13.7 C
London
Friday, November 7, 2025
Homeराज्य'सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार, बिना घूस नहीं बढ़ती फाइलें', कर्नाटक हाई कोर्ट...

‘सरकारी दफ्तरों में भ्रष्टाचार, बिना घूस नहीं बढ़ती फाइलें’, कर्नाटक हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

Published on

बेंगलुरू

कर्नाटक हाई कोर्ट ने सरकारी दफ्तरों को लेकर सख्त टिप्पणी की है। हाई कोर्ट ने कहा कि आजकल सरकारी कार्यालयों में कोई भी फाइल बिना रिश्वत के नहीं चलती है। मामला बेंगलुरू विकास प्राधिकरण (बीडीए) से जुड़ा था। बीडीए के एक सहायक अभियंता को रिश्वत लेते हुए गिरफ्तार किया गया था। हाई कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की और इंजिनियर को जमानत देने से इनकार कर दिया।

एंटी करप्शन ब्यूरो पुलिस ने 59 वर्षीय केटी राजू को 7 जून 2022 को गिरफ्तार किया था। उसके पास 5 लाख रुपये कैश बरामद हुए थे। आरोप है कि इंजिनियर ने कथित तौर पर भूमि-पार्सल मामले में शिकायतकर्ता मंजूनाथ के पक्ष में अग्रिम के रूप में धन प्राप्त किया था।

जमीन की लटकाई फाइल
मंजूनाथ को सुवलाल जैन और सुरेश चंद जैन का जीपीए धारक कहा जाता है, जिनके पास केंगेरी में 33-गुंटा जमीन है। जमीन का उपयोग बीडीए ने अधिग्रहण की कार्यवाही किए बिना सड़क बनाने के लिए किया था।

60 लाख घूस हुई थी तय
राजू की याचिका को खारिज करते हुए न्यायमूर्ति के नटराजन ने कहा कि याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप यह है कि उसने शिकायतकर्ता के पक्ष में आदेश पारित करने के लिए एक करोड़ रुपये की मांग की। सौदेबाजी के बाद, वह कथित तौर पर काम पूरा करने के लिए 60 लाख रुपये लेने के लिए तैयार हो गया। शिकायतकर्ता से पांच लाख रुपये एडवांस लेते समय एसीबी ने उसे फंसा लिया।

फोन की रिकॉर्डिंग की पेश
एसीबी ने इस मामल में एक टेलीफोन की बातचीत पेश की। सबूत पेश किए। पता चलता है कि याचिकाकर्ता ने एसीबी के निशान लगे नोट लिए थे। न्यायाधीश ने कहा, ‘आजकल, सरकारी कार्यालयों में, भ्रष्टाचार बहुत बढ़ गया है और बिना रिश्वत के कोई फाइल आगे नहीं बढ़ती है। मेरा विचार है कि याचिकाकर्ता इस स्तर पर जमानत का हकदार नहीं है।’

इंजिनियर ने कहा फंसाया जा रहा
राजू ने कहा था कि उन्हें फंसाया गया है। उन्होंने दावा किया कि मूल भूमि मालिकों ने वैकल्पिक भूमि की मांग के लिए एक आवेदन दायर किया था और इसे वापस ले लिया था। इसलिए, अभियोजन पक्ष ने उसके खिलाफ रिश्वत की मांग और स्वीकृति का आधार नहीं बनाया है। उनके वकील ने कहा था, ‘मात्र राशि की स्वीकृति याचिकाकर्ता के रिश्वत की मांग और स्वीकार का आधार नहीं हो सकती।’ एसीबी के वकील ने अदालत को बताया कि याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी के बाद फाइल आगे बढी। यह स्पष्ट रूप से दिखाता है कि उसने छह महीने तक कोई आदेश पारित नहीं किया था क्योंकि वह उसे रिश्वत नहीं मिली थी।

Latest articles

हेम्टू इंटक ने नेहरू जी को याद कर मनाया संकल्प दिवस

भोपाल।बीएचईएल कारखाने को देश को समर्पित करने के उपलक्ष्य हेम्टू इंटक ने जुबली गेट...

भेल भोपाल इकाई में सतर्कता जागरुकता सप्ताह, हुई कई प्रतियोगिताएं

भेल भोपाल।बीएचईएल भोपाल में गुरुवार को सतर्कता जागरूकता सप्‍ताह के अंतर्गत विभिन्‍न प्रतियोगिताओं का...

बीएचईएल की हीप इकाई ने ताइवान में जीता गोल्ड अवार्ड

हरिद्वार।बीएचईएल हरिद्वार की हीप इकाई ने ताइवान के ताइपे शहर में 3 से 06...

बीएचईएल झाँसी में अंतर इकाई बास्केटबाल टूर्नामेंट का शुभारम्भ

झांसी।सार्वजनिक क्षेत्र की बीएचईएल झाँसी में “अंतर इकाई बास्केटबालटूर्नामेंट का शुभारम्भ हुआ। इस टूर्नामेंट...

More like this

मध्यप्रदेश में हेलमेट को लेकर सख्ती, दोपहिया चालकों पर चलेगा विशेष अभियान

भोपाल।मध्यप्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने और सुरक्षा जागरूकता बढ़ाने के लिए सरकार ने...

राज्य सभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी का किया स्वागत

बैरसिया।नवनियुक्त प्रदेश महामंत्री एवं राज्यसभा सांसद सुमेर सिंह सोलंकी के प्रदेश भाजपा कार्यालय पहुंचने...

Viral Audio Clip: दिग्विजय सिंह को लेकर बवाल, एक-दूसरे पर अपशब्दों का इस्तेमाल! अब दोनों बोले- ऑडियो नकली है

Viral Audio Clip: मध्य प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में मंगलवार को एक वायरल ऑडियो...