नई दिल्ली
भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) में उम्मीद से अधिक 8.4 फीसदी की दर से बढ़ा। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार, यह रफ्तार विश्लेषकों के अनुमानों को पार कर गई। यह पिछली तिमाही में 8.1 फीसदी की बढ़ोतरी से काफी ज्यादा है। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने इसी अवधि के लिए 6.5 फीसदी की ग्रोथ का अनुमान लगाया था। जीडीपी में मजबूत बढ़ोतरी भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है।
इस तूफानी रफ्तार के बाद वित्त वर्ष 2023-24 के ग्रोथ के अनुमानों में भी बदलाव किया गया है। इन्हें पहले के 7 फीसदी के मुकाबले बढ़ाकर 7.6 फीसदी किया गया है। अर्थशास्त्रियों का अनुमान था कि तीसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था 6.6 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। हालांकि, ये सभी अनुमान ध्वस्त हो गए हैं।
सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में भारत
भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्थाओं में से एक है। इस रफ्तार के बाद संकेत मिलते हैं कि वह अपने दबदबे को बनाए रखेगा। सरकार के पहले अग्रिम अनुमान में चालू वित्त वर्ष के लिए 7.3 फीसदी की ग्रोथ के आसार हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था ने यह रफ्तार ऐसे समय में बना रखी है जब चीन और यूरोजोन आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। चीन की अर्थव्यवस्था सुस्ती से निकल ही नहीं पा रही है।
…पर 8 बुनियादी उद्योगों की रफ्तार घटी
इसी दिन सरकार ने आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ से जुड़े आंकड़े भी जारी किए। हालांकि, जनवरी में इनकी ग्रोथ सुस्त पड़कर 3.6 फीसदी पर आ गई। यह इसका 15 माह का निचला स्तर है। गुरुवार को जारी आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात और बिजली जैसे क्षेत्रों के कमजोर प्रदर्शन के कारण ग्रोथ धीमी हुई। आठ प्रमुख बुनियादी उद्योगों का उत्पादन दिसंबर, 2023 में 4.9 फीसदी बढ़ा था। एक साल पहले जनवरी, 2023 में बुनियादी उद्योगों की ग्रोथ की रफ्तार 9.7 फीसदी थी। इन आठ क्षेत्रों में कोयला, कच्चा तेल, प्राकृतिक गैस, रिफाइनरी उत्पाद, उर्वरक, इस्पात, सीमेंट और बिजली शामिल हैं।