहां भाजपा संगठनात्मक रूप से कमजोर है, केवल 10 लाख नए सदस्य ही जुड़ पाए हैं। इस खराब प्रदर्शन से नाराज नड्डा ने राज्य इकाई को फटकार लगाई है और उनसे 77 लाख से अधिक सदस्य बनाने का लक्ष्य दिया है। उन्होंने हाल ही में हरिता प्लाजा में भाजपा के सदस्यता अभियान में भाग लिया था, जहां उन्होंने कहा कि सबसे खराब स्थिति में भी तेलंगाना को 50 लाख नए सदस्य बनाने होंगे। सूत्रों की मानें तो नड्डा ने साफ कर दिया कि पार्टी के पद सदस्यता के आंकड़ों के आधार पर ही तय किए जाएंगे। उत्तर प्रदेश कुल 1.5 करोड़ सदस्यों के साथ पहले स्थान पर है। हालांकि, शीर्ष पर रहने के बावजूद उत्तर प्रदेश दो करोड़ के लक्ष्य से दूर है।

न्यूज18.कॉम पर प्रकाशित एक खबर में भाजपा के एक पदाधिकारी का बयान शामिल है। इसमें कहा गया है, ‘उत्तर प्रदेश एक बड़ा राज्य है और पार्टी का राष्ट्रीय नेतृत्व संगठन और योगी जी के नेतृत्व पर भरोसा करता है। इसीलिए हमारे लिए इतना महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा गया था। हमें विश्वास है कि दूसरे चरण में हम दो करोड़ के आंकड़े को छू लेंगे।’

यूपी-एमपी का अच्छा काम, असम-गुजरात भी बने मिसाल
वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य गुजरात, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश और असम ने अब तक कुल मिलाकर 3 करोड़ सदस्य बना लिए हैं। मध्य प्रदेश और गुजरात क्रमशः दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं और दोनों राज्यों में बहुत कम अंतर है। ये दोनों राज्य अपने लक्ष्य का 75 प्रतिशत हासिल करने में सफल रहे हैं। पहले स्थान पर रहने के बावजूद, उत्तर प्रदेश अपने लक्ष्य का लगभग 65 प्रतिशत ही हासिल कर सका है। पूर्वोत्तर में भाजपा का लोकप्रिय चेहरा हिमंता बिस्वा सरमा ने 65 लाख के लक्ष्य की तुलना में 50 लाख सदस्यों का नामांकन सुनिश्चित किया।

इन राज्यों ने ही पूरा किया लक्ष्य
वहीं, छोटे राज्यों में, त्रिपुरा, अरुणाचल प्रदेश और हिमाचल प्रदेश ने अपेक्षाओं को पार कर लिया है। इनमें से, हिमाचल प्रदेश एकमात्र कांग्रेस शासित राज्य है, जहां सत्ता विरोधी माहौल के शुरुआती संकेत मिल रहे हैं। ध्यान रहे कि हिमाचल की सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस ने अयोध्या में राम मंदिर उद्घाटन समारोह का बहिष्कार किया था। अभी-अभी पार्टी के प्रमुख नेता राहुल गांधी ने प्राण प्रतिष्ठा समारोह में ‘नाचा-गाना’ जैसी टिप्पणी की है जिसकी भरपूर आलोचना हो रही है।

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